Chaudhary Charan Singh News: मोदी सरकार ने किसान नेता चौधरी चरण सिंह समेत तीन हस्तियों को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा कर मास्टर स्ट्रोक खेल दिया. राजनीति पंडितों का कहना है कि बीजेपी ने इस एक कदम के जरिए पश्चिमी यूपी में हारी हुई 7 सीटों पर बाजी पलट दी है.
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Bharat Ratna 2024 Chaudhary Charan Singh: मोदी सरकार ने शुक्रवार को भारत रत्न सम्मान के लिए तीन नए नामों का ऐलान किया. इनमें पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव, कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन के साथ ही किसान नेता चौधरी चरण सिंह का नाम भी शामिल रहा. पीएम मोदी के इस ऐलान ने राजनीतिक पंडितों को एक बार फिर हैरान कर दिया. वजह थी कि भारत रत्न घोषित किए गए तीन नामों में से 2 नाम विरोधी पार्टी के नेताओं से जुड़े हुए थे. इनमें पीवी नरसिम्हा राव कांग्रेस नेता थे तो चौधरी चरण सिंह राष्ट्रीय लोक दल (पूर्व में लोक दल) के संस्थापक नेता थे. मोदी समर्थक सरकार के इस ऐलान को विरोधी नेताओं को सम्मान देने की पीएम मोदी की नीति का ही विस्तार बता रहे हैं. वहीं राजनीतिक एक्सपर्टों का कहना है कि चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न बनाकर बीजेपी ने पिछली बार हारी हुई 7 सीटों पर बाजी पलट दी है.
'दिल जीत लिया'
पीएम मोदी के लिए एक्सपर्ट ऐसी बात क्यों कह रहे हैं, उससे पहले यह जान लीजिए कि अपने दादा और देश के पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न मिलने के ऐलान पर जयंत चौधरी ने क्या कहा. जब पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा की तो जयंत चौधरी ने भी उस पर रिप्लाई करते हुए लिखा, 'दिल जीत लिया.'
'अब किस मुंह से इनकार करूं'
यही नहीं, जब बाद में पत्रकारों ने जयंत चौधरी से आरएलडी और बीजेपी के गठबंधन पर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा, कोई कसर रह गयी है क्या अब. अब किस मुंह से इनकार करूं. अब मैं ना कैसे बोल सकता हूं. उनके इस जवाब से स्पष्ट था कि बीजेपी की रणनीति सटीक बैठी है और उसे वह सब मिलने जा रहा है, जिसके लिए उसने यह घोषणा की है. राजनीतिक पंडितों के मुताबिक बीजेपी के निशाने पर पश्चिमी यूपी में लोकसभा की वे 7 सीटें हैं, जिन पर वर्ष 2019 में उसे हार झेलनी पड़ी थी. पार्टी को उम्मीद है कि आरएलडी के साथ आने से इस बार इन सातों सीटों पर फिर से कमल खिलाने में कामयाबी मिल सकती है.
चौधरी चरण सिंह के प्रति सम्मान का भाव
बताते चलें कि पश्चिम यूपी में गुर्जर और जाटों की आबादी करीब- करीब बराबर है. गुर्जर वोट जहां करीब 10 फीसदी हैं, वहीं जाट वोटर लगभग 12 फीसदी बताए जाते हैं. हालांकि एकजुट होकर वोट देने की प्रवृति की वजह जाटों की तादाद इस इलाके में अक्सर ज्यादा नजर आती है, जबकि गुर्जर वोटर बिखरे हुए हैं और वे किसी एक पार्टी के पीछे बंधने के बजाय कई कारकों को वोट देते रहे हैं. हालांकि दोनों में समानता ये है कि दोनों ही किसान जातियां हैं और उनके मुद्दे-समस्याएं एक जैसी हैं. चौधरी चरण सिंह के प्रति दोनों ही जातियों में सम्मान का भाव रहा है.
बीजेपी हार गई थी 7 सीटें
सहारनपुर से आगरा तक फैली इस बेल्ट बीजेपी पिछली बार लोकसभा की 7 सीटें हार गई थीं. इनमें सहारनपुरपुर में बीएसपी के हाजी फजलुररहमान, बिजनौर में बीएसपी के मलूक नागर, मुरादाबाद में एसपी से एसटी हसन, संभल से एसपी के शफीकुर्रहमान, अमरोहा में बीएसपी के कुंवर दानिश अली, नगीना में बीएसपी के गिरीश चंद और रामपुर में एसपी के आजम खान ने जीत हासिल की थी. इन सभी सीटों पर मुस्लिम मतदाता अच्छी खासी संख्या में हैं. हालांकि आजम खान के अयोग्य घोषित होने के बाद वर्ष 2022 में हुए उपचुनाव में बीजेपी के घनश्याम लोदी ने इस सीट पर जीत हासिल कर ली थी.
अखिलेश को हुआ था फायदा
पिछली बार आरएलडी और एसपी का गठबंधन था, जिसका फायदा सपा को मिला. मुस्लिमों के साथ जाट वोट मिलने से वह 4 सीटें जीत गई. जबकि 4 सीटें बीएसपी के हिस्से में गई. हालांकि इस समझौते से आरएलडी को कोई फायदा नहीं हुआ और वह एक भी सीट नहीं जीत पाई. यहां तक कि पार्टी मुखिया अजित सिंह और जयंत चौधरी दोनों हार गए. इस बार भी अखिलेश को उम्मीद थी कि जयंत को साथ लेकर वह इस इलाके में फिर से पहले जैसा कमाल दिखा पाएंगे.
पीएम मोदी के दांव से फिर गया पानी
हालांकि पीएम मोदी के इस दांव ने उनकी इस उम्मीद पर पानी फेर दिया है. चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा के बाद उम्मीद की जा रही है कि पश्चिम यूपी में इसका खास असर देखने को मिलेगा. खासकर जाट वोटर अपने दिवंगत लीडर को देश का सर्वोच्च सम्मान मिलने से बीजेपी के और नजदीक आ सकते हैं और जिन 7 सीटों पर बीजेपी पिछली बार हार गई थी, वहां पर जयंत चौधरी के साथ मिलकर इस बार कमल खिलाया जा सकता है.
पश्चिमी यूपी में हो सकता है फायदा
बताते चलें कि यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं. वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में एनडीए ने इनमें से 73 सीटों पर कब्जा किया था. इनमें से बीजेपी को 71 और अपना दल (एस) को दो सीटें मिली थीं. इसके बाद वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में एनडीए की सीटों की संख्या गिर गई और वह 80 में से केवल 64 सीटें ही जीत पाई. इनमें से 62 सीटें बीजेपी और 2 सीटें अपना दल (एस) ने जीती थीं. इस बार बीजेपी उम्मीद कर रही है कि चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न मिलने से यूपी से उसकी सीटों की संख्या एक बार फिर 70 को पार कर सकती हैं.