आप शारीरिक और मानसिक रूप से कितने फिट हैं? अपने चलने के तरीके से पहचानें
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आप शारीरिक और मानसिक रूप से कितने फिट हैं? अपने चलने के तरीके से पहचानें

हम रोजाना चलते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपका चलने का तरीका आपकी सेहत के बारे में कई बातें बता सकता है? आपकी चाल से लेकर गति तक, आपके शरीर और मन की स्थिति का पता लगाया जा सकता है.

आप शारीरिक और मानसिक रूप से कितने फिट हैं? अपने चलने के तरीके से पहचानें

हम रोजाना चलते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपका चलने का तरीका आपकी सेहत के बारे में कई बातें बता सकता है? आपकी चाल से लेकर गति तक, आपके शरीर और मन की स्थिति का पता लगाया जा सकता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि चलने का पैटर्न शारीरिक फिटनेस और मानसिक स्थिति का एक महत्वपूर्ण संकेतक हो सकता है. यहां बताया जा रहा है कि चलने का तरीका आपकी भलाई को कैसे दर्शाता है.

सबसे आसान तरीका जिससे हम अपनी सेहत का आकलन कर सकते हैं, वह है चलने की गति. एक अध्ययन में पाया गया कि धीमे चलने वाले लोग अक्सर जल्दी बुढ़ापे के संकेत दिखाते हैं. धीमी गति से चलने को शोधकर्ताओं ने मानसिक समस्याओं, मांसपेशियों की कमजोरी और शारीरिक गिरावट से जोड़ा है.

वहीं, तेज चलने वाले लोग सामान्यतः बेहतर दिल की सेहत में होते हैं और उनके दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है. ऐसे लोग आमतौर पर बेहतर फेफड़े की काम करने की क्षमता और मजबूत मसल्स परफॉर्मेंस करते हैं. अगर आपको लगता है कि आप धीरे-धीरे कम व्यायाम कर रहे हैं, तो यह आपके शारीरिक स्वास्थ्य का आकलन करने का सही समय हो सकता है.

मानसिक स्वास्थ्य के संकेत
चलने का तरीका मानसिक स्वास्थ्य को भी दर्शाता है. जो लोग एग्जाइंटी या डिप्रेशन से ग्रस्त होते हैं, वे अक्सर झुके हुए कंधों और सिर नीचे रखकर चलते हैं. एक अध्ययन में पाया गया कि सीधे खड़े होकर चलने वाले लोगों में खुशहाल भावनाएं होती हैं, जबकि जो लोग झुक कर चलते हैं, उनमें तनाव अधिक हो सकता है. मानसिक थकावट और तनाव चलने की आदतों पर भी असर डाल सकते हैं. मानसिक थकावट के संकेतों में पैर घसीटना, असामान्य चाल या अनियमित चलने के पैटर्न शामिल हो सकते हैं. इन संकेतों पर ध्यान देकर आप यह पहचान सकते हैं कि आप शायद अपने से अधिक मानसिक तनाव में हैं.

क्या चलना उम्र बढ़ने को धीमा कर सकता है?
चलना न केवल सेहत का प्रतिबिंब है, बल्कि उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को भी धीमा कर सकता है. फ्रंटियर्स इन पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित अध्ययन बताते हैं कि नियमित, तेज चलने से जीवन को लंबा किया जा सकता है. यह दिल को हेल्दी रखता है, मसल्स को मजबूत करता है और मानसिक स्थिति को साफ रखता है. इसके विपरीत, धीमे चलने वाले लोग विपरीत अनुभव कर सकते हैं. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, धीमे चलने से स्वास्थ्य समस्याओं (जैसे मानसिक गिरावट) का खतरा बढ़ सकता है. जल्दी चलने की आदत डालना एक सरल लेकिन प्रभावशाली रणनीति हो सकती है जो उम्र से संबंधित समस्याओं को हल करने में मदद कर सकती है.

चलने की गति बढ़ाने के तरीके
अपनी चलने की गति को बढ़ाने के लिए केवल तेज चलना ही पर्याप्त नहीं है, इसके लिए पूरी फिटनेस पर ध्यान देना जरूरी है. अगर आपको लगता है कि आप धीरे-धीरे चल रहे हैं, तो यह संकेत हो सकता है कि आपको अपनी रूटीन में ताकत, लचीलापन और बैलेंस बढ़ाने वाले व्यायाम शामिल करने की आवश्यकता है. धीरे-धीरे छोटे टारगेट को पूरा करने से आपके शारीरिक और मानसिक मेंटल पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है. रोजाना चलने की दूरी या गति बढ़ाना इसका एक उदाहरण हो सकता है. नियमित रहना और धीरे-धीरे शरीर पर काम करना महत्वपूर्ण है.

अपने चलने के तरीकों को सुनें
चलने का तरीका केवल एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने का माध्यम नहीं है. यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का एक अनदेखा लेकिन सटीक संकेतक है. चाहे वह चाल हो या गति, अपने चलने के तरीके पर ध्यान देना आपकी भलाई के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकता है. चलने से जुड़े इन संकेतों को समझकर आप अपने जीवन में छोटे लेकिन मीनिंगफुल सुधार कर सकते हैं.

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