VIDEO : मां तो बस मां होती है, गौरी सावंत जैसी...
Advertisement

VIDEO : मां तो बस मां होती है, गौरी सावंत जैसी...

मां तो मां होती है... मां को हम एक औरत के रूप में ही देखते हैं, लेकिन क्या एक ट्रांसजेंडर औरत मां हो सकती है? अगर वो मां है तो आखिर वो कैसी मां है. ये वीडियो हमें सिखा रहा है कि मां तो बस मां होती है, गौरी सावंत जैसी. 

अपनी 'मां' के लिए डॉक्टर नहीं, 'मम्मी' के लिए वकील बनना चाहती है ये बेटी (Still grab)

नई दिल्ली : मां तो मां होती है... मां को हम एक औरत के रूप में ही देखते हैं, लेकिन क्या एक ट्रांसजेंडर औरत मां हो सकती है? अगर वो मां है तो आखिर वो कैसी मां है. ये वीडियो हमें सिखा रहा है कि मां तो बस मां होती है, गौरी सावंत जैसी. 

विक्स का एक नया विज्ञापन आया है. इस विज्ञापन से हम सब सीख सकते हैं कि मां कैसी होती है. इस विज्ञापन में एक छह साल की बच्ची की कहानी है, जिसे उसके जन्मदाता माता-पिता इस दुनिया में अकेला छोड़ कर चले गए. इसके बाद इस अनाथ बच्ची की जिंदगी में 'मम्मी' आती है. इस बच्ची को एक ट्रांसजेंडर महिला गोद लेती है और मां जैसा प्यार देती है.

इस बच्ची ने जिस तरह अपनी 'मम्मी' और अपनी जिंदगी की कहानी को हमें सुनाया, उस भावना और प्यार को शब्दों में बयां करना बेहद मुश्किल है. इस बच्ची की 'मम्मी'  जिंदगी के हर संघर्ष सहकर बेटी आगे बढ़ाने वाली कोई और नहीं ट्रांसजेंडर गौरी सावंत है.

विक्स के एक नए विज्ञापन में बच्ची गायत्री तथा उसे गोद लेने वाली मां गौरी सावंत के बीच के गहरे रिश्ते के बारे में बताया गया है. इस वीडियो की शुरुआत गायत्री से ही होती है, जो एक बस में बैठी है और बोर्डिंग स्कूल लौटने की तैयारी कर रही है. वह बताती है कि उसकी मां चाहती हैं कि वह बड़ी होकर डॉक्टर बने, लेकिन वह वकील बनना चाहती है, ताकि अपनी 'मम्मी' की मदद कर सके.

वीडियो में गायत्री बताती है कि पहली बार वह अपनी 'मम्मी' से कैसे मिली मिली थी. पिता को उसने कभी नहीं देखा, और जब वह बहुत छोटी थी तब असली मां भी गुजर गई थी. 'मम्मी' उसे अपने घर ले आई थीं. इसने वीडियो में उन सारे पलों का जिक्र किया जिसमें उसने अपनी 'मम्मी' के साश जिया है.

यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. इस वीडियो को विक्स इंडिया के यू-ट्यूब चैनल पर 29 मार्च को अपलोड किया जिसे अब तक 7,50,765 व्यूज मिल चुके हैं.

वीडियो के आखिर में गायत्री कहती है,  'मेरी नागरिक शास्त्र की किताब कहती है कि हर नागरिक को मूलभूत अधिकार मिलने चाहिए. तो फिर मेरी मम्मी को उनसे दूर क्यों रखा जाता है...?' इसके बाद वह कहती है 'इसीलिए मैं डॉक्टर नहीं, वकील बनना चाहती हूं.'

इस विज्ञापन की सोशल मीडिया पर जमकर तारीफ हो रही है. फिल्मकार करण जौहर ने भी इस विज्ञापन की प्रशंसा की है. 

कौन है गौरी सावंत 

गौरतलब है कि गौरी ने अपने दम पर अकेले गोद ली बेटी गायत्री का पालन-पोषण किया है. गौरी का जन्म मुंबई में दादर के मराठा परिवार में हुआ. उनका नाम गणेश नंदन हुआ करता था. वे सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) के बेटे थे. अपनी सेक्सुअलिटी के बारे में पिता से बात न कर पाने की वजह से गौरी घर से भाग गईं. आज वे 36 वर्षीय कास्ट्रेटेड ट्रांसजेंडर (बधिया की गई हिजड़ा) हैं, जिसके बदन पर साड़ी, दमकते गाल और माथे पर बड़ी-सी लाल बिंदी है.
कुछ साल पहले उन्होंने वेजाइनोप्लास्टी कराई और तय किया कि वे देह व्यापार और भीख मांगने की राह पर नहीं चलेंगी. वे घर से भागे हुए ट्रांसजेंडर्स के लिए मलाड के मलवाणी में सखी चार चौगी आश्रय स्थल चलाती हैं.

गौरी बताती हैं, ''मेरे गांव में उन्होंने मेरा अंतिम संस्कार कर दिया है. मेरे पिता ने उनसे कह दिया था कि मैं मर चुकी हूं.” उनके लिए आज भले ही बहुत देर हो चुकी है, लेकिन गौरी चाहती हैं कि अगली पीढ़ी को स्वीकार्यता, शिक्षा और रोजगार सब कुछ मिले. उन्होंने 2009 में ट्रांसजेंडर्स के लिए मान्यता की खातिर अदालत में पहला हलफनामा दाखिल किया था.

नाज फाउंडेशन ने उनकी अपील को आगे बढ़ाया, जिसे नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी ने जनहित याचिका का रूप दे दिया. इस याचिका की सुनवाई के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर्स को कानूनी पहचान दी. इस तरह खुद प्रतीकात्मक मौत मरने के बावजूद गौरी ने उन कई लोगों को नई जिंदगी दे दी है, जो पहचान की चाहत रखते हैं.

Trending news