Ear Issue: भूलकर भी न करें ये गलती, कान में हो सकती बड़ी समस्या
Advertisement
trendingNow1768845

Ear Issue: भूलकर भी न करें ये गलती, कान में हो सकती बड़ी समस्या

हमारे कान के भीतर एक और प्रकार की नर्व भी होती है जिसे ऑरिक्यूलर बाच ऑफ वेयर कहते हैं कई बार कान साफ करते समय इस नर्व में चोट लग सकती है.

Ear Issue: भूलकर भी न करें ये गलती, कान में हो सकती बड़ी समस्या

नई दिल्ली: कान हमारे शरीर की एक महत्वपूर्ण इंद्रिय है जिसके बिना हमारी दुनिया में सन्नाटा होता. कीड़े-मकोड़े, तेज आवाजें, हवा-पानी तथा अन्य विषैले तत्व कान की अंदरूनी मशीनरी को नुकसान पहुंचा सकते हैं. ऐसे किसी भी नुकसान से बचने के लिए कान (ear) में वैक्स (wax) का निर्माण होता है जिसे सेरोमन कहते हैं. वैक्स हमारे कानों की सुरक्षा के लिए प्रकृति द्वारा दिया गया सुरक्षा कवच है. इसका बनना कोई रोग नहीं अपितु एक स्वाभाविक प्रक्रिया है. वैक्स बनने का तरीका, उसकी मात्रा तथा उससे उत्पन्न होने वाली कोई भी तकलीफ चिंता का कारण बन सकती है.

  1. कान की किसी भी समस्या को हल्के में न लें
  2. इस तरह से करें कान की देखभाल
  3. समझें कान की बनावट को

सूखा और तरल वैक्स
ये दो प्रकार के वैक्स हमारे कान में बनते हैं. किस व्यक्ति में कितना वैक्स बनेगा और कितनी मात्रा में बनेगा यह व्यक्ति की आनुवांशिक कृति पर निर्भर करता है. परन्तु यही वैक्स यदि अधिक मात्रा में बनने लगे और अंदरूनी कैनाल के पास सूखकर इक्ट्ठा हो जाए तथा नहाते, मुंह धोते या अन्य किसी कारण से कान में पानी चला जाए तो यही वैक्स फूलकर कान के अंदरूनी तंत्र को नुकसान पहुंचाने लगता है.

वास्तव में कान के अंदर की कैनाल सीधी नहीं होती अपितु यह आधी अवस्था में होती है. जैसे ही हम कान के भीतर जमी वैक्स निकालने के लिए तीली, पिन या बड्स डालते हैं तो यह वैक्स बाहर निकलने की बजाए अंदर की ओर खिसककर फंस जाती है. जब किसी कारण से कान में पानी चला जाता है तो यह फूल जाती है.

इस प्रकार की फूली हुई वैक्स को इम्पैक्टिड वैक्स कहते हैं जो कान के भीतर कैनाल को दबाना शुरू कर देती है. अंदरूनी कैनाल पर पड़ने वाले इस दबाव के कारण कई लोगों में कम सुनने की शिकायत हो सकती है. हो सकता है कि मरीज कानों में या दिमाग में घंटियां सी बजने की शिकायत भी करे. साथ ही कानों में खारिश होना तथा कानों में या कानों के पीटे की और हल्के या तेज दर्द की शिकायत भी हो सकती है.

यदि वैक्स के कारण एक्सर्टनल आडिटरी कैनाल पूरी तरह बंद हो जाए तो मरीज को 30 डेसीबल तक आवाज सुनाई देना कम हो सकता है.

ये भी पढ़ें, डाइट में जरूर शामिल करें सूजी, इसमें छिपे हैं सेहत से जुड़े कई फायदे

हमारे कान के भीतर एक और प्रकार की नर्व भी होती है जिसे ऑरिक्यूलर बाच ऑफ वेयर (auricular)  कहते हैं कई बार कान साफ करते समय इस नर्व में चोट लग सकती है इससे मरीज को कान साफ करते समय खांसी आने या चक्कर आने की शिकायत हो सकती है.

वैक्स के कारण उत्पन्न हुए इन लक्षणों के अलावा रोगी मानसिक रूप से भी परेशान रहने लगता है. सही जानकारी के अभाव में वह कान और दिमाग में घंटियां बजने की किसी ओर भी बीमारी से जुड़ता है. इसी वैक्स के कारण छात्र तथा ऐसे लोग जिनके लिए अपने काम में पूरी तरह ध्यान लगाना बहुत जरूरी होता है. वे लोग परेशान रहते हैं तथा एकाग्रचित नहीं हो पाते. पीड़ित व्यक्ति की आफिस या कालेज में कार्यक्षमता भी घट जाती है.

इसके अतिरिक्त कई बार कानों में पस पड़ने के कारण कानों के अंदर की कोशिकाएं भी प्रभावित होने लगती हैं, जो बाद में कान की नाजुक हड्डियों से होकर हमारे दिमाग तक पहुंच सकती हैं जिससे हमारे मस्तिष्क को भी क्षति पहुंच सकती है.

यूं तो हमारे कान में जितना भी वैक्स बनता है वह मुंह चलाने के कारण अपने आप बाहर निकल आता है. परन्तु यदि किसी कारण वश वैक्स ठोस होकर कान में फंस जाए तो किसी अच्छे ईएनटी विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए. बाजार में बैठे नीम-हकीमों से कानों को कभी साफ नहीं करवाना चाहिए. इनमें ज्यादातर लोगों को कान की भीतरी संरचना की जानकारी नहीं होती. असावधानी के कारण कई बार कान के पर्दे में टेद हो जाता है. इस बीमारी में शुरू में कान से पस बहना शुरू हो जाता है जिसका यदि इलाज न हो तो यह उग्र रूप धारण कर लेता है.

सेहत की अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

(नोट: कोई भी उपाय अपनाने से पहले डॉक्टर्स की सलाह जरूर लें)

VIDEO

Trending news