कोरोना वायरस से बच चुके लोगों के लिए एक बुरी खबर, ये बीमारी होने का है खतरा
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कोरोना वायरस से बच चुके लोगों के लिए एक बुरी खबर, ये बीमारी होने का है खतरा

 न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित अनुसंधान में उन्होंने बताया है कि कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमित हुए व्यक्ति को डायबिटीज हो सकता है तथा उसकी पाचन क्रिया में गड़बड़ियां हो सकती हैं और वो जानलेवा भी हो सकती हैं.

कोरोना वायरस से बच चुके लोगों के लिए एक बुरी खबर, ये बीमारी होने का है खतरा

लंदन: अभी कोरोना वायरस (Coronavirus) का टीका तक तैयार नहीं हो पाया है. लेकिन इस बीच एक और बुरी खबर आ रही है. अगर आप कोरोना वायरस के जानलेवा हमले से बच भी गए तो भी इतनी आसानी से राहत नहीं  मिलने वाली. वैज्ञानिकों को दावा है कोरोना वायरