संगठन बड़ा कि सरकार? यूपी में पिछले 100 घंटों में जो हुआ... बीजेपी के लिए ना निगलते बन रहा ना उगलते
Advertisement
trendingNow12340816

संगठन बड़ा कि सरकार? यूपी में पिछले 100 घंटों में जो हुआ... बीजेपी के लिए ना निगलते बन रहा ना उगलते

UP BJP: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ बनाम केशव प्रसाद मौर्य कौन कर रहा है? सरकार बड़ा है कि संगठन बड़ा है? इसका जवाब किसके पास है.. यूपी में कार्यकर्ताओं का चहेता कौन है और कौन बनना चाहता है. ये सारे सवाल बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के सामने यक्ष प्रश्न बनकर खड़े हैं. मजबूत सरकार होते हुए भी आखिर ऐसा क्या है कि पार्टी हिचकोले खा रही है.

संगठन बड़ा कि सरकार? यूपी में पिछले 100 घंटों में जो हुआ... बीजेपी के लिए ना निगलते बन रहा ना उगलते

मैं हमेशा से कहता आया हूं कि उप मुख्यमंत्री बाद में हूं बीजेपी कार्यकर्ता पहले हूं. और आप लोग इस बात को नोट कर लीजिए कि संगठन सरकार से बड़ा होता है. संगठन बड़ा था और हमेशा बड़ा रहेगा. रविवार को यूपी की राजधानी लखनऊ में बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में खचाखच भरे नेताओं ने सबसे जोरदार तालियां इन्हीं लाइनों पर बजाईं. ये लाइनें सूबे के डिप्टी सीएम और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने अपने भाषण में कहीं. ये तकरीबन सौ घंटे पहले की बात है. तब से लेकर लखनऊ से दिल्ली तक बीजेपी की राजनीति पर नजर रखने वालों ने कई उठापटक देख लिए. क्या ये बात आश्चर्यजनक नहीं है कि जिस प्रदेश में योगी जैसा सशक्त सीएम हो और मजबूत सरकार हो, वहां कोई पार्टी खुद को अजीब स्थिति में खड़ी पा रही है. आखिर ऐसा क्यों हुआ.. इसे समझने की जरूरत है. 

असल में यह घटना तो लखनऊ में घटी लेकिन पूरे देश की सियासत में तबसे एक ही चकरी चल रही है कि यूपी का चक्कर क्या है. CM योगी और डिप्टी CM केशव मौर्य के बीच चल क्या रहा है? इसके पीछे कौन है. किसी के पास कोई क्लू नहीं है. कार्यसमिति की बैठक में भी ये नहीं बताया गया कि लोकसभा चुनाव में यूपी के प्रदर्शन के पीछे का कारण क्या है.

सिलसिलेवार बैठकों का दौर.. नतीजा क्या?

कार्यसमिति की बैठक रविवार को हुई. अगले दिन सोमवार को केशव प्रसाद मौर्य दिल्ली रवाना. वहां भी जेपी नड्डा से मंगलवार को मुलाकात हुई. एक नहीं दो दो बार मुलाकात हुई. अगले दिन बुधवार को यूपी प्रदेशाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह पीएम मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा से मिले. फिर बुधवार शाम आते-आते सीएम योगी राज्यपाल आनंदीबेन से मिलने पहुंच गए. इतनी मेल मुलाकातों के बाद भी कुछ स्पष्ट नहीं हुआ कि क्या होने वाला है. बस यही बुलबुला सामने आया कि सिर्फ कुछ फेरबदल होंगे. क्या होंगे अभी भी ये बात परदे के पीछे है. 

इधर सीएम योगी भी फ्रंटफुट पर..

CM योगी ने 10 उपचुनावों की तैयारियों पर बुधवार को बीजेपी के मंत्रियों की बैठक की. चुनाव के लिए सुपर-30 टीम भी तैयार की. लेकिन बैठक में दोनों डिप्टी सीएम नहीं थे, संगठन से भी कोई नहीं था. ये प्रभारी मंत्रियों की बैठक थी.

बीजेपी की यूपी एक्सरसाइज़ में एक और सवाल है कि- क्या संगठन को ही कसा जाएगा, सरकार को नहीं?.. क्या CM योगी आदित्यनाथ की टीम वैसी ही बनी रहेगी?..तो संकेत हैं नहीं. योगी कैबिनेट में भी बड़ा फेरबदल हो सकता है, कई मंत्रियों के विभाग बदले जाने की संभावना है. कई मंत्री वापस पार्टी संगठन में भेजे जा सकते हैं.

