तेलंगाना विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद रेड्डी, स्टेडी, यो... का नारा लगाया जाने लगा है. इसके लिए रेस शुरू होने से पहले के कमांड रेडी, स्टेडी, गो... को बदला गया है. इसकी वजह बने तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनुमुला रेवंत रेड्डी की कहानी क्या है?
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Revanth Reddy : रेस शुरू होने से पहले कहे जाने वाले कमांड रेडी, स्टेडी, गो... को तेलंगाना विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद रेड्डी, स्टेडी, यो... के नारे में बदलकर दोहराया जाने लगा है. इसकी वजह हैं तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनुमुला रेवंत रेड्डी. उन्होंने बीआरएस (पहले टीआरएस) प्रमुख और दो बार के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) को सत्ता से बेदखल कर तेलंगाना में पहली बार अकेले दम पर सरकार बनाने का रास्ता साफ कर दिया है. रेवंत रेड्डी को तेलंगाना में कांग्रेस की करिश्माई जीत का प्रमुख रणनीतिकार बताया जा रहा है. कहा जा रहा है कि रेवंत रेड्डी ने तेलंगाना में पांच साल पहले 2018 में 19 सीट जीतने वाली कांग्रेस को विधानसभा चुनाव 2023 में 64 सीटों तक पहुंचा कर सरकार बनाने वाली स्थिति में पहुंचा दिया.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जरिए की छात्र राजनीति
भारतीय जनता पार्टी के मूल संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्टूडेंट विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में जाकर छात्र राजनीति से सार्वजनिक जीवन की शुरुआत करने वाले रेवंत रेड्डी को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का काफी करीबी और भरोसेमंद बताया जाता है. हैरत की बात यह भी है कि चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी के साथ राजनीतिक पारी शुरू करने वाले रेवंत रेड्डी में राहुल गांधी ने ऐसा क्या देखा कि उन्हें कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया. रेवंत रेड्डी साल 2017 में कांग्रेस में आए, 2018 में विधानसभा चुनाव हारे, फिर 2019 में मलकाजगिरी लोकसभा सीट से सांसद बने और साल 2021 में उन्हें तेलंगाना कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया. कांग्रेस ने 2023 का विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्व में ही लड़ा. प्रचार अभियान के दौरान राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ वह सबसे ज्यादा देखे गए. कांग्रेस की रैलियों में उन्हें देखकर भीड़ ने सीएम-सीएम के नारे भी लगाए. आइए, जानते हैं कि रेवंत रेड्डी की कहानी क्या है?
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के पीछे भी रेवंत रेड्डी
देश के सबसे बड़े जिले में से एक रहे अविभाजित आंध्र प्रदेश के महबूबनगर जिले के कोंडारेड्डी पल्ली में 8 नवंबर, 1969 को जन्मे रेवंत रेड्डी के पब्लिक लाइफ की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से हुई थी. उस्मानिया यूनिवर्सिटी के ए.वी. कॉलेज से कला स्नातक की डिग्री पाने वाले रेवंत रेड्डी को कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को 'भारत जोड़ो यात्रा' के ज़रिये चुनाव लड़ने की रणनीति देने वाले नेताओं में भी शामिल माना जात है. रेवंत रेड्डी ने छात्र जीवन के बाद साल 2006 में स्थानीय राजनीति में कदम बढ़ाया था. पहली बार में ही वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मिडजिल मंडल से ZPTC सदस्य चुने गए. इसके अगले साल 2007 में वह बतौर निर्दलीय उम्मीदवार पहली बार विधान परिषद सदस्य चुन लिए गए.
चंद्रबाबू नायडू की TDP में सीखे सियासत के जरूरी गुर
रेवंत रेड्डी का कहना है कि तेलुगूदेशम पार्टी (TDP) प्रमुख और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू से मुलाकात के बाद वह उनकी पार्टी में शामिल हो गए। इसके बाद साल 2009 में उन्होंने टीडीपी उम्मीदवार के रूप में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़कर कांग्रेस के पांच बार के विधायक गुरुनाथ रेड्डी को हरा दिया. इसके बाद साल 2014 में उन्होंने तेलंगाना विधानसभा चुनाव में एक बार फिर कोडांगल सीट से TDP प्रत्याशी के रूप में ही उतर कर गुरुनाथ रेड्डी को पराजित किया. इसके बाद TDP ने उन्हें सदन में नेता के रूप में चुन लिया. कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा तेज होने के बाद रेवंत रेड्डी को 25 अक्टूबर, 2017 को टीडीपी ने सदन के नेता पद से हटा दिया. पांच दिन बाद ही 31 अक्टूबर को रेवंत रेड्डी ने कांग्रेस ज्वाइन कर लिया. साल 2018 में कांग्रेस की टिकट पर वह कोडांगल सीट से ही चुनाव मैदान में उतरे और केसीआर की पार्टी टीआरएस (अब बीआरएस) उम्मीदवार पटनम नरेंद्र रेड्डी के सामने पहली बार हार का मुंह देखा.
