Sheikh khaled bin mohamed bin zayed al nahyan: विदेश मंत्रालय ने शनिवार शाम को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान 9-10 सितंबर 2024 को भारत की आधिकारिक यात्रा पर आएंगे. अबू धाबी के क्राउन प्रिंस के रूप में यह उनकी पहली भारत यात्रा होगी. उनके साथ UAE सरकार के कई मंत्री और एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भी होगा.
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India UAE Relations: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खास न्योते पर अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान 9-10 सितंबर 2024 को भारत की आधिकारिक यात्रा पर आएंगे. विदेश मंत्रालय ने शनिवार शाम को बताया कि अबू धाबी के क्राउन प्रिंस के रूप में वह पहली बार भारत आ रहे हैं. उनके साथ UAE सरकार के कई मंत्री और एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भी होगा.
इजरायल और हमास युद्ध से पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के बीच अहम यात्रा
हमास इजरायल संघर्ष से पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के बीच अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद की पहली भारत यात्रा बेहद अहम मानी जा रही है. दो दिवसीय यात्रा के दौरान वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कई मुद्दों पर अहम वार्ता करेंगे ताकि दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत हो सके. अल नाहयान की भारत यात्रा संयुक्त अरब अमीरात के साथ विकास के नए क्षेत्रों में साझेदारी के नये रास्ते भी खोलेगी.
पीएम मोदी से बातचीत के बाद मुंबई में बिजनेस फोरम में जाएंगे क्राउन प्रिंस
जानकारी के मुताबिक पीएम मोदी और अबू धाबी के क्राउन प्रिंस अपनी मुलाकात के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को लेकर बातचीत करेंगे. इसके अलावा दोनों नेताओं के बीच इजराइल-हमास संघर्ष से पैदा हालात को लेकर भी विचार-विमर्श की संभावना भी है. पीएम मोदी के बाद क्राउन प्रिंस राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मुलाकात करेंगे. राष्ट्रपिता गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए वह राजघाट भी जाएंगे. अल नाहयान दिल्ली के बाद बिजनेस फोरम में शामिल होने के लिए मुंबई जाएंगे. इस फोरम में दोनों देशों के शीर्ष व्यापारिक नेता भाग लेंगे.
भारत और यूएई के बीच ऐतिहासिक रूप से घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध
भारत और यूएई के ऐतिहासिक रूप से घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध हैं. हाल के सालों में भारत और यूएई के बीच राजनीतिक, व्यापार, निवेश, कनेक्टिविटी, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, शिक्षा और संस्कृति सहित कई क्षेत्रों में रणनीतिक साझेदारी पहले से गहरी हुई है. आइए, जानते हैं कि अरब स्थित एक मुस्लिम देश कैसे भारत का जिगरी यार बना? साथ ही यह भी जानते हैं कि भारत और यूएई के बीच कितना व्यापार है और अबू धाबी के क्राउन प्रिंस अल नाहयान की भारत यात्रा के दौरान क्या-क्या डील हो सकती है.
अरब का एक मुस्लिम देश कैसे हिंदू बहुल भारत का जिगरी यार बना?
मुस्लिम देशों के साथ धर्म निरपेक्ष देश भारत के रिश्ते फिलहाल बेहद अच्छे बताए जा रहे हैं. इसी सिलसिले में मुस्लिम देश यूएई के साथ भी भारत के संबंध काफी गहरे हैं. भारत और भारतीयों के लिए यह मुस्लिम देश खासा अहम है. भारत के लिए यूएई और यूएई के लिए भारत की अहमियत कई मायनों में खास है. हालांकि, दुनिया में इस्लाम या मुस्लिमों की शुरुआत से सैकड़ों साल पहले से भारत और यूएई (इसके पूर्ववर्ती अमीरात सहित) के बीच प्राचीन व्यापार नेटवर्क और घनिष्ठ संबंध थे, लेकिन 1971 में अरब संघ के गठन के बाद भारत और यूएई के संबंध और ज्यादा फूले-फले.
