US President Election Date 2024: लाखों अमेरिकी 5 नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक उपराष्ट्रपति कमला हैरिस या उनके रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप को वोट देंगे.
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US Elections 2024: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए मंगलवार (05 नवंबर, 2024) को मतदान होगा. भारत में संघीय सरकार चुनने के लिए कई चरणों में मतदान होता है. इसके उलट, अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए सिर्फ एक दिन वोटिंग होती है. वहां हर चार साल पर, नवंबर माह के पहले मंगलवार को मतदान कराने की व्यवस्था है. अमेरिका में 150 से भी ज्यादा साल से, नवंबर की शुरुआत में मतदान होता आया है. लेकिन यह परंपरा कब और कैसे शुरू हुई, इसके बारे में लोगों की जानकारी कम है. आइए, आज आपको बताते हैं कि पूरा अमेरिका आखिर एक साथ नवंबर के पहले मंगलवार को वोट क्यों डालता है.
अमेरिका के चुनावी सिस्टम का इतिहास
अमेरिका की चुनावी प्रक्रिया भारत की तरह सेंट्रलाइज्ड नहीं है. संघीय चुनाव आयोग, अभियान वित्त कानूनों की देखरेख करता है, जबकि राज्य और स्थानीय प्राधिकरण चुनाव प्रक्रिया का प्रबंधन करते हैं. हर राज्य मतदाता पात्रता से लेकर बैलट डिजाइन और मतगणना प्रक्रियाओं तक को लेकर, अपने चुनाव नियम तय करता है. इस वजह से, मतदान और मतगणना प्रक्रिया पूरे देश में बड़े पैमाने पर अलग हो सकती है. हालांकि, राष्ट्रपति चुनाव की तारीख पूरे देश में एक ही रहती है- नवंबर का पहला मंगलवार.
19वीं सदी के मध्य तक, अमेरिका के हर राज्य में अलग-अलग दिन वोटिंग हुआ करती थी, बशर्ते कि मतदान दिसंबर में इलेक्टोरल कॉलेज की बैठक से पहले करा लिया जाए. 1844 में राष्ट्रपति चुनाव नवंबर की शुरुआत से लेकर दिसंबर तक चले थे. कुछ लोगों को लगा कि यह व्यवस्था उतनी कारगर नहीं है. हिस्ट्री डॉट कॉम के अनुसार, यह डर भी था कि अलग-अलग दिन वोटिंग से नतीजों पर असर पड़ सकता था.
तमाम शंकाओं को दूर करने के लिए, 1845 में अमेरिकी कांग्रेस ने एक अधिनियम पारित किया. उस कानून के जरिए राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव की तारीख तय कर दी गई. अधिनियम में कहा गया है कि यह तारीख 'नवंबर महीने के पहले सोमवार के बाद आने वाले मंगलवार को' होनी चाहिए. लेकिन मंगलवार ही क्यों चुना गया? और नवंबर का पहला मंगलवार ही क्यों? इसकी भी अपनी कहानी है.
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क्यों अमेरिका में नवंबर के पहले मंगलवार को होती है वोटिंग?
उस दौर में अमेरिका एक नया देश था, उसे अस्तित्व में आए 100 साल भी नहीं हुए थे. अधिकतर आबादी खेती करती थी. नवंबर का महीना इसलिए चुना गया क्योंकि यह वसंत के व्यस्त बुआई सीजन या शरदकालीन फसल के सीजन में नहीं पड़ता था. साथ ही यह, ठंड आने से पहले आता था.
अधिकतर किसान दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में रहते थे, जो शहरों के पोलिंग सेंटर्स से काफी दूर थे. यानी, उन्हें वोट डालने के लिए लंबा सफर तय करना पड़ता जिसमें एक दिन लग जाता. चुनाव का दिन तय करने के लिए बड़ी माथापच्ची की गई. रविवार इसलिए नहीं चुना जा सकता था क्योंकि ईसाई उस दिन चर्च जाते हैं. बुधवार को बाजार लगते थे तो उस दिन किसान फसलें व अन्य सामान बेचने में व्यस्त रहते.
लोग रविवार और बुधवार को यात्रा भी नहीं कर पाते, इसलिए सोमवार या गुरुवार को चुनाव रखने का विचार भी त्याग दिया गया. मंगलवार हर लिहाज से मुफीद दिन बैठ रहा था. इसलिए नवंबर महीने के पहले मंगलवार को ही मतदान कराना तय किया गया.
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अमेरिका में कैसे चुना जाता है नया राष्ट्रपति?
अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव लोगों द्वारा सीधी वोटिंग के जरिए नहीं होता. 5 नवंबर को अमेरिकी वोटर्स डेमोक्रेट कमला हैरिस या रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप के लिए वोट करेंगे. लेकिन वे वोट सीधे तौर पर यह निर्धारित नहीं करेंगे की कौन जीतेगा. ऐसा इलेक्टोरल कॉलेज की वजह से होगा. यह अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव का अनोखा सिस्टम है.
पॉपुलर वोट देश भर के नागरिकों द्वारा डाले गए व्यक्तिगत वोटों की कुल संख्या को कहते हैं. यह लोगों की प्रत्यक्ष पसंद को दर्शाता है, जहां हर वोट को समान रूप से गिना जाता है.
अमेरिकी जब वोट देते हैं, तो वे वास्तव में उन इलेक्टर के ग्रुप के लिए वोट कर रहे होते हैं जो इलेक्टोरल कॉलेज में उनकी पसंद का प्रतिनिधित्व करेंगे. ये इलेक्टर फिर अपने राज्य के भीतर लोकप्रिय वोट के आधार पर राष्ट्रपति के लिए वोट करते हैं. यानी अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव राष्ट्रीय मुकाबले की जगह पर राज्य-दर-राज्य मुकाबला है. 50 राज्यों में से किसी एक में जीत का मतलब है कि उम्मीदवार को सभी तथाकथित इलेक्टोरल कॉलेज वोट मिल गए.
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कुल 538 इलेक्टोरल कॉलेज वोट हैं. राष्ट्रपति पद जीतने के लिए उम्मीदवार को बहुमत - 270 या उससे ज्यादा - हासिल करने की जरूरत होती है. उनका साथी उप-राष्ट्रपति बनता है. यही वजह है कि किसी उम्मीदवार के लिए पूरे देश में कम वोट हासिल होने पर भी राष्ट्रपति बनना संभव है, अगर वह इलेक्टोरल कॉलेज बहुमत हासिल कर ले.
अगर कोई भी उम्मीदवार बहुमत हासिल नहीं कर पाता तो हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव (अमेरिकी संसद का निचला सदन) राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए वोट करता है. हालांकि, ऐसा सिर्फ एक बार हुआ है, 1824 में. जब चार उम्मीदवारों में इलेक्टोरल कॉलेज वोट बंट गए जिससे उनमें से किसी एक को भी बहुमत नहीं मिल पाया था. (एजेंसी इनपुट्स)