Taiwan President Election: ताइवान में राष्ट्रपति का चुनाव होने जा रहा है और नजर पूरी दुनिया की है. यहां के चुनाव में एक तरफ लोकतंत्र तो दूसरी तरफ चीन से बेहतर संबंध और इन सबके बीच घरेलू मुद्दे चर्चा के केंद्र में हैं, यहां हम बताएंगे कि करीब 36 हजार वर्ग किमी में ताइवान का चुनाव क्यों है खास.
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मुल्क तो छोटा लेकिन इसका महत्व ज्यादा है. आपके दिमाग में सवाल उठ रहे होंगे आखिर वो कौन सा मुल्क है जिसके बारे में ना सिर्फ चीन बल्कि अमेरिका भी दिलचस्पी रख रहा है. जी हां बात ताइवान की करने जा रहे है. हम सब जानते हैं कि ताइवान के बारे में चीन की नीयत हमेशा से खराब रही है, वो दावा करता है कि ताइवान अलग कहां वो तो हमारा हिस्सा है. उसका जब मन करता है ताइवान के एयरस्पेस में चहलकदमी करता है. हालांकि इन सबके बीच करीब 36 हजार वर्ग किमी में फैला यह देश चीन को चुनौती देता रहता है. इन सबके बीच आज इस छोटे से मुल्क के जिक्र करने की वजह क्या है. दरअसल यहां पर राष्ट्रपति पद के लिए 13 जनवरी को मतदान होने वाला है. इस चुनाव पर ना सिर्फ चीन की बल्कि दुनिया के दूसरे देशों की भी निगाह लगी हुई है.
चुनावी लड़ाई में तीन बड़े चेहरे
ताइवानी राष्ट्रपति के चुनाव में तीन बड़े चेहरे एक दूसरे को चुनौती पेश कर रहे हैं. इन तीनों का एजेंडा अलग अलग है. इस समय डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी का शासन है. यह दल पिछले तीन बार से सत्ता में है और चौथी बार सत्ता हासिल करने की कवायद में जुटी हुई है. वाइस प्रेसिडेंट लाई चिंग ते को सबसे आगे बताया जा रहा है. इनके बारे में कहा जाता है कि चीन का मुकाबला करने के लिए हमें लोकतंत्र को और मजबूत करना होगा. वहीं इनके मुकाबले में दो और चेहरे हैं जो चुनौती पेश कर रहे हैं. कुओमिंगटैंग पार्टी से नाता रखने वाले हाउ यू-इह कहते हैं कि हकीकत तो यह है कि ताइवान चीन के बीच बेहतर संबंधों में लाई ही सबसे बड़ा रोड़ा है. बता दें कि हाउ को चीन के साथ बेहतर संबंधों का हिमायती माना जाता है, वहीं इन सबके बीच एक और नाम को वेन जी का है इनका रिश्ता ताइवान पीपल्स पार्टी से है. इस दल के बारे में कहा जाता है कि ये ना ती चीन विरोधी और ना ही चीन समर्थक है. इनके एजेंडे में ताइवान के घरेलू मुद्दे हैं
लोकतंत्र बनाम घरेलू मुद्दे
को वेन जी कहते हैं कि सिर्फ राष्ट्रवाद और लोकतंत्र का नारा बुलंद कर डीपीपी कब तक ताइवान के घरेलू मुद्दे से मुंह मोड़गी. हमारे यहां जनसंख्या में तेजी से गिरावट आ रही है. अगर बाहर से लोग ताइवान ना आएं तो हमारे लिए काम करना मुश्किल हो जाएगा. ताइवान में मौजूदा फर्टिलिटी रेट सिर्फ 1.250 है यानी कि महिलाएं बच्चे नहीं पैदा करना चाहतीं. हालांकि यह मुद्दा तीनों दलों के लिए अहम है और चुनावी प्रचार के दौरान उसका जिक्र भी कर रहे हैं. अब सवाल यह है कि ताइवान में क्या लोकतंत्र के मुद्दे पर घरेलू मुद्दे भारी पड़ रहे हैं.
इस संबंध में जानकार कहते हैं कि बात ऐसी नहीं है. इसमें कोई दो मत नहीं कि फर्टिलिटी का मुद्दा तीनों दलों के लिए अहम है. पिछले साल नवंबर के महीने में एक प्रेस कांफ्रेंस में को वेन जी ने बाकायदा इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया और ऐसा माना जाता है कि उन्होंने इस मुद्दे को चुनावी शक्ल भी दिया. को वेन ने कहा था कि अगर वो सत्ता में आते हैं तो वे नोवेल प्रेग्नेंसी बोनस की सुविधा देंगे. हालांकि डीपीपी के लाइ ने जवाब देते हुए कहा था हमने तो पहले ही साफ कर दिया था कि जो अविवाहित महिलाओं को पार्किंग की सुविधा नहीं मिलेगी. यही नहीं इस तरह के लोगों की वजह से राष्ट्रीय सुरक्षा और स्थायित्व पर असर पड़ रहा है. हालांकि इसके अलावा कोविड मिसमैनेजमेंट को भी जोरशोर से उठाया जा रहा है.
ताइवान राष्ट्रपति चुनाव चीन के लिए अहम
2024 का यह इलेक्शन इसलिए भी अलग है क्योंकि चीन किसी भी कीमत पर ताइवान को अपना हिस्सा बनाने की फिराक में है. वजह भले ही सांस्कृतिक हो. हाल के दिनों में हम सबने देखा है कि ताइवान को धमकाने का कोई भी मौका चीन नहीं छोड़ता और जब वो ऐसा करता है कि तो अमेरिका खुद को ताइवान के लिए डिफेंस शील्ड के तौर पर पेश कर देता है. चीन और ताइवान के बीच संबंधों में बुरा दौर साल 2019 से शुरू हुआ. चीन ने पिछले 20 साल में पहली बार सीमा को पार किया थाय यही नहीं 2020 के बाद से तो ताइवानी एयर स्पेस का उल्लंघन आम बात हो गई थी. गुजरे हुए साल के अंतिम दिन यानी 31 दिसंबर को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने साफ तौर पर कहा कि हम एक होंगे इसका अर्थ यही था कि ताइवान को अपने अस्तित्व को खोना होगा.
दुनिया की क्यों है नजर
अब सवाल यह है कि महज 36 हजार वर्ग किमी में फैले ताइवान पर दुनिया की नजर क्यों है. दरअसल सेमी कंडक्टर के क्षेत्र में ताइवना इकलौता ऐसा देश है जो 90 फीसद सेमी कंडक्टर का उत्पादन करता है. बता दें कि सेमी कंडक्टर का इस्तेमाल ना सिर्फ ऑर्टिफिसियल इंटेलिजेंस बल्कि क्वांटम कंप्यूटिंग एप्लीकेशन में भी होता है. वैश्विक स्तर पर सेमी कंडक्टर की डिमांड बढ़ी है. दुनिया के ताकतवर देशों को भरोसा है कि मौजूदा समय में वही देश अधिक तरक्की करेगा जिसका इस फील्ड में दबदबा होगा. ताइवान के प्रति चीन के आक्रामक रवैये या अमेरिकी झुकाव के पीछे इसे अहम बताया जा रहा है.