भारत में कुपोषण का ग्राफ बेहतर हुआ लेकिन अभी भी 5 साल से कम उम्र के बच्चों में मौत की पहली वजह कुपोषण ही है. देश में 68 प्रतिशत बच्चे आज भी कुपोषण से मर जाते हैं.
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नई दिल्ली : भारत में कुपोषण का ग्राफ बेहतर हुआ लेकिन अभी भी 5 साल से कम उम्र के बच्चों में मौत की पहली वजह कुपोषण ही है. देश में 68 प्रतिशत बच्चे आज भी कुपोषण से मर जाते हैं. आईसीएमआर में इंडिया स्टेट लेवल डिजीज बर्डन रिपोर्ट (India State Level Disease Burden Report) जारी की गई. इसके मुताबिक सालाना एक फीसदी की दर से कुपोषण घटा है. लेकिन 1990 से 2017 के बीच कुपोषण से होने वाली मौत में दो तिहाई की कमी आई है. 68 प्रतिशत बच्चे आज भी कुपोषण से मर जाते हैं.
21 प्रतिशत बच्चे कम वजन के साथ पैदा हुए
यह स्टडी द लेनसेंट में भी प्रकाशित हुई है. अध्ययन के अनुसार 21 प्रतिशत बच्चे कम वजन के साथ पैदा हुए. पैदा होने के समय उनका वजन 2.5 किलो से कम रहा. हालांकि अब ऐसे बच्चों की तादाद घट रही है. जबकि 12 प्रतिशत ओवरवेट हैं और ऐसे बच्चों की तादाद हर राज्य में बढ़ रही है. अध्ययन से यह भी पता चला कि मोटे बच्चे 5 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं.
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मध्य प्रदेश में मोटापा बढ़ने की दर सबसे ज्यादा
देश के बाकी राज्यों के मुकाबले मध्य प्रदेश में मोटापा बढ़ने की दर सबसे ज्यादा है. भारत में 39 प्रतिशत बच्चों की ग्रोथ कम है. इनमें से सबसे ज्यादा 49 प्रतिशत यूपी में हैं. कम वजन वाले बच्चे 33 प्रतिशत भारत में हैं, जिसमें से सबसे ज़्यादा 42 प्रतिशत झारखंड में हैं. भारत में एनीमिया के शिकार बच्चे करीब 60 प्रतिशत हैं. वहीं 54 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं. दिल्ली की महिलाओं में सबसे ज्यादा एनीमिया की समस्या पाई जाती है.