Coronavirus Antibody Test: क्या है एंटीबॉडी टेस्ट? बेवजह इसे क्यों नहीं करवाना चाहिए, जानिए
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Coronavirus Antibody Test: क्या है एंटीबॉडी टेस्ट? बेवजह इसे क्यों नहीं करवाना चाहिए, जानिए

Coronavirus Antibody Test: एंटीबॉडी एक विशेष तरह की प्रोटीन होती है और यह हमारे शरीर का उस वायरस या बैक्टीरिया से बचाव करती है.

Coronavirus Antibody Test: क्या है एंटीबॉडी टेस्ट? बेवजह इसे क्यों नहीं करवाना चाहिए, जानिए

Coronavirus Antibody Test: कोरोना महामारी के इस दौर में बड़ी संख्या में लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं. कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस संक्रमण से संक्रमित हो चुके हैं लेकिन उन्हें पता ही नहीं चला. इसकी वजह ये रही कि ऐसे लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है, जिससे उनके शरीर ने बीमारी को हरा दिया और उसके लक्षण भी नहीं दिखाई दिए. जिन लोगों ने कोरोना वायरस को हरा दिया है, उनके शरीर में एंटीबॉडी बन जाती हैं. इन्हीं एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए लोग एंटीबॉडी टेस्ट करा रहे हैं.

जानिए क्या होती है एंटीबॉडी
हमारे शरीर की इम्यूनिटी किसी भी बैक्टीरिया, वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी का निर्माण करती है. ये एंटीबॉडी एक विशेष तरह की प्रोटीन होती है और यह हमारे शरीर का उस वायरस या बैक्टीरिया से बचाव करती है.

ये एंटीबॉडी मुख्यतः दो तरह की होती है. एक एंटीबॉडी होती है IgM टाइप और दूसरी होती है IgG टाइप. बैक्टीरिया या वायरस के हमले के बाद 4-5 दिन में शरीर IgM टाइप एंटीबॉडी का निर्माण करता है. वहीं संक्रमण के करीब 14 दिन बाद शरीर IgG एंटीबॉडी का निर्माण करता है. 

क्या है एंटीबॉडी टेस्ट और क्यों कराया जाता है?
कोरोना वायरस की जांच के लिए आरटी-पीसीआर और रैपिड एंटीजन टेस्ट होते हैं. लेकिन हमारे शरीर में कोरोना का संक्रमण हो चुका है और हमारे शरीर ने एंटीबॉडी बना ली है. इसका पता लगाने के लिए एंटीबॉडी टेस्ट कराया जाता है. इस टेस्ट से पता चलता है कि हमारे शरीर ने कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली हासिल कर ली है या नहीं. 

बेवजह क्यों नहीं कराना चाहिए
काफी लोग आजकल इंटरनेट से देखकर एहतियातन ही आशंका के चलते कोरोना का एंटीबॉडी टेस्ट करा रहे हैं. लेकिन इस टेस्ट को डॉक्टर की सलाह पर ही कराना चाहिए. इसकी वजह ये ही है कि कोरोना संक्रमण होने के 4-5 दिन बाद हमारे शरीर में IgM टाइप एंटीबॉडी बनती है और उसके बाद 14 दिन बाद IgG. ऐसे में अगर आपने तय समयसीमा से पहले ही कोरोना टेस्ट करा लिया, तो इससे आपको पता नहीं चलेगा. इसके अलावा कई बार एंटीबॉडी टेस्ट कराकर लोग लापरवाही बरतते हैं. उन्हें लगता है कि उनके शरीर में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बन चुकी है तो उन्हें अब इससे खतरा नहीं है. लेकिन बता दें कि वायरस म्यूटेशन करता है, जिससे उसके वैरिएंट बदलते रहते हैं. इससे फिर से लोगों के कोरोना संक्रमण की चपेट में आने का खतरा भी बढ़ जाता है. 

Rapid Antigen Test और Antibody Test में क्या है अंतर
रैपिड एंटीजन टेस्ट में कोरोना मरीज के शरीर में कोरोना वायरस की मौजूदगी का पता लगाया जाता है. वहीं एंटीबॉडी टेस्ट में ये पता लगाया जाता है कि जब कोरोना का वायरस या एंटीजन शरीर में प्रवेश किया तो हमारी बॉडी ने उस एंटीजन के खिलाफ एंटीबॉडी का निर्माण किया या नहीं. वहीं आरटी पीसीआर टेस्ट में कोरोना वायरस के आरएनए का पता लगाया जाता है. दरअसल रैपिड टेस्ट में कई बार गलत रिजल्ट भी दिखा सकता है लेकिन आरटी पीसीआर में कोरोना वायरस के आरएनए को डिटेक्ट किया जाता है, इसलिए वह ज्यादा भरोसेमंद माना जाता है. 

  

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