Explained: 'गोवा के रक्षक' की कहानी, जिनका पार्थिव शरीर 400 साल से संभालकर रखा गया है
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Explained: 'गोवा के रक्षक' की कहानी, जिनका पार्थिव शरीर 400 साल से संभालकर रखा गया है

Saint Francis Xavier Relics Exposition: गोवा के संरक्षक संत और कैथोलिक देवता कहे जाने वाले संत फ्रांसिस जेवियर के पवित्र अवशेषों की पूजा और उनसे प्रार्थना करने के लिए 45 दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में भाग लेने के लिए दुनिया भर से तीर्थयात्री और पर्यटक गोवा पहुंच रहे हैं. आइए, जानते हैं कि गोवा में संत फ्रांसिस जेवियर के पवित्र अवशेषों की प्रदर्शनी के दौरान क्या होता है?

Explained: 'गोवा के रक्षक' की कहानी, जिनका पार्थिव शरीर 400 साल से संभालकर रखा गया है

The story of 'God of Goa': 'गोवा के रक्षक' कहे जाने वाले और गोवा के संरक्षक बताए जाने वाले कैथोलिक ईसाई संत फ्रांसिस जेवियर के पवित्र अवशेषों की दस सालों पर होने वाली प्रदर्शनी आज गुरुवार (21 नवंबर) से शुरू हो रही है. यह अगले साल 5 जनवरी तक लगातार चलती रहेगी. दुनिया भर के टूरिस्ट और खासकर कैथोलिक ईसाई समुदाय के तीर्थयात्री संत फ्रांसिस जेवियर को श्रद्धांजलि देने के लिए अगले 45 दिनों तक गोवा में जुटेंगे.

बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस में 400 साल से रखा है पार्थिव शरीर

इस दौरान संत फ्रांसिस जेवियर के पार्थिव शरीर को श्रद्धा के साथ सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए रखा जाएगा. आध्यात्मिक चिंतन, भक्ति और उत्सव का समय माने जाने वाले इस कार्यक्रम यानी प्रदर्शनी के दौरान सामूहिक प्रार्थना, सेवा, नोवेना और जुलूस सहित कई धार्मिक समारोह आयोजित होंगे. आइए, जानते हैं कि गोवा में इस हद तक सम्मानित संत फ्रांसिस जेवियर कौन थे? पुराने गोवा के बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस में उनके पार्थिव शरीर को 400 साल से क्यों सुरक्षित रखा गया है?

संत फ्रांसिस जेवियर कौन थे? क्या है गोवा के गॉड की पूरी कहानी

स्पैनिश जेसुइट मिशनरी संत फ्रांसिस जेवियर सोसाइटी ऑफ जीसस के संस्थापक सदस्यों में से एक थे.  पुराने गोवा में बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस में साल 1624 से अब तक "खराब नहीं हुआ" उनका पार्थिव अवशेष रखा गया है. संत फ्रांसिस जेवियर को “गोएनचो सैब” (गोवा के भगवान) के रूप में भी जाना जाता है. वह साल 1542 में तब एक पुर्तगाली उपनिवेश रहे गोवा पहुंचे थे. राजा जॉन तृतीय ने उन्हें गोवा में बसने वाले पुर्तगालियों के बीच ईसाई धर्म को पुनर्स्थापित करने का आदेश दिया था. यही उनका प्राथमिक मिशन भी था.

चीन के तट से दूर शांगचुआन द्वीप पर 1552 में उनकी मृत्यु हो गई. उन्हें पहले द्वीप पर दफनाया गया था. अगले वर्ष, उनके शरीर को निकाला गया और मलक्का ले जाया गया. वहां कई महीनों तक सेंट पॉल चर्च में उनका पार्थिव शरीर रखा गया. बाद में संत के पार्थिव शरीर को 1554 में गोवा भेजा गया.गोवा में जेसुइट्स द्वारा निर्मित पहली इमारत यानी पुराने गोवा में सेंट पॉल कॉलेज में अवशेष को रखा गया था. बाद में 1613 तक शरीर को बेसिलिका के पास कासा प्रोफेसा में ट्रंसफर कर दिया गया था, और आखिरकार 1624 में बेसिलिका में रखा गया था.

