दृष्टिहीन बच्चों के लिए की गई सदी की महान फिल्म 'शोले' की स्पेशल स्क्रीनिंग
Advertisement
trendingNow1453679

दृष्टिहीन बच्चों के लिए की गई सदी की महान फिल्म 'शोले' की स्पेशल स्क्रीनिंग

हिंदी सिनेमा के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुई यह फिल्म 15 अगस्त 1975 को सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई थी, इसके 45 साल पूरे होने की खुशी में हुई यह स्क्रीनिंग

फाइल फोटो

नई दिल्ली. बॉलीवुड क्लासिक फिल्म 'शोले' एक फिल्म है जिसे देखना सभी को बहुत पसंद आता है. लेकिन हमारे बीच कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें यह सुख नसीब नहीं. हम बात कर रहे हैं दृष्टी बाधित दिव्यांग बच्चों की. सोचिए अगर उनके अनुसार साउंड ट्रेक पर काम करके यह फिल्म उन्हें सुनाई जाए तो सभी कितने खुश हुए होंगे. शनिवार की सुबह कुछ ऐसा ही हुआ. जब सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में सदी की महान फिल्म शोले को एक हजार ऐसे बच्चों के लिए सुनाया गया जो देखने में असमर्थ हैं. यह स्पेशल स्क्रीनिंग फिल्म के 43 साल पूरे किए जाने के अवसर पर की गई. 

fallback

यहां दिल्ली-एनसीआर के तकरीबन सभी सरकारी और एनजीओ से जुड़े दृष्टिबाधित बच्चों के लिए इस फिल्म को स्पेशल ऑडियो, शीर्षक, उपशीर्षक के साथ सुनाया गया. सपंत के समर्थन के साथ साक्षी ट्रस्ट और फिल्म फेस्ट के निदेशालय ने शोले की सबसे समावेशी स्क्रीनिंग का आयोजन किया. साक्षी ट्रस्ट ने 28 बॉलीवुड फिल्मों का ऑडियो-वर्णन किया है और शिक्षा, सहायक प्रौद्योगिकी समाधान और समावेशी मनोरंजन के क्षेत्र में उनके प्रयासों के लिए 2015 में उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. 

अनुभवी साउंड आर्टिस्ट और फिल्म प्रोड्यूसर नरेंद्र जोशी ने शोले का ऑडियो एक्सप्रेस कियास. वह कहते हैं, 'एक फिल्म का ऑडियो डिस्क्रिप्टर निर्देशक और दर्शकों के बीच एक पुल के रूप में कार्य करता है. इस तरह से फिल्म का वर्णन करने के लिए निर्देशक की पूरी तरह से समझदारी की आवश्यकता होती है. यह ऑडियो विवरण स्क्रिप्ट लिखने में मदद करता है. इसके लेखक को दृष्टिहीन लोगों के दिमाग में स्क्रीन पर जादू को दोबारा बनाने के लिए लिखते समय हमेशा ही दृष्टिहीन लोगों के दृष्टिकोण को ध्यान में रखना चाहिए.'

fallback

हमारी सहयोगी वेबसाइट डीएनए से साक्षी ट्रस्ट के संस्थापक और डेज़ी फोरम ऑफ इंडिया के अध्यक्ष, दीपेन्द्र मनोचा कहते हैं, 'हमारी दृष्टि यह है कि ऑडियो विवरण भारत में बनाई गई हर फिल्म के उत्पादन का हिस्सा बनना चाहिए ताकि यह सुविधा रिलीज के पहले दिन उपलब्ध हो, यह हर फिल्म को सभी तक पहुंचाने में मदद करेगी. वैसे भी हर प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और एक्टर चाहता है कि उसकी फिल्म हर वर्ग के हर इंसान तक पहुंचे.  
साक्षी के सह-संस्थापक, रुमी सेठ कहते हैं, 'सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के समर्थन के बिना इस तरह की कोशिश को पूरा करना मुश्किल था. जिन्होंने इस प्रयास के महत्व को महसूस किया है और हमें सिनेमा को सुलभ बनाने और दृष्टिहीन व्यक्ति को अच्छे मनोरंजन प्रदान करने में मदद की.'

बॉलीवुड की और भी खबरें यहां पढ़ें

Trending news