'आनंद मठ' का 'वंदे मातरम' राष्ट्रीय गीत में लता मंगेशकर के साथ हेमंत कुमार ही थे जिन्होंने अपनी आवाज से लोगों में जुनून भर दिया था.बनारस में जन्मे हेमंत मुखोपाध्याय ने अपने जीवन से लेकर गानों तक में खूब प्रयोग किए, जो उन्हें औरों से अलग बनाते हैं.
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लंबी कद काठी, धोती कुर्ता म्यूजिक डायरेक्शन के दौरान हाथ में सिगरेट...यही पहचान थी हेमंत कुमार की. बनारस में जन्में, बंगाल में पले बढ़े दादा बांग्ला और हिंदी फिल्मों के जबरदस्त सिंगर-कंपोजर थे. अपने गानों में प्रयोग इनकी खासियत थी. कौन भूल सकता है 'आनंद मठ' का 'वंदे मातरम'. राष्ट्रीय गीत जिसमें लता और हेमंत कुमार की आवाज ने आजादी के दीवानों के जुनून को बखूबी बयां किया था.
2020 में आई किताब 'द अनफॉर्गेटेबल म्यूजिक ऑफ हेमंत कुमार' (लेखक मानेक प्रेमचंद) में इसका जिक्र है. पहली बार हेमंत दा ने किसी हिंदी फिल्म के लिए संगीत दिया था. गीत में किया गया प्रयोग शानदार है. इसमें काउंटर मेलोडी का इस्तेमाल है यानि सिंगर का अलाप कुछ और है तो कोरस कुछ अलग ही धुन को पकड़ आगे बढ़ रहा है. एक खास बात ये कि उस दौर में मेल वॉइस के लिए कोरस में फीमेल सपोर्ट होता था लेकिन इस गीत में मेन फीमेल वॉइस को मेल कोरस का साथ मिला. लता मंगेशकर ने भी बड़ी शिद्दत से इसे गाया, मेहनत भी खूब की. खुद हेमंत दा ने अपने रेडियो शो में बताया था कि 21 टेक लिए गए थे.
डूबती फिल्म को बचाया
प्रयोग की बात होती है तो 'नागिन' का जिक्र छिड़ना लाजिमी है. 1954 में रिलीज हुई. इसके गानों ने तहलका मचा दिया. कहते हैं पिक्चर लोगों पर असर नहीं डाल रही थी तो डायरेक्टर ने हजार डिस्क रेस्त्राओं और होटल में पहुंचा दिए, जिससे गानों से बात बन जाए. हुआ भी ऐसा ही. एक गाना जो लोगों की जुबान पर चढ़ा वो था 'मन डोले मेरा तन डोले'. इसकी बीन की धुन लोगों के दिलो दिमाग पर छा गई. हेमंत दा ने खुद बताया था कि स्टूडियो में साजिंदों के बीच बीन की धुन फिट नहीं बैठती थी.
हेमंत कुमार ने पहली बार प्लेबैक सिंगर के तौर पर बांग्ला निमाई संन्यास के लिए 1941 में गाना रिकॉर्ड किया था. बांग्ला के सुपर स्टार उत्तम कुमार की आवाज थे हेमंत दा. तो हिंदी सिने जगत के देव आनंद की रोमांटिक आवाज बने. इरादा (1944) में हिंदी पार्श्व गायक के रूप में पहला ब्रेक मिला था तो बांग्ला फिल्म अभ्यात्री (1947) हेमंत कुमार की संगीत निर्देशक के तौर पर पहली फिल्म थी. जागृति के 'आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं' और 'दे दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढाल' ने लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचा दिया.
शुरू किया खुद का प्रोडक्शन हाउस
1950 के दशक में हेमंत-बेला नाम से अपना प्रोडक्शन हाउस शुरू किया था, जिसका बाद में नाम बदलकर गीतांजलि प्रोडक्शंस कर दिया गया. फिल्म 'नील आकाशेर नीचे' (1959) इस बैनर तले बनी पहली बांग्ला फिल्म थी, जिसे राष्ट्रपति का स्वर्ण पदक भी मिला.
लौटा दिया था पद्म भूषण
हेमंत दा जितने सरल सहज थे उतने ही स्वाभिमानी भी. 1987 में जब उन्हें पद्म भूषण के लिए नामांकित किया गया तो विनम्रता से ठुकरा दिया. कहा कि समय निकल चुका है. इससे पहले 1970 में भी पद्म श्री के लिए न कह चुके थे,
हेमंत कुमार का निधन
16 जून 1920 को बनारस में जन्मे हेमंत दा का निधन 26 सितंबर 1989 को कलकत्ता के नर्सिंग होम में हुआ। उन्हें दिल का दौरा पड़ा था.
इनपुट: एजेंसी
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