कोरोना महामारी के बाद से सैनिटाइजर हाथों को साफ रखने का एक आसान और प्रभावी तरीका बन चुका है. लेकिन एक नए अध्ययन से खुलासा किया है कि सैनिटाइजर में पाए जाने वाले केमिकल दिमाग को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
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कोरोना महामारी के बाद से सैनिटाइजर हाथों को साफ रखने का एक आसान और प्रभावी तरीका बन चुका है. सैनिटाइजर इस्तेमाल करने से हाथों पर मौजूद बैक्टीरिया और वायरस मर जाते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा कम होता है. मगर हाल ही में हुए एक नए अध्ययन से यह चिंताजनक खुलासा हुआ है कि सैनिटाइजर में पाए जाने वाले कुछ केमिकल दिमाग की सेल्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
यह अध्ययन अभी शुरुआती स्टेज में है और केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया था. शोधकर्ताओं ने पाया कि घरेलू सफाई के सामानों, गोंद और फर्नीचर के कपड़ों में पाए जाने वाले कुछ केमिकल दिमाग की डेवलपिंग सेल्स (जिन्हें ओलिगो डेन्ड्रोसाइट्स कहा जाता है) को नुकसान पहुंचा सकते हैं. प्रयोग के दौरान वैज्ञानिकों ने मानव सेलस और चूहों पर इन केमिकल का टेस्ट किया. अध्ययन में 1823 ऐसे केमिकल की जांच की गई, जिनकी टॉक्सिसिटी के बारे में अभी तक जानकारी नहीं थी.
डेवलपिंग सेल्स को मार देते हैं केमिकल
शोध के नतीजों के अनुसार, कुछ खास केमिकल ने या तो ओलिगो डेन्ड्रोसाइट्स को मार डाला या उनके विकास को रोक दिया. ओलिगो डेन्ड्रोसाइट्स दिमाग की नर्व सेल्स (न्यूरॉन्स) को एक सुरक्षा कवच प्रदान करती हैं और संदेशों के तेज गति से कम्युनिकेट करने में मदद करती हैं. दिमाग के विकास के शुरुआती चरणों में ये सेल्स काफी महत्वपूर्ण होती हैं.
और गहराई से रिसर्च की जरूरत
शोध के प्रमुख लेखक एरिन कोहन का कहना है कि कि हमें अभी यह पता नहीं है कि रोजमर्रा के इस्तेमाल से शरीर में इतने केमिकल जमा हो पाते हैं कि दिमाग के सेल्स को नुकसान पहुंचा सकें. इस पर और गहराई से शोध की जरूरत है. हालांकि यह शोध अभी शुरुआती दौर में है और सिर्फ प्रयोगशाला में किया गया है, लेकिन यह हमें सतर्क रहने की सीख देता है. उनका कहना है कि फिलहाल हमें घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सैनिटाइजर का इस्तेमाल संतुलित तरीके से करना चाहिए.
पानी से हाथ धोना सबसे सेफ
हाथ धोना ही सबसे अच्छा उपाय है. अगर साबुन और पानी उपलब्ध नहीं है, तभी सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें. साथ ही, ऐसे सैनिटाइजर को चुने जिनमें अल्कोहल हो, क्योंकि अल्कोहल वाले सैनिटाइजर सबसे ज्यादा प्रभावी होते हैं. यह शोध हमें यह भी याद दिलाता है कि हर नई चीज के फायदे के साथ कुछ नुकसान भी हो सकते हैं. हमें हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए और नई जानकारी के अनुसार आदतों में बदलाव लाते रहना चाहिए.