यदि आप अपने आंसुओं को रोकते हैं तो इससे स्ट्रेस लेवल बढ़ता है.
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नई दिल्ली: कहते हैं जब इसांन किसी बात से काफी दुखी हो तो उसकी आंख से आंसू (Tears) निकलने लगते हैं. मतलब उसे रोना आता है. वहीं कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपने आंसुओं को दबा ले जाते हैं. लेकिन वो ये नहीं जानते ये उनकी सेहत के लिए काफी खरतनाक हो सकता है. ऐसे लोगों के लिए स्ट्रेस की समस्या बढ़ सकती है. 'जर्नल फ्रंटियर्स इन साइकोलॉजी' में पब्लिश की गई एक स्टडी (Study) के मुताबिक जो लोग रो लेते हैं वो लोग काफी पॉजिटिव चेंज (Positive Change) ला सकते हैं अपने मूड में. मिनासोटा अमेरिका में साइकोलॉजिस्ट द्वारा की गई एक अन्य स्टडी बताती है कि यदि आप अपने आंसुओं को रोकते हैं तो इससे स्ट्रेस लेवल (Stress Level) बढ़ता है. आइसे जानते हैं जो लोग अपने आंसुओं को रोकते हैं उन्हें किन समस्याओं का सामने करना पड़ सकता है.
आंसू रोकने से होता है ज्यादा स्ट्रेस
जब हम अपने आंसू रोकने की कोशिश करते हैं तो मानसिक तनाव महसूस होता है. अगर हम नहीं रोते तो ये हार्मोन बढ़ता जाता है और हम तनाव महसूस करते हैं.
दिल की धड़कन पर भी होता है असर
इमोशनल आउटबर्स्ट्स बहुत जरूरी होते हैं. अगर ऐसा नहीं होता तो स्ट्रेस के कारण हमारी दिल की धड़कन पर भी असर पड़ सकता है. हमारे हार्ट से ब्लड बहुत तेज़ी से शरीर के अन्य हिस्सों में पंप होता है. यही कारण है कि आपके हाथ-पैर और गाल कई बार गर्म महसूस होते हैं जब आप रोने वाली होती हैं. ऐसे में दिल की धड़कन बढ़ सकती है.
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एंग्जाइटी की समस्या
दिल की धड़कन बढ़ना उन लोगों के लिए अच्छा नहीं है जिन्हें एंग्जाइटी की समस्या है. ऐसे में पैल्पिटेशन्स हो सकते हैं और पैनिक अटैक भी आ सकता है. ऐसे में स्थिति और बिगड़ेगी.
सांस लेने में दिक्कत
अगर आपको एंग्जाइटी अटैक आता है, स्ट्रेस लेवल बढ़ता है, हाथ-पैर गर्म होते हैं और दिल की धड़कनें बढ़ती हैं तो सांस लेने में दिक्कत महसूस हो सकती है. ऐसे में शरीर अपने आप तेजी से सांस लेना शुरू कर देता है. आपने देखा होगा कि इमोशनल आउटबर्स्ट्स को रोकते समय आप जोर-जोर से सांस लेती हैं.