हेल्दी रहने का नया फार्मूला: चार घंटे से ज्यादा एक्टिव रहना और आठ घंटे की नींद
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हेल्दी रहने का नया फार्मूला: चार घंटे से ज्यादा एक्टिव रहना और आठ घंटे की नींद

अच्छी सेहत के लिए हमारी रूटीन दिनचर्या कैसी होनी चाहिए, इस सवाल का जवाब एक नए शोध में मिल सकता है. इसके अनुसार, पूरे दिनभर में 4 घंटे से ज्यादा एक्टिव और 8 घंटे की नींद लेना आपके लिए बहुत फायदेमंद है.

हेल्दी रहने का नया फार्मूला: चार घंटे से ज्यादा एक्टिव रहना और आठ घंटे की नींद

अच्छी सेहत के लिए एक नए शोध में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. शोध के अनुसार, एक व्यक्ति को पूरे दिन कम से कम चार घंटे से ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी (हल्की, मध्यम या जोरदार) करनी चाहिए और साथ ही रात में कम से कम आठ घंटे की नींद भी लेनी चाहिए.

इस शोध में शोधकर्ताओं ने बताया है कि हल्की फिजिकल एक्टिविटी का मतलब सिर्फ व्यायाम करना ही नहीं है. इसमें घर के काम करना, खाना बनाना जैसी रोजमर्रा की हलचल भी शामिल है. वहीं, मध्यम और जोरदार व्यायाम का मतलब तेज चलना या जिम में वर्कआउट करना है.

ऑस्ट्रेलिया की स्विनबर्न यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के नेतृत्व में इंटरनेशनल रिसर्च टीम ने 24 घंटे के दौरान दो हजार से अधिक लोगों के व्यवहार का विश्लेषण किया. इस विश्लेषण का उद्देश्य यह पता लगाना था कि अच्छे सेहत के लिए बैठना, सोना, खड़े रहना और फिजिकल एक्टिविटी करने में समय का सही अनुपात क्या होना चाहिए.

क्या है एक्सपर्ट की राय?
अध्ययन के मुख्य लेखक क्रिश्चियन ब्रेकेनरिज का कहना है कि यह विश्लेषण विभिन्न सेहत संकेतकों को शामिल करता है और कुल मिलाकर 24 घंटे के उस समय को सुझाता है जो अच्छी सेहत के लिए जरूरी है. ब्रेकेनरिज आगे कहते हैं, कि कमर के आकार से लेकर फास्टिंग ग्लूकोज लेवल तक, हर एक सेहत संकेतक के लिए फिजिकल एक्टिविटीयों, बैठने और सोने के समय का अलग-अलग अनुपात बेहतर हो सकता है. उदाहरण के लिए, शोधकर्ताओं ने पाया कि मधुमेह से ग्रस्त लोगों में, बैठने के समय को कम करके फिजिकल एक्टिविटी या हल्की हलचल में लगाने से उनका ब्लड शुगर लेवल बेहतर पाया गया.

एक्टिविटी बदलने पर क्या होता है?
अध्ययन में इस बात को भी माना गया है कि एक एक्टिविटी को दूसरी एक्टिविटी से बदलने से व्यक्ति के पूरे दिन पर कैसा असर पड़ता है. ब्रेकेनरिज ने बताया कि अगर सोने का समय व्यायाम के समय को कम कर देता है, तो यह सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है, लेकिन अगर सोने का समय निष्क्रिय बैठने के समय को कम कर देता है, तो यह फायदेमंद हो सकता है. हालांकि, व्यायाम ज्यादा फायदेमंद है, लेकिन समय का उपयोग व्यवहारिक और बैलेंस होना भी जरूरी है. शोधकर्ता कहते हैं कि कुछ लोग शायद ज्यादा व्यायाम करने की सलाह दें, लेकिन 10 घंटे व्यायाम करना और शून्य घंटे बैठना व्यावहारिक नहीं है. अध्ययन स्वस्थ वयस्कों पर लागू होता है, लेकिन शोधकर्ता यह भी मानते हैं कि हर व्यक्ति की परिस्थिति अलग होती है और फिजिकल एक्टिविटी मजेदार होनी चाहिए.

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