3000 ईसा पूर्व से भारत और यूएई के बीच सुमेरियों का कारोबारी रास्ता
इतिहासकारों के मुताबिक 3000 ईसा पूर्व से भारत और यूएई में कारोबारी रिश्ते थे. सुमेरियों ने यूएई के माध्यम से जुड़ते हुए मेलुहा ( सिंधु घाटी ), मगन (यूएई और ओमान ) और दिलमुन (बहरीन) के साथ व्यापार किया. समुद्री मार्गों ने रेशम, मसाले, सोना और चीनी मिट्टी के लिए भारत के साथ अरब व्यापार को सुविधाजनक बनाया गया था. इस्लामिक देश में तब्दील होने के बाद भी अरब देशों के लिए व्यापार अहम है. इसलिए भारत के साथ उसका संबंध बढ़ता ही रहा है.
भारत और यूएई के बीच कितना बड़ा द्विपक्षीय व्यापार है?
भारत और यूएई के बीच काफी बड़ो पैमाने पर द्विपक्षीय व्यापार है. यूएई इन दिनों भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. साल 2022-23 में दोनों देशों के बीच 84.84 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार हुआ था. भारत और यूएई के बीच खासकर पेट्रोलियम उत्पाद, रत्न और आभूषण, खाद्य पदार्थ, वस्त्र, रसायन और इंजीनियरिंग सामान का आयात-निर्यात किया जाता है. व्यापार के अलावा, यूएई भारत में निवेश भी कर रहा है. अप्रैल 2000 से सितंबर 2023 तक यूएई ने भारत में 16.67 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है.
यूएई में सबसे बड़े प्रवासी समुदाय के रूप में कार्यरत हैं भारतीय लोग
यूएई में भारतीय लोग सबसे बड़े प्रवासी समुदाय के रूप में कार्यरत हैं. एक आंकड़े के मुताबिक, यूएई में करीब 35 लाख भारतीय रहते हैं. यह UAE की कुल आबादी का करीब 38 फीसदी हिस्सा है. इनमें से करीब 27 लाख भारतीय ब्लू-कॉलर कर्मचारी के तौर पर काम करते हैं. इन लोगों की ओर से भेजी जाने वाली रकम विदेशी आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है. साल 2021 में भारतीयों ने यूएई से भारत 1.63 लाख करोड़ रुपये से अधिक भेजे थे.
पीएम मोदी ने पहली बार अगस्त 2015 में यूएई की यात्रा की थी. तब से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार के अलावा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध भी आगे बढ़ा. दोनों देशों ने सीमा पार लेनदेन के लिए फरवरी 2022 में एक व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते किए गए. वहीं, जुलाई 2023 में एक स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली पर हस्ताक्षर किए. पिछले कुछ सालों में भारत-यूएई ने रक्षा सहयोग में भी हाथ बढ़ाया है. जनवरी, 2024 में प्रथम भारत-यूएई द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास डेजर्ट साइक्लोन राजस्थान में हुआ था.
अबू धाबी के क्राउन प्रिंस की भारत यात्रा के दौरान क्या-क्या डील हो सकती है?
इससे पहले पीएम मोदी ने इस साल फरवरी में यूएई का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के साथ दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा और आठ समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे. इसमें सबसे महत्वपूर्ण कदम के तौर पर भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) के लिए एक अंतर-सरकारी ढांचा बनाने पर सहमति जताई गई थी. चीन के फैलते पंजे के जवाब में इसे बड़ा कदम बताया जा रहा है.
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यूएई क्राउन प्रिंस के आगामी दौरे में पीएम मोदी के साथ इस डील को सबसे ज्यादा तवज्जो मिल सकती है. इसके साथ ही द्विपक्षीय व्यापार, निवेश, राजनीतिक, संपर्क, उर्जा, तकनीक, शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में कुछ नई डील की चर्चा भी की जा रही है. इसमें शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में डील की अधिक संभावना भी है क्योंकि पीएम मोदी ने अबू धाबी की हालिया यात्रा में वहां पहले हिंदू मंदिर का भी उद्घाटन किया था. साथ ही अहलान में प्रवासी भारतीय समुदाय को भी संबोधित किया था.
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