Subhash Ghai Film: हर साल खबर आती है कि शाहरुख, आमिर और सलमान को लेकर फिल्म प्लान हो रही है. मगर ऐसा आज तक नहीं हुआ. कई साल पहले शो मैन सुभाष घई ने भी तीनों को साथ लाने की कोशिश की थी, लेकिन संभव नहीं हुआ. तब सिर्फ सलमान को लेकर घई ने फिल्म बनाई, तो वह भी नहीं चली.
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Aamir Shah Rukh And Salman Khan: जैसे एक दौर में निर्माता-निर्देशक राजेश खन्ना तथा अमिताभ बच्चन जैसे सुपर सितारों के साथ फिल्म बनाने का सपाना देखते थे, वैसे ही नई सदी में बहुतों का सपना खान तिकड़ी को लेकर फिल्म बनाने का रहा है. किसी का यह सपना सच में नहीं बदला. शो मैन कहलाने वाले सुभाष घई ने भी शाहरुख, आमिर और सलमान को साथ लेकर फिल्म बनाने का सपना देखा. कहानी और स्क्रिप्ट भी लिखी. लेकिन बात नहीं बनी. फिल्म थी, युवराज. 2008 में सलमान खान के साथ सुभाष घई की यह फिल्म बॉक्स ऑफिस (Box office) पर बड़ी फ्लॉप साबित हुई. फिल्म तीन राजकुमारों जैसे रईस भाइयों की कहानी थी, जो अलग-अलग रहते हैं. लेकिन जब पैसों की बात आती है तो पता चलता है कि उनके पिता ने मानसिक रूप से कमजोर सबसे बड़े भाई के नाम सारी जायदाद लिख दी है. आपसी झगड़े, दुश्मनों की दौलत पर नजर से लेकर भाइयों के मिल कर दुश्मनों से लड़ने की कहानी यहां हैं. दर्शकों ने फिल्म खारिज कर दी थी. 48 करोड़ रुपये में बनी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर 30 करोड़ के आस-पास की रिकवरी कर पाई थी.
क्यों नहीं जुड़ी खान तिकड़ी
घई ने फिल्म में तीन भाइयों का रोल आमिर खान (Aamir Khan), शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) और सलमान खान (Salman Khan) को देने का मन बनाया था. शाहरुख को सबसे बड़े, आमिर को मंझले और सलमान को सबसे छोट भाई का रोल देने का इरादा था. लेकिन आमिर खान को स्क्रिप्ट पसंद नहीं आई और उन्होंने इसमें काम करने से साफ मना कर दिया. शाहरुख ने भी फिल्म करने से इंकार कर दिया. रह गए सलमान. तब घई ने फिल्म की कास्टिंग को नए सिरे से तैयार करते हुए, सलमान को आमिर वाला लीड रोल दिया. बाकी दो किरदारों पर संजय दत्त, सनी देओल, अजय देवगन और अभिषेक बच्चन जैसे ऐक्टरों के पास से होते हुए अंततः अनिल कपूर (Anil Kapoor) और जायद खान को फिल्म में लिया गया. सलमान के अपोजिट पहले अमिषा पटेल से बात की गई लेकिन अंत मे कैटरीना कैफ इस रोल में आईं.
झगड़े के बाद दोस्ती
2001 में सलमान खान और सुभाष घई में एक फिल्मी पार्टी में झगड़े और मार-पीट के बाद सुलह गई थी. जब फिल्म की चर्चा इंडस्ट्री में शुरू हुई तो हर कोई इंतजार में था कि कैसे ये दोनों वाकई साथ में काम करेंगे. लेकिन फिल्म बनी और रिलीज हुई. मगर दर्शकों को कहानी में कोई खास नयापन नहीं लगा. स्क्रिप्ट में भी कसावट नहीं थी. युवराज में सुभाष घई उस पुराने जादू को तलाशने का संघर्ष करते दिख रहे थे, जिसने कालीचरण (1976) से ताल तक (1999) तक उन्हें इंडस्ट्री में टॉप पर रखा था. इसके बाद उनकी यादें (2001), कृष्णाः द वारियर (2005) और ब्लैक एंड व्हाइट (2008) जैसी फिल्में पिट चुकी थीं. युवराज में सलमान खान की मौजूदगी में भी किस्मत ने सुभाष घई का साथ नहीं दिया.
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