Heatwave Alert: 'जानलेवा' लू से बचकर! पीएम मोदी को क्‍यों लेनी पड़ गई बैठक?
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Heatwave Alert: 'जानलेवा' लू से बचकर! पीएम मोदी को क्‍यों लेनी पड़ गई बैठक?

Heatwaves alert: उत्तर से लेकर दक्षिण तक इन दिनों गर्मी के कहर से हर कोई परेशान है. हीटवेव को लेकर सरकार ने अलर्ट जारी किया है. ऐसे में आपको भी पूरा एहतियात बरतना चाहिए.

Heatwave Alert: 'जानलेवा' लू से बचकर! पीएम मोदी को क्‍यों लेनी पड़ गई बैठक?

Heatwave Alert: देश में भीषण गर्मी के पूर्वानुमान को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने लू की स्थिति से निपटने के लिए हुई तैयारियों का जायजा लिया. समीक्षा बैठक में लू के संभावित हालातों से निपटने पर विस्तार से चर्चा हुआ. मौसम विभाग (IMD) की चेतावनी के मुताबिक इस बार देश के 80 फीसदी हिस्से में सामान्य से ज्यादा गर्मी पड़ेगी. कई दिनों से लगातार हीट वेव का अलर्ट जारी किया जा रहा है. आगे भी मध्य पश्चिमी प्रायद्वीपीय भारत में भीषण गर्मी और लू चलने की संभावना बनी हुई है. ऐसे में जानते हैं कि कितनी खतरनाक होती है ये लू जिसके बारे में देश के प्राइम मिनिस्टर तक को सोचना पड़ा है.

2024 में लू का खतरा ज्यादा क्यों है?

मौसम विज्ञानियों का कहना है कि 2024 के मई-जून में गर्मी के सारे पुराने रिकॉर्ड टूट सकते हैं. मौसम विज्ञानियों के मुताबिक भू मध्य रेखीय प्रशांत महासागर में 'अलनीनो' की परिस्थिति बनी हुई है. वहीं प्रशांत महासागर की सतह औसत से अधिक गर्म है. इसका तापमान बढ़ने की वजह से भीषण गर्मी होने वाली है. 

भारत में हर साल प्रचंड गर्मी से कई लोगों की जान चली जाती है. 'अल नीनो' और जलवायु परिवर्तन के संयुक्त प्रभाव के कारण दुनिया में वर्ष 2024 का मार्च महीना अब तक का सबसे गर्म ‘मार्च महीना' रहा. पिछले साल जून के बाद से यह लगातार 10वां महीना है, जब तापमान ने रिकॉर्ड बनाया है. मौसम विज्ञानियों के मुताबिक दुनियाभर में मार्च महीने में औसत तापमान 14.14 डिग्री सेल्सियस रहा, जो 1850-1900 के इस महीने के औसत तापमान से 1.68 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा. वहीं 1991-2020 की बात करें तो मार्च का तापमान औसत से 0.73 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा. ऐसे में अप्रैल, मई और जून में भी पारा हाई रहने के पुराने रिकॉर्ड टूट सकते हैं.

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क्या होती है लू?

सामान्य बोलचाल की भाषा में कहें तो लू चलने के दौरान गर्मी अपनी चरम अवस्था पर होती है. भीषण गर्मी और गर्म हवाएं शरीर में ऐसा असर डाल सकती हैं, जिससे बीमार होने की स्थिति बन सकती है. लू लगने से प्रभावित शख्स बीमार हो सकता है. लू लगना वो स्थिति है, जो शरीर में गर्मी और बढ़ते तापमान की वजह से उत्पन्न होती है. इस दौरान शरीर का तापमान तेजी से बढ़ जाता है. ऐसे में ऐसे में सभी को संभलकर रहने की जरूरत है. क्योंकि, इलाज से बेहतर हमेशा बचाव होता है.

लू की घोषणा कब होती है?

मौसम विभाग, हीटवेव को हवा के तापमान की एक स्थिति के रूप में परिभाषित करता है. ये हीट वेव लंबे समय तक चलन पर इंसानों के लिए घातक हो सकती है. लू के थपेड़ों से चेहरे झुलसने जाते हैं. खासकर मैदानी इलाकों में, अगर अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक हो और पहाड़ों में 30 डिग्री तक पहुंच जाता है, तो लू चलने की घोषणा कर दी जाती है.

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हालांकि आमतौर पर हीटवेव चलना तब माना जाता है जब तापमान साल के उस समय के सामान्य तापमान से 4.5-6 डिग्री सेल्सियस अधिक होता है. इस हिसाब से हीट वेव से बचाव ही बेहतर है. यही वजह है कि लू चलने के दौरान जबतक बहुत जरूरी न हो लोगों को घरों, दफ्तरों या दुकानों के अंदर रहने की सलाह दी जाती है.

Heat Index :  तापमान से ज्‍यादा गर्मी क्यों लगती है?

गर्मियों के मौसम में कई बार होता है कि मौसम विभाग जितना तापमान बताता है, गर्मी उससे ज्‍यादा लगती है. ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि तापमान और उसके असर में थोड़ा फर्क रहता है. इसे हीट इंडेक्स के जरिए समझा जाता है. हीट इंडेक्स का डाटा निकालने में तापमान में बदलाव के साथ हवा में मौजूद आद्रता का भी ध्यान रखा जाता है. IMD के मुताबिक, हीट इंडेक्स से इंसानों को महसूस होने वाले तापमान की रेंज का पता चलता है. इससे पता चलता है कि तापमान के साथ आपके आसपास के वातावरण में गर्मी कितनी है. आसान भाषा में समझें तो हीट इंडेक्‍स वो तापमान है, जो आपको महसूस होता है.

देश पर लू का कितना असर?

भारत के 150 प्रमुख जलाशयों में जल स्तर कुल भंडारण क्षमता के 35 प्रतिशत से भी नीचे चला गया है. उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक पानी के लिए हाहाकार मचने की संभावना है. अप्रैल के पहले सप्ताह तक उपलब्ध पानी 61.801 बिलियन क्यूबिक मीटर था. जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 17 प्रतिशत कम है. कासकर दक्षिण भारत में स्थिति अधिक गंभीर है, जहां क्षेत्र के 42 जलाशयों की क्षमता अब 23 प्रतिशत रह गई है. बेंगुलुरू और चेन्नई में भीषण जल संकट है. 

लू का असर चारे की खेती, बागवानी, सब्जियों की कीमतों पर पड़ता है. लू के दौरान पानी की खपत बढ़ जाती है. ऐसे में पीने के पानी के साथ खेती के लिए पानी की समस्या बढ़ सकती  है. सब्जियों के दाम आसमान छू सकते हैं. बीते कुछ सालों में मई-जून में नींबू की ब्लैक मार्केटिंग होने लगती है. 

क्या लू है जानलेवा?

तापमान लगातार कई दिनों तक सामान्य से अधिक रहता है. ह्यूमिडिटी यानी उमस के कारण आपको ज्यादा गर्मी लग सकती है. समर सीजन में हाइड्रेट रहना जरूरी होता है. डिहाइड्रेशन से शरीर प्रभावित होता है. न्यूरोलॉजी नाम के जर्नल में छपी स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक तीन दशकों के वैश्विक डेटा के विश्लेषण के मुताबिक दुनियाभर में गर्मी के सीजन में स्ट्रोक के कारण होने वाली मौतें जलवायु परिवर्तन (climate change) और तापमान बढ़ने की वजह से हुई हैं. 

हीटवेव के दौरान ऊंचे तापमान से जोखिम पैदा होता है, जिससे खासतौर से बुजुर्गों, बच्चों और पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. इसकी सबसे अधिक मार गरीबों पर पड़ती है. लेकिन सावधानी सभी को बरतनी पड़ती है. 

लू से कैसे करें बचाव?

लू से बचाव के लिए भरपूर मात्रा में पानी पिएं. नींबू पानी और शिकंजी का सेवन करें. सत्तू का घोल पीने से भी शरीर को ठंडक पहुंचती है. अपने घर को ठंडा रखें. आप अपने शरीर का रुटीन चेकअप कराएं. खान काम खाएं. ज्यादा मेहनत वाले काम यानी फिजिकल एक्टविटी न करें. धूप में बाहर निकलें तो सिर और चेहरा ढका हो. पानी की बोतल हमेशा साथ रखें.

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