संत फ्रांसिस जेवियर के अवशेष की प्रदर्शनी के दौरान क्या होता है? 

संत फ्रांसिस जेवियर के पार्थिव शरीर की प्रदर्शनी के दौरान, अवशेषों को रखने वाला चार सदी पुराना चांदी और कांच से बना ताबूत एक निजी समारोह में बेसिलिका में समाधि स्थल से नीचे उतारा जाएगा. गुरुवार को एक औपचारिक जुलूस में इन पवित्र अवशेषों को बेसिलिका से लगभग 300 मीटर दूर सी कैथेड्रल तक ले जाया जाएगा और अगले 45 दिनों तक सार्वजनिक दर्शन के लिए रखा जाएगा.

संत फ्रांसिस जेवियर के पवित्र अवशेषों की पूजा गोवा की नई परंपरा

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में आर्कडायोसिस की प्रदर्शनी समिति के संयोजक फादर हेनरी फाल्काओ ने कहा, "प्रदर्शनी संत फ्रांसिस जेवियर के पवित्र अवशेषों की पूजा है. यह कई वर्षों से गोवा में एक परंपरा रही है. यह एक चमत्कारी अवशेष है और ईश्वरीय हस्तक्षेप का संकेत है... कई बार दफनाए जाने के बावजूद उनके शरीर में अब तक कोई विकृति नहीं आई और हर बार जब शरीर को खोदकर निकाला गया, तो उसमें जस का तस पाया गया है."

फादर हेनरी फाल्काओ ने आगे कहा, "यह प्रदर्शनी कोई व्यावसायिक आयोजन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक आयोजन है. पिछले कुछ वर्षों में, यह एक अंतरराष्ट्रीय आयोजन भी बन गया है. कैथोलिकों के लिए, यह हमारे व्यक्तिगत जीवन और सामाजिक जीवन के नवीनीकरण के बारे में है. ईश्वर में हमारे विश्वास को मजबूत करने के लिए यह आस्था का एक सामूहिक आयोजन है..." 

1554 में निधन और 1622 में संत की घोषणा, कब शुरू हुई ये परंपरा? 

कहा जाता है कि गोवा की यह दशकीय परंपरा अपेक्षाकृत नई है, लेकिन संत फ्रांसिस जेवियर के अवशेषों को लंबे समय से जनता के सामने रखा जाता रहा है. श्रद्धेय संत के शरीर को विश्वासियों के बीच एक चमत्कार के रूप में देखा जाता है, क्योंकि इसमें खराब होने के बेहद कम लक्षण दिखाई देते हैं. ऐसा माना जाता है कि 1554 में उनकी पुण्यतिथि पर पहली बार जनता की पूजा के लिए पार्थिव शरीर को प्रदर्शित किया गया था. 1622 में संत को संत घोषित किए जाने के बाद, इस परंपरा को और अधिक प्रमुखता मिली.

संत का शरीर गोवा में नहीं है... 1782 में अफ़वाह फैलने के बाद प्रदर्शनी

संत फ्रांसिस जेवियर के अवशेषों के खराब होने के डर और अप्रिय घटनाओं से बचने के लिए बाद में पार्थिव शरीर को ताबूत में रख दिया गया. साल 1782 में, अफ़वाहें फैलीं कि संत का शरीर गोवा में नहीं है, और उसकी जगह कोई दूसरा शरीर रख दिया गया है. इसके बाद, इन अफ़वाहों को दूर करने के लिए एक सार्वजनिक प्रदर्शनी आयोजित की गई. इसके बाद, 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, विशेष अवसरों पर अनियमित अंतराल पर पवित्र अवशेषों को प्रदर्शित किया जाना शुरू हुआ था.

