Two State Solution: कैप्टन अमेरिका का मिशन इम्पॉसिबल! गाजा युद्ध के बीच बाइडेन ने फिर उछाला ये सिक्का
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Two State Solution: कैप्टन अमेरिका का मिशन इम्पॉसिबल! गाजा युद्ध के बीच बाइडेन ने फिर उछाला ये सिक्का

Joe Biden: बाइडेन को पता है यह मिशन इम्पॉसिबल है. खुद अमेरिका का भी स्टैंड इस पर बदलता रहा है. ट्रंप के कार्यकाल में इस सिद्धांत को लगभग छोड़ दिया गया था और पलड़ा इजरायल की तरफ झुका हुआ था. ट्रंप ने बकायदा पूर्वी यरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता दे दी थी.

Two State Solution: कैप्टन अमेरिका का मिशन इम्पॉसिबल! गाजा युद्ध के बीच बाइडेन ने फिर उछाला ये सिक्का

Israel Palestine Struggle: इजराइल हमास युद्ध शायद अब लंबा खिंच जाए. ऐसा खुद इजरायल के पीएम कह रहे हैं. युद्ध शुरू होने के तीन सप्ताह होने को आए, बेंजामिन नेतन्याहू बोले यह लंबा और कठिन होगा. वहीं युद्ध को शांत कराने वाले थक गए हैं, इनमें फिलहाल 'कैप्टन अमेरिका' जो बाइडेन और मध्य-पूर्व के देश शामिल हैं. गरमागरमी भी हुई लेकिन युद्ध चलता रहा है. अब फिर जो बाइडेन ने कुछ ऐसा कह दिया कि ना तो उससे इजरायल खुश होगा ना ही फिलिस्तीन खुश होगा. व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में जो बाइडन ने कहा कि अरब नेताओं को इस युद्ध के बाद की स्थिति के बारे सोचना चाहिए. उन्हें टू स्टेट सॉल्यूशन यानि कि 'दो राष्ट्र समाधान' पर सहमत होना चाहिए. यह ऐसा सिद्धांत है जिसके बारे में लंबे समय से बातचीत हो रही है लेकिन इस पर एकराय नहीं बन पाई है. अब फिर जो बाइडेन ने इस मिशन इम्पॉसिबल का शिगूफा छोड़ दिया है. देखना होगा कि इस पर क्या प्रतिक्रिया सामने आती है.

क्या है 'दो राष्ट्र समाधान'
असल में इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष दुनिया के सबसे पुराने और जटिल संघर्षों में से एक है. इस संघर्ष के समाधान के लिए 'दो राष्ट्र समाधान' की थ्योरी उछाली जाती है. यह एक ऐसा सिक्का है जिसे अमेरिका भी समय-समय पर उछालता रहा है. लेकिन क्या यह सिद्धांत वास्तव में व्यवहार में लागू हो सकता है, इसे समझने की जरूरत है. क्योंकि इसकी संभावना ना के बराबर नजर आती है. इसका सबसे बड़ा कारण खुद इजरायल और फिलिस्तीन है. वे दोनों कभी के-दूसरे के अस्तित्व को स्वीकार करने वाले नहीं है. दो-राष्ट्र सिद्धांत के अनुसार पश्चिमी किनारे गाजा और पूर्वी यरुशलम में साल 1967 की संघर्षविराम रेखा से पहले के क्षेत्र में एक स्वतंत्र फिलिस्तीन राष्ट्र का निर्माण होना चाहिए, यह राष्ट्र इजरायल के साथ शांति से रहे. दो-राष्ट्र सिद्धांत को दोनों पक्षों के नेताओं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा अपनाया गया है. इसमें संयुक्त राष्ट्र, अरब लीग, यूरोपीय संघ, रूस, और अमेरिका भी शामिल रहे. यही दो-राष्ट्र सिद्धांत है. लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है. 

यह 'मिशन इम्पॉसिबल' है
अब जबकि बाइडेन ने फिर इसे उछाल दिया है जबकि खुद उनको पता है यह मिशन इम्पॉसिबल है. अमेरिका का भी स्टैंड इस पर बदलता रहा है. मसलन डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में इस सिद्धांत को लगभग छोड़ दिया गया था और पलड़ा इजरायल की तरफ झुका हुआ था. ट्रंप ने बाकायदा पूर्वी यरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता दे दी थी. फिलहाल हमास के हमले के बाद अब यह मिशन ठंडे बस्ते में चला गया है. दोनों पक्ष अब एक दूसरे को समाप्त करने का प्रण ले चुके हैं. इजरायल ने पूर्वी येरुशलम को अपने आधिकारिक राजधानी के रूप में दावा करता है, जबकि फिलिस्तीन इस क्षेत्र को अपने भविष्य की राजधानी के रूप में देखता है.

बाइडेन के बयान का क्या मतलब?
अब जबकि बाइडेन ने फिर इस मुद्दे को छेड़ दिया है तो आगे क्या होने वाला है, उसे समझने की जरूरत है. बाइडेन के इस प्रस्ताव से दोनों पक्ष खुश नहीं होंगे. इससे इजरायल को अपनी तरफ से रियायतें करनी पड़ेंगी. इजरायल यह तभी करेगा जब फिलिस्तीनियों को अपने हथियार डाल देंगे होंगे और किसी शांति समझौते पर सहमत होना पड़ेगा, जो कि हमास और कुछ अन्य देश ऐसा कभी होने नहीं देंगे. फिलिस्तीनियों ने खुद ही रियायतें देने से इनकार कर दिया है. वे लगातार इजरायल के कब्जे को समाप्त करने और एक स्वतंत्र राज्य बनाने की मांग करते हैं. दो राष्ट्र सिद्धांत एक ऐसा विचार रहा है जो दशकों से अमेरिकी नेताओं के लिए मुश्किल साबित हुआ है. खुद बाइडेन ने अपने राष्ट्रपति पद के चुनाव अभियान में इसका वादा किया था, लेकिन शुरुआती दौर में उन्होंने इस मुद्दे पर कम जोर दिया, अब हमास के हमले के बाद फिर उनका बयान आ गया है.

आखिर क्या चाहता है अमेरिका
एक्सपर्ट्स का मानना है कि बाइडेन का यह रुख आश्चर्यजनक है. यहां एक तथ्य यह भी है कि इस युद्ध के बाद बाइडेन ने इजरायल का दौरा किया और यह भी ऐलान कर दिया कि इस युद्ध में वह इजरायल के साथ है तो वहीं दूसरी तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति ने गाजा और वेस्ट बैंक में रह रहे लाखों फिलिस्तीनी लोगों के लिए 100 मिलियन डॉलर के लिए 100 मिलियन डॉलर का राहत पैकेज का ऐलान कर दिया था. वहीं अब यदि वह दो-राष्ट्र समाधान पर जोर देना जारी रखता है, तो वह इजरायल के साथ अपने संबंधों को खराब कर सकता है. अगर वह इस मुद्दे पर चुप रहता है, तो वह इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने की अपनी क्षमता को कम कर सकता है. बाइडेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, जेक सुलिवन, ने हाल ही में एक लेख में लिखा था कि प्रशासन दो-राष्ट्र समाधान के लिए प्रतिबद्ध है. लेकिन इस दृष्टिकोण के रास्ते में कई बाधाएं हैं.

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