Explainer: दुनिया का पहला लकड़ी का सैटेलाइट काम कैसे करता है? अंतरिक्ष में टिका रहा तो बहुत कुछ बदल जाएगा
Advertisement
trendingNow12503527

Explainer: दुनिया का पहला लकड़ी का सैटेलाइट काम कैसे करता है? अंतरिक्ष में टिका रहा तो बहुत कुछ बदल जाएगा

LignoSat World's First Wooden Satellite: जापान ने दुनिया का पहला लकड़ी से बना सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजा है. लिग्नोसैट नामक यह सैटेलाइट टेस्ट में कामयाब रहा तो अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में बड़ा बदलाव आ सकता है.

Explainer: दुनिया का पहला लकड़ी का सैटेलाइट काम कैसे करता है? अंतरिक्ष में टिका रहा तो बहुत कुछ बदल जाएगा

World's First Wooden Satellite: जापान ने लकड़ी से उपग्रह बनाकर अंतरिक्ष में लॉन्च भी कर दिया है. LignoSat नाम का यह छुटकू सैटेलाइट 5 नवंबर को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर पहुंच गया. SpaceX के ड्रैगन कार्गो कैप्सूल में सवार होकर ISS पर उतरे 'लिग्नोसैट' को करीब महीने भर बाद, पृथ्‍वी की कक्षा में स्थापित कर दिया जाएगा. सब ठीक रहा तो अगले छह महीने तक सैटेलाइट पर लगे इलेक्ट्रॉनिक्स लकड़ी के ढांचे की सेहत के बारे में जानकारी धरती पर भेजेंगे.

लिग्नोसैट हर तरफ से सिर्फ 4 इंच (10 सेंटीमीटर) लंबा है. इसके छोटे आकार पर मत जाइए. अगर क्योटो यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स द्वारा बना यह वूडेन सैटेलाइट अंतरिक्ष में टिक पाया तो भविष्य की अंतरिक्ष उड़ानों पर गहरा असर पड़ेगा.

LignoSat: लकड़ी से बने सैटेलाइट की खास बातें

CNN की एक रिपोर्ट के अनुसार, क्योटो यूनिवर्सिटी में वन विज्ञान के प्रोफेसर कोजी मुराता ने कहा, '1900 के दशक की शुरुआत में हवाई जहाज लकड़ी से बने होते थे. लकड़ी का उपग्रह भी काम करना चाहिए.' उन्होंने बताया कि पृथ्वी की तुलना में अंतरिक्ष में लकड़ी अधिक टिकाऊ है, क्योंकि वहां पानी या ऑक्सीजन नहीं है जो उसे सड़ाए या जला दे.

यह भी पढ़ें: दुनिया के किस समुद्र तट पर कितना कचरा है, अंतरिक्ष में मौजूद सैटेलाइट देखकर बता देगा

लिग्नोसैट को पारंपरिक जापानी तकनीक का उपयोग करके, बिना किसी पेच या गोंद के बनाया गया है. पारंपरिक सैटेलाइट मुख्य रूप से एल्यूमीनियम से बने होते हैं. जब वे जिंदगी के आखिर में, पृथ्वी के वायुमंडल में जलते हैं तो एल्यूमीनियम ऑक्साइड पैदा करते हैं. इससे ग्लोबल वार्मिंग होती है और ओजोन परत को नुकसान पहुंच सकता है.

जापानी रिसर्च टीम के सदस्यों ने कहा कि लिग्नोसैट जैसे लकड़ी के सैटेलाइट्स में एल्यूमीनियम की जगह मैगनोलिया की लकड़ी का इस्तेमाल होता है. जब वे पृथ्वी पर वापस आएंगे तो वे वायुमंडल में ऐसे हानिकारक प्रदूषक तत्व नहीं छोड़ेंगे.

अविश्वसनीय! एक सेकंड में 716 बार घूमने वाले तारे की खोज, भीतर होते हैं परमाणु बमों जितने शक्तिशाली विस्फोट

अंतरिक्ष में रहकर क्या करेगा लिग्नोसैट?

एक बार स्थापित होने के बाद, लिग्नोसैट छह महीने तक कक्षा में रहेगा. उस पर लगे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण यह मापेंगे कि लकड़ी अंतरिक्ष के चरम वातावरण में किस प्रकार टिक पाती है. अंतरिक्ष के अंधेरे से सूर्य के प्रकाश की ओर परिक्रमा करते समय तापमान हर 45 मिनट में -100 से 100 डिग्री सेल्सियस (-148 से 212 डिग्री फारेनहाइट) तक घटता-बढ़ता रहता है.

विज्ञान के क्षेत्र की नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें Latest Science News In Hindi और पाएं Breaking News in Hindi देश-दुनिया की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!

Trending news