1961 में गोवा के पुर्तगाली शासन से मुक्त होने के बाद नियमित आयोजन

शुरुआत में इस आयोजन को ही पार्थिव शरीर की गंभीर प्रदर्शनी के रूप में जाना जाता था. साल 1961 में गोवा के पुर्तगाली शासन से मुक्त होने के बाद यह एक नियमित आयोजन बन गया, और 1964 से हर दशक में एक बार आयोजित किया जाता है. फादर फाल्काओ ने कहा, "यह अठारहवीं प्रदर्शनी है. हमें इस बार 8 मिलियन से अधिक लोगों के गोवा आने की उम्मीद है. हालांकि, सही संख्या का अनुमान लगाना कठिन है. साल 2014 में पिछली प्रदर्शनी के दौरान 5.5 मिलियन से अधिक लोग आए थे." 

संत के अवशेष की सार्वजनिक प्रदर्शनी के लिए क्या है विशेष व्यवस्था?

चर्च के अधिकारियों ने कहा कि संत के पवित्र अवशेषों वाले ताबूत को पिछले प्रदर्शनों की तरह लोगों के समूहों के कंधों पर ले जाने के बजाय एक विशेष रूप से डिज़ाइन की गई इलेक्ट्रिक गाड़ी में ले जाया जाएगा.  फादर फाल्काओ ने कहा, "हम पवित्रता बनाए रखने और अराजकता से बचने के लिए ऐसा करना चाहते थे. 21 नवंबर को सुबह 9.30 बजे उद्घाटन के बाद पवित्र अवशेषों का बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस से कैथेड्रल तक एक भव्य जुलूस निकाला जाएगा."
गोवा की संस्कृति और परंपरा को प्रदर्शित करने के लिए पहली बार 80 सदस्यीय ब्रास बैंड जुलूस समारोह का हिस्सा होगा. 

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सरकारी तैयारी के बारे में गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने क्या कहा?

गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि 45 दिवसीय आध्यात्मिक आयोजन की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. उन्होंने कहा, "हमने गरीबों को मुफ्त आवास मुहैया कराने के लिए एक अनोखा तीर्थयात्री गांव बनाया है. आयोजन के प्रबंधन के लिए एक विशेष प्रशासनिक कार्यालय और सचिवालय बनाया गया है. 27 दिसंबर को सी कैथेड्रल परिसर में लाइट एंड म्यूजिक शो की योजना बनाई गई है. परिवहन के लिए, मुख्य शहरों से तीर्थयात्रियों को लाने के लिए विशेष बसें चलाई जाएंगी." 

सीएम सावंत ने कहा कि चौबीसों घंटे सुरक्षा और यातायात की आवाजाही के लिए 700 से अधिक पुलिस कर्मियों को तैनात किया जाएगा. मार्च में, सावंत ने घोषणा की थी कि राज्य प्रधानमंत्री कार्यालय से पोप फ्रांसिस को गोवा में प्रदर्शनी के लिए आमंत्रित करने का अनुरोध करेगा.

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गोवा में प्रदर्शनी के लिए पोप फ्रांसिस को आमंत्रित क्यों नहीं किया जा सका? 

इस बारे में फादर फाल्काओ ने कहा, "यह वास्तव में कभी भी संभव नहीं होने वाला था. क्योंकि पोप का कार्यक्रम कम से कम दो साल पहले तय किया जाता है. इसके कुछ प्रोटोकॉल हैं. मेरी जानकारी के अनुसार, पोप को केंद्र सरकार द्वारा आमंत्रित किया जाना चाहिए, राज्य सरकार द्वारा नहीं. राज्य केवल केंद्र से अनुरोध कर सकता है. मुझे नहीं लगता कि उन्हें केंद्र से कोई औपचारिक निमंत्रण गया था."

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