आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) ने एक बार फिर से मेडिकल दुनिया में क्रांति ला दी है. हाल ही में हुए एक शोध में पाया गया है कि एआई का इस्तेमाल कर ब्रेस्ट कैंसर को पांच साल पहले ही पता लगाना संभव हो सकता है.
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) ने एक बार फिर से मेडिकल दुनिया में क्रांति ला दी है. हाल ही में हुए एक शोध में पाया गया है कि एआई का इस्तेमाल कर ब्रेस्ट कैंसर को पांच साल पहले ही पता लगाना संभव हो सकता है. जामिया क्लिनिक फॉर मशीन लर्निंग और एमआईटी के कंप्यूटर साइंस एंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लैबोरेटरी (सीएसएआईएल) के शोधकर्ताओं ने मैमोग्राफी पर आधारित एक डीप लर्निंग (डीएल) मॉडल विकसित किया है. यह मॉडल हाई-रिस्क वाली महिलाओं में प्री-कैंसरस परिवर्तनों का पता लगाने में काफी प्रभावी हो सकता है.
मिरई नाम का यह एआई सिस्टम मौजूदा रिस्क-असेसमेंट एल्गोरिदम की तुलना में मैमोग्राम से ब्रेस्ट कैंसर की संभावना का बेहतर अनुमान लगा सकता है. बिजनेस टाइकून आनंद महिंद्रा ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर करते हुए एआई द्वारा ब्रेस्ट कैंसर का पांच साल पहले पता लगाने की क्षमता पर चर्चा की. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट को रीट्वीट करते हुए कहा कि अगर यह सटीक है, तो एआई हमारे लिए कल्पना से कहीं अधिक मूल्यवान होगी और हमारी कल्पना से बहुत पहले.
If this is accurate, then AI is going to be of significantly more value to us than we imagined and much earlier than we had imagined… https://t.co/5Mo2cT7X7T
— anand mahindra (@anandmahindra) July 28, 2024
आपको बता दें कि कई अध्ययनों ने कैंसर का पता लगाने में एआई की क्षमता को दिखाया है. कई तकनीकें उपचार के परिणामों और रोग के पूर्वानुमान की भविष्यवाणी करने के लिए नई दवाओं के विकास का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं. अमेरिका के ड्यूक यूनिवर्सिटी के कुछ शोधकर्ताओं ने एक व्याख्या योग्य एआई मॉडल विकसित किया है, जो मैमोग्राम से 5 साल के स्तन कैंसर की भविष्यवाणी कर सकता है.
एक अन्य अध्ययन रेडियोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित किया गया था जिसमें एआई एल्गोरिदम ने स्तन कैंसर के लिए पांच साल के जोखिम की भविष्यवाणी करने के मामले में मानक नैदानिक जोखिम मॉडल को पीछे छोड़ दिया. यह एक महत्वपूर्ण विकास है जो समय से पहले ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने और प्रभावी उपचार की संभावनाओं को बढ़ा सकता है. हालांकि, इस तकनीक को व्यापक रूप से लागू करने से पहले अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.