संविधान तो बदल दिया पर ये छोटी सी गलती कर बैठे उद्धव, हाथ से फिसल गई शिवसेना
Advertisement
trendingNow12053309

संविधान तो बदल दिया पर ये छोटी सी गलती कर बैठे उद्धव, हाथ से फिसल गई शिवसेना

Uddhav Thackeray: महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर का यह फैसला कई मायनों में महत्वपूर्ण है. इस फैसले में राहुल नार्वेकर ने कई महत्वपूर्ण चीजों का जिक्र किया है. इसे ऐसे समझने की जरूरत है कि उद्धव ठाकरे ने ऐसी क्या गलती कर दी, जिसके चलते ना वो पार्टी बचा सके और ना ही सरकार बचा सके.

संविधान तो बदल दिया पर ये छोटी सी गलती कर बैठे उद्धव, हाथ से फिसल गई शिवसेना

Eknath Shinde And Shivsena: असली शिवसेना किसकी है? शिंदे गुट के 16 विधायकों की योग्यता क्या है? इन सवालों का जवाब महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने अपने लंबे फैसले में सुना दिया है. इसका मतलब साफ हो गया है कि राज्य सरकार की स्थिति जस की तस बनी हुई है और उद्धव ठाकरे को तगड़ा झटका लगा है. अपने फैसले में वैसे तो राहुल नार्वेकर ने कई महत्वपूर्ण चीजों का जिक्र किया है लेकिन इसे ऐसे भी समझने की जरूरत है कि उद्धव ठाकरे ने ऐसी क्या गलती कर दी, जिसके चलते ना वो पार्टी बचा सके और ना ही सरकार बचा सके. पहले तो सरकार जाने पर कई तरह की चीजें सामने आईं जिसमें कांग्रेस से समझौता करना भी है. लेकिन उसके बाद जब पार्टी बचाने की बात आई तो भी उद्धव ठाकरे ने एक बड़ी चूक कर दी, जिसके बारे में राहुल नार्वेकर ने अपने फैसले में जिक्र किया है.

क्या बोले विधानसभा स्पीकर?

असल में शिवसेना शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता के मामले में अपना फैसला सुनता हुए महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि एकनाथ शिंदे को हटाने की ताकत उद्धव ठाकरे के पास नहीं थी. शिवसेना प्रमुख के पास पार्टी के किसी भी नेता को हटाने का अधिकार नहीं है. एकनाथ शिंदे को विधायक दल के नेता पद से हटाया जाना स्वीकार नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में भी शिंदे गुट को ही असली शिवसेना का दर्जा दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए मैने निर्वाचन आयोग के निर्णय का भी ध्यान रखा है. उद्धव ठाकरे ने निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती दी थी. 

कहां चूके उद्धव ठाकरे
हुआ यह कि जब पार्टी में टूट के बाद उन्होंने संविधान बदला तो इसकी जानकारी चुनाव आयोग में नहीं दी. अपने हलफनामें में उन्होंने संविधान के बदलाव के बारे में जानकारी नहीं दी और चुनाव आयोग में शिवसेना के तब के संविधान के बारे में जिक्र है जब पार्टी नहीं टूटी थी. राहुल नार्वेकर ने इसका जिक्र अपने फैसले में किया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि कोर्ट के अनुसार दोनों गुटों ने पार्टी के संविधान के अलग-अलग संस्करण प्रस्तुत किए हैं, तो उस मामले में किस बात को ध्यान में रखा जाना चाहिए, जो संविधान प्रतिद्वंद्वी गुटों के उभरने से पहले दोनों पक्षों की सहमति से चुनाव आयोग को प्रस्तुत किया गया था. ऐसे में शिंदे गुट को बढ़त है. 

'1999 का संविधान ही सर्वमान्य'
राहुल नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना का 1999 का संविधान ही सर्वमान्य और सर्वोपरि है. संशोधन निर्वाचन आयोग के रिकॉर्ड पर नहीं है. नार्वेकर ने उद्धव ठाकरे गुट के वकील देवदत्त कामत की भी दलीलों का जिक्र किया. उन्होंने यह भी कहा कि शिवसेना के 2018 संशोधित संविधान को वैध नहीं माना जा सकता क्योंकि यह भारत के चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, मैं किसी अन्य कारक पर नहीं जा सकता जिसके आधार पर संविधान मान्य है. रिकॉर्ड के अनुसार, मैं वैध संविधान के रूप में शिव सेना के 1999 के संविधान पर भरोसा कर रहा हूं.

अब महाराष्ट्र में क्या होगा?
फिलहाल अपने लंबे फैसले में विधानसभा स्पीकर ने शिवसेना शिंदे गुट के 16 विधायकों की योग्यता पर बड़ा फैसला सुनाते हुए उनकी योग्यता बरकरार रखी है. उन्होंने कहा कि यह फैसला बहुमत के आधार पर हुआ है. ऐसे में अब महाराष्ट्र सरकार की स्थिति जस की तस बनी रहेगी. उधर उद्धव गुट एक बार फिरसे सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं.

Trending news