समीक्षा रिपोर्ट का अहम रोल

कैबिनेट फेरबदल में बीजेपी की उस 3 लेवल की समीक्षा रिपोर्ट का अहम रोल होगा, जिसमें उसने 24 की हार पर उम्मीदवारों से विधायकों और मंत्रियों तक का फीडबैक लिया था. इसमें सामने आया था कि कई मंत्री और विधायकों ने कार्यकर्ताओं से दूरी बना रखी थी. संगठन को महत्व नहीं दे रहे थे और काम नहीं कर रहे थे. यूपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी कल से दिल्ली में हैं, और प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिल चुके हैं.  माना जा रहा है कि हार की समीक्षा रिपोर्ट और फेरबदल का प्लान भी लाए थे.

बुधवार को शाम साढ़े 6 बजे की तस्वीर है जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का काफ़िला लखनऊ में राजभवन की ओर जा रहा था. तस्वीरें देखते ही कई लोगों की आंखें फैल गईं कि योगी राज्यपाल से मिलने क्यों जा रहे हैं? लेकिन थोड़ी देर में ख़बर आई कि ये सिर्फ़ एक शिष्टाचार मुलाक़ात है. बीजेपी का कहना है कि उसकी सारी दौड़-धूप 10 उपचुनावों पर है. 

'जो नतीजे 2017 में लाए थे, वही 2027 में दोहराएंगे'

अंत में केशव मौर्य ने समाजवादी पार्टी सुप्रीमो को जवाब भी दे डाला. उन्होंने अखिलेश यादव को एड्रेस करके कहा कि भ्रम में ना रहें, संगठन और सरकार दोनों मजबूत हैं, जो नतीजे 2017 में लाए थे, वही 2027 में दोहराएंगे.

तो क्या अब 2 पावर सेंटर होंगे?

फिर सवाल ये है कि क्या उत्तर प्रदेश में बीजेपी के अब 2 पावर सेंटर होंगे, सरकार का शक्ति केंद्र CM योगी आदित्यनाथ होंगे और संगठन का शक्ति केंद्र केशव प्रसाद मौर्य होंगे. अगर ऐसा हुआ तो यूपी बीजेपी में जो लोग CM योगी और डिप्टी CM केशव मौर्य को उत्तर और दक्षिण ध्रुव की तरह देख रहे हैं, वो बहुत हद तक सही देख रहे हैं. लेकिन इसमें भी एक स्ट्रेटजी है. वो ये कि योगी आदित्यनाथ CM बने रहेंगे, सरकार वही चलाएंगे. वहीं केशव प्रसाद मौर्य वापस संगठन में जा सकते हैं, वहां उनकी ज़्यादा ज़रूरत है.

योगी आदित्यनाथ ही क्यों  CM बने रहेंगे, और केशव मौर्य क्यों सत्ता से ज़्यादा संगठन में सूट करेंगे, इसके पीछे इन दोनों के ट्रैक रिकॉर्ड...यूपी में पार्टी की ज़रूरतें, और बहुत हद तक कुछ मजबूरियां भी हैं. योगी आदित्यनाथ, प्रधानमंत्री मोदी के बाद पार्टी का दूसरा पॉपुलर चेहरा हैं. पार्टी में एक वर्ग योगी को भविष्य का PM देखती है. योगी बीजेपी में हार्डकोर हिन्दुत्व का सबसे बड़ा ब्रांड हैं. कठोर प्रशासक के तौर पर बीजेपी का ब्रांड हैं.

केशव प्रसाद मौर्य की यूएसपी

लोकसभा प्रचार में प्रधानमंत्री मोदी के बाद योगी आदित्यनाथ की ही बीजेपी में सबसे ज़्यादा डिमांड थी. ..अब आप यूपी में केशव प्रसाद मौर्य की यूएसपी भी जानिये... केशव मौर्य संघ, VHP और बजरंग दल के प्रचारक रहते हुए BJP तक पहुंचे थे, बड़े OBC नेता हैं. यह बात भी सही है कि यूपी में बीजेपी को अब तक की सबसे बड़ी जीत दिलाने का श्रेय बतौर अध्यक्ष केशव मौर्य को भी जाता है. यूपी में पिछले 2 लोकसभा और 2 विधानसभा यानी 4 चुनावों में अलग-अलग बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष थे...और इन चारों में केशव प्रसाद मौर्य का स्ट्राइक रेट सबसे ज़्यादा था.

इस कहानी का भी पटाक्षेप होगा

2017 में केशव मौर्य को मुख्यमंत्री का प्रबल दावेदार उन्हें भी माना जा रहा था, लेकिन तब बीजेपी की लॉन्ग टर्म पॉलिसी में योगी आदित्यनाथ सबसे आगे थे. 2022 में योगी सत्ता में लौटे लेकिन केशव मौर्य चुनाव हार गये. इसके बावजूद उन्हें दूसरी बार उप मुख्यमंत्री बनाया गया. कहा जाता है संघ और संगठन की इच्छा थी. लेकिन अब जो हो रहा शायद संघ की समझ से भी बाहर होगा. कुल मिलाकर जल्द ही इस कहानी का भी पटाक्षेप होगा. 

Trending news