अपनी शॉर्ट फ़िल्म 'खातून की ख़िदमत' को मुंबई के जियो मामी मुम्बई फ़िल्म फ़ेस्टिवल में दिखाया गया था. इस फ़िल्म का लेखन और निर्देशन भी सहीम खान ने ख़ुद ही किया था.
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मुंबई: भारतीय फिल्म और टीवी एक्टर सहीम खान ने अपनी फिल्म 'इकराम' के जरिए कनाडा में जीत का परचम फहराते हुए देश को गौरवान्वित किया. कनाडा में आयोजित क्रिएशन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में 'इकराम' को बेस्ट फीचर फिल्म का अवॉर्ड मिला है. बतौर डायरेक्टर सहीम की ये पहली फ़िल्म है.
सहीम खान ने अपनी एक्टिंग से जूरी को भी ख़ूब इम्प्रेस किया और इसी फ़िल्म के लिए उन्हें बेस्ट एक्टर के अवॉर्ड से भी नवाज़ा गया. गौरतलब है कि सहीम एकमात्र ऐसे भारतीय अभिनेता हैं, जिन्हें इस श्रेणी में ये अवॉर्ड मिला है. हाल ही में अपनी शॉर्ट फ़िल्म 'खातून की ख़िदमत' को मुंबई के जियो मामी मुम्बई फ़िल्म फ़ेस्टिवल में दिखाया गया था. इस फ़िल्म का लेखन और निर्देशन भी सहीम खान ने ख़ुद ही किया था.
सहीम खान और इस फ़िल्म की उपलब्धि इसलिए और भी ख़ास है क्योंकि इसमें न तो पॉपुलर स्टार्स हैं, न ही इस फ़िल्म का बजट ज़्यादा है. आपको ये जानकर भी आश्चर्य होगा कि इस फ़िल्म की शूटिंग महज़ 15 दिनों में पूरी कर ली गयी थी. इस फ़िल्म को मैड हैट प्रोडक्शन्स के तहत रोबाब खान और आईटीईएस होराइज़न प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले प्रोड्यूस किया गया है और इसे लिखा है सामिल खान ने, तो वहीं फ़िल्म को बड़ी ही ख़ूबसूरती से अपने कैमरे में क़ैद किया है.
सहीम खान एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं. एक्टिंग, राइटिंग के अलावा उन्होंने डायरेक्शन में भी हाथ आज़माया और हर जगह कामयाबी पायी. तमाम तरह के अवॉर्ड्स का मिलना उनके हुनर पर बस एक मात्र मुहर है.
किसान परिवार से रखते हैं ताल्लुक
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के एक किसान परिवार से संबंध रखनेवाले साहीम ने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन वो फ़िल्मी दुनिया में कदम रखेंगे और इस कदर कामयाबी हासिल करेंगे. ये बात और है कि बचपन से ही उन्हें एक्टिंग का शौक था और स्कूली नाटकों में वो बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया करते थे और ख़ूब वाह-वाही पाते थे.
जिंदगी ने लिया यू-टर्न
बचपन के दोस्त हसरत के कहने पर सहीम ने फ़िल्मों में हाथ आज़माने का फ़ैसला किया, जिसके बाद उनकी दुनिया हमेशा-हमेशा के लिए बदल गई. सहीम बताते हैं कि उनके एक्टिंग के ख़्वाबों को सच करने के लिए हसरत ने उनके परिवार से लड़ाई तक मोल ले ली थी. और वो हसरत ही थे, जिन्होंने साहीम को मुंबई पहुंचाने के लिए ट्रेन की टिकट कटा कर दी थी, जिसके लिए साहीम आज भी हसरत के एहसानमंद हैं.
मुंबई में किया संघर्ष
2007 में मुंबई में कदम रखनेवाले साहीम खान ने अपने संघर्ष के दिनों में कई छोटे-मोटे काम किये, जिनमें ड्राइवर और सेल्स एक्ज़ीक्यूटिव बन जाना शामिल है. उन्होंने 2011 में आई मधुर भंडारकर की फ़िल्म 'दिल तो बच्चा है जी' में एक छोटी-सी भूमिका निभायी थी. फिर 2013 में आयी फ़िल्म 'चेहरा' में उन्हें बतौर लीड हीरो काम किया, लेकिन फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर बुरी तरह से पिट गई थी. उन्होंने रवीना टंडन की फ़िल्म 'मातृ' में भी एक छोटा सा रोल किया था. साहीम बतौर एक्टर इरफ़ान खान को अपना आदर्श मानते हैं और एक डायरेक्टर के रूप में वो ईरानी डायरेक्टर माजिद मजीदी के बहुत बड़े फ़ैन हैं.