बिना नींद के इंसान में स्फूर्ति का अहसास नहीं होगा. नींद लेने के बाद ही शरीर में अगले दिन काम करने की ऊर्जा आती है. एक भरपूर नींद लेने से न सिर्फ शरीर में एनर्जी आती है बल्कि हमें दिमाग की तमाम बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है.
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नई दिल्लीः मनुष्य को अपना जीवन जीने के लिए रोटी, कपड़ा और मकान की जरूरत होती है लेकिन अगर एक व्यक्ति चैन की नींद न सोए तो उसका जीना मुश्किल हो जाता है. आजीविका चलाने के लिए व्यक्ति का सोना भी उतना ही आवश्यक है जितना कि भोजन. क्योंकि बिना नींद के इंसान में स्फूर्ति का अहसास नहीं होगा. नींद लेने के बाद ही शरीर में अगले दिन काम करने की ऊर्जा आती है. एक भरपूर नींद लेने से न सिर्फ शरीर में एनर्जी आती है बल्कि हमें दिमाग की तमाम बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है. इसलिए हर किसी के लिए पर्याप्त नींद लेना आवश्यक है.
जानकारी के लिए बता दें कि अगर आप पूरी नींद नहीं लेंगे, तो आपका दिमाग खुद को ही खाने लगेगा. ऐसा हुआ तो व्यक्ति अल्ज़ाइमर (Alzheimer) जैसी बीमारी का शिकार हो सकता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि ज़रूरत से कम नींद लेने से मानव शरीर में अल्ज़ाइमर और मस्तिष्क संबंधी अन्य विकार पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है.
साल 2017 में इटली की Marche Polytechnic University में अनुसंधानकर्ताओं (Researchers) ने चूहों के दो समूहों को विशेष परिस्थितियों में रखकर उनके मस्तिष्क का अध्ययन किया. चूहों के एक समूह को उनकी इच्छा के अनुसार जब तक चाहे सोने दिया गया या दूसरे शब्दों में सिर्फ आठ घंटे तक जगाया गया. दूसरे समूह को पांच दिन तक लगातार जगाकर रखा गया. इस अध्ययन की 'न्यू साइंटिस्ट' जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, शोधकर्ताओं की टीम ने अध्ययन में पाया कि अबाधित नींद लेने वाले चूहों के मस्तिष्क के साइनैप्स (synapse) में एस्ट्रोसाइट (astrocytes) करीब छह फीसदी सक्रिय पाए गए. अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि कम सोने वाले चूहों में एस्ट्रोसाइट करीब आठ फीसदी सक्रिय पाया गया. वहीं बिल्कुल नहीं सोने वाले चूहों में यह स्तर 13.5 प्रतिशत रहा.
एस्ट्रोसाइट मस्तिष्क में अनावश्यक अंतर्ग्रंथियों को अलग करने का काम करता है. Marche Polytechnic University की मिशेल बेलेसी ने कहा, "हमने पहली बार दिखाया है कि नींद की कमी के चलते एस्ट्रोसाइट वास्तव में साइनैप्सेज़ के हिस्सों को खाने लगते हैं."
उन्होंने कहा, "कम अवधि में इस प्रक्रिया से निश्चित रूप से लाभ मिल सकता है, लेकिन लम्बी अवधि के संदर्भ में यह आदत अल्ज़ाइमर और अन्य मस्तिष्क विकारों के खतरे को बढ़ा देती है."
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