Bihar Political Crisis: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बिहार की सियासत में हलचल का दौर जारी है. अटकलें लगाई जा रही हैं कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) मुख्यमंत्री पद और महागठबंधन दोनों छोड़कर एनडीए में शामिल हो सकते हैं. अगर वह भाजपा के फार्मूले पर ऐसा करने के लिए राजी हुए तो फिर बड़ा सवाल उठता है कि बिहार का अगला मुख्यमंत्री (CM of Bihar) कौन होगा?
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Who After Nitish Kumar: बिहार की राजनीति में लंबे समय से जारी अटकलों का दौर जल्द ही खत्म हो सकता है. गुरुवार को दिन भर पटना में चले हाई प्रोफाइल राजनीतिक बैठकों का दौर दिल्ली शिफ्ट हो गया है. माना जा रहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार (Nitish Kumar) जल्द ही बड़ा फैसला ले सकते हैं. इसके साथ ही भाजपा भी पूरी तैयारी करने में जुट गई है.
पटना के बाद दिल्ली शिफ्ट हुआ बिहार के सियासी दिग्गजों की बैठकों का दौर
बिहार में सत्तारुढ़ महागठबंधन में सहयोगी दल जदयू और राजद की अलग-अलग बैठकों के बाद अब दिल्ली में भाजपा के दिग्गजों की बैठकों का दौर चल रहा है. कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार जल्द ही राजद के साथ गठबंधन तोड़कर भाजपा के साथ वापस आ सकते हैं. भाजपा के फॉर्मूले के मुताबिक मुख्यमंत्री पद छोड़कर नीतीश कुमार केंद्र में मंत्री बन सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो भाजपा की ओर से सीएम पोस्ट के लिए संभावित चेहरों पर चर्चा शुरू हो गई है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जगह लेने के लिए भाजपा में संभावित चेहरों पर चर्चा
बिहार में भाजपा-जदयू गठबंधन बनने की सूरत में अयोध्या राम मंदिर, पीएम मोदी के चेहरे और समाजवादी पुरोधा कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न सम्मान दिए जाने की घोषणा का लाभ लेने के लिए लोकसभा चुनाव 2024 के साथ ही विधानसभा चुनाव भी करवाए जाने की अटकलें है. हालांकि, इससे पहले नीतीश कुमार की जगह लेने के लिए भाजपा में तीन बड़े चेहरे पर विचार किए जाने की बात सामने आई है. आइए जानते हैं कि अगर बिहार में सबकुछ भाजपा की शर्तों के मुताबिक हुआ तो उसके किन चार चेहरों पर सबकी निगाहें हैं?
भाजपा आलाकमान के साथ बैठक करने पहुंचे दिल्ली पहुंचे बिहार भाजपा के ये तीन बड़े नेता
भाजपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी और पूर्व डिप्टी सीएम रेणु देवी को दिल्ली में केंद्रीय नेताओं के साथ बिहार की सियासी हालत पर चर्चा कर रहे हैं. इनमें से सुशील कुमार मोदी पहले से ही दिल्ली में बताए जाते हैं. वहीं, सम्राट चौधरी पटना से दिल्ली आए हैं. कहा जा रहा है कि गुरुवार को चौधरी जिस फ्लाइट से पटना से दिल्ली आ रहे थे, उसी में नीतीश कुमार के राजनीतिक सलाहकार और जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी भी सवार थे. वहीं, नित्यानंद राय भी दिल्ली में होने वाली अहम बैठकों में शामिल किए गए हैं.
बिहार के प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े से मिले तीनों नेता, अमित शाह से भी मुलाकात की चर्चा
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और बिहार के प्रभारी विनोद तावड़े ने सम्राट चौधरी, सुशील कुमार मोदी, रेणु देवी और नित्यानंद राय को अपने आवास पर बैठक के लिए बुलाया. इस पहली मीटिंग के बाद बिहार भाजपा के नेता केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर सकते हैं. इस बारे में पूछने पर सम्राट चौधरी ने कहा कि जब बैठक होगी तब बताऊंगा. बाकी दोनों नेताओं ने हाई प्रोफाइल बैठकों पर फिलहाल कुछ नहीं कहा है. दूसरी ओर, बिहार भाजपा के बाकी नेता केंद्रीय नेतृत्व के संकेतों का इंतजार कर रहे हैं.
बिहार में जदयू और राजद की अलग-अलग बैठकों में क्या हुआ? लालू यादव- नीतीश कुमार में फोन पर बात
इसके पहले बिहार के सीएम और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने मुख्यमंत्री आवास में अपने करीबी ललन सिंह, संजय झा, उमेश कुशवाहा और विजय चौधरी सहित कई नेताओं के साथ हाई लेवल मीटिंग की. वहीं, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव समेत कई सीनियर नेताओं ने राबड़ी देवी के आवास पर बैठक कर आगे की रणनीति बनाई. सूत्रों के मुताबिक महागठबंधन और सरकार बचाने के लिए लालू प्रसाद यादव ने फोन पर नीतीश कुमार को बाहर से समर्थन देने की पेशकश की.
भाजपा- जदयू के गठबंधन में किस बात की देरी, बिहार में क्यों फंस रहा है सियासी पेंच
बिहार की राजनीति के जानकारों के मुताबिक, केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा और बिहार में सत्तासीन जदयू के बीच गठबंधन में देरी की वजह मुख्यमंत्री पद को लेकर रस्साकशी ही है. बिहार विधानसभा में विधायकों की अधिक संख्या होने को लेकर भाजपा ने मुख्यमंत्री पद पर दावा ठोका है. कहा जा रहा है कि इसके एवज में भाजपा ने नीतीश कुमार को केंद्र में मंत्री बनाए जाने की पेशकश की है. जदयू से एक डिप्टी सीएम बनाए जाने के ऑफर की भी बात सामने आ रही है. क्योंकि भाजपा को जदयू और नीतीश कुमार के पुराने पैटर्न को देखकर अपने कार्यकर्ताओं की नाराजगी बढ़ने की चिंता है.
क्यों लग रहा कि भाजपा के फॉर्मूले पर मान जाएंगे नीतीश कुमार, कर रहे रास्ते की तलाश
विधानसभा चुनाव 2020 में नीतीश कुमार को लेकर एंटी इनकंबेंसी का खामियाजा भाजपा को भी झेलना पड़ा था. इसके चलते ऊंची जातियों के लोगों का भी वोट पाकर राजद राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बन गया था. इसलिए लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा बिहार में अब अतिरिक्त सावधानी बरत रही है. वहीं, नीतीश कुमार इस बात से चिंतित हैं कि कहीं राजद उनकी पार्टी के 12 विधायकों को तोड़कर फिर से सरकार न बना ले. क्योंकि विधानसभा स्पीकर राजद का होने से मामला कोर्ट में भी गया तो उसे लंबे समय तक खींचकर सरकार में बना रहा जा सकता है.
इसलिए नीतीश कुमार सरकार और विधायक दोनों गंवाने से बेहतर भाजपा के फॉर्मूले को मान रहे हैं. साथ ही भाजपा की ओर से खुले तौर पर सम्मानजनक पेशकश का इंतजार कर रहे हैं.