दिग्गज कांग्रेसी नेता के हैं दामाद, केसीआर के उम्मीदवार ने दी पहली मात
पारीवारिक बात करें तो साल 1992 में रेवंत रेड्डी का विवाह कांग्रेस के दिग्गज नेता जयपाल रेड्डी की भतीजी या भांजी अनुमुला गीता से हुआ है. रेड्डी दंपति की एक बेटी है, जिसका नाम नैमिषा रेड्डी है. 2018 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद रेवंत रेड्डी को कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2019 में मलकाजगिरी संसदीय सीट से उतारा, जहां उन्होंने TRS कैंडिडेट मर्री राजशेखर रेड्डी को मात दी. इसके बाद कांग्रेस ने 20 सितंबर, 2018 को तीन कार्यकारी अध्यक्षों में शामिल कर लिया. विधानसभा चुनाव 2023 में रेवंत रेड्डी ने कोडांगल और कामारेड्डी दो विधानसभा सीटों पर किस्मत आजमाई थी. अपने पारंपरिक सीट कोडांगल में वह जीत गए, लेकिन कामारेड्डी सीट से भाजपा उम्मीदवार ने उन्हें मात दे दी.
स्टिंग ऑपरेशन के बाद हुई थी गिरफ्तारी, तेलंगाना हाई कोर्ट ने दी राहत
तमाम चर्चित नेताओं की तरह रेवंत रेड्डी का भी विवादों से पुराना नाता है. तेलंगाना पुलिस की अपराध निरोधक शाखा (एसीबी) ने मई 2015 में रेवंत रेड्डी को रिश्वत देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था. मनोनीत विधायक एल्विस स्टीफेंसन को विधान परिषद चुनाव में टीडीपी उम्मीदवार के पक्ष में मतदान से जुड़े एक स्टिंग ऑपरेशन के बाद उनके खिलाफ यह कार्रवाई की गई थी. तेलंगाना हाई कोर्ट ने इस मामले में 30 जून को रेवंत रेड्डी को सशर्त जमानत दी थी. पिछले महीने ही हैदराबाद गन पार्क में चुनाव आचार संहिता के उललंघन के आरोप में तेलंगाना पुलिस ने रेवंत रेड्डी को गिरफ्तार किया था. इससे पहले उन्होंने सीएम केसीआर को गिरफ्तार करवाने की चुनौती दी थी.
रेवंत रेड्डी को आरएसएसएस अन्ना कहते हैं ओवैसी, कांग्रेस में भी विरोधी गुट
एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी रेवंत रेड्डी के आरएसएस के साथ अब भी संबंध होने का दावा करते हुए कहते हैं कि रेवंत रेड्डी का नाम आरएसएस अन्ना . क्योंकि उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत आरएसएस के साथ की है और वह कभी भी आरएसएस का साथ नहीं छोड़ सकते. ओवैसी ने तो यहां तक आरोप लगाया था कि हैदराबाद में कांग्रेस ऑफिस को नागपुर ऑफिस से आरएसएस चीफ मोहन भागवत कंट्रोल करते हैं. इसके अलावा तेलंगाना कांग्रेस के कई सीनियर नेता भी रेवंत रेड्डी की तेज तरक्की पर सवाल उठाते हैं और उन्हें भाजपा का भेजा हुआ आदमी कहते हैं. हाल ही में भाजपा नेता बंदी संजय कुमार की तारीफ के बाद कांग्रेसी नेताओं ने रेवंत रेड्डी पर जमकर हमला बोला था. हालांकि, आलाकमान की नजरों में रेवंत रेड्डी का ग्राफ अब काफी बढ़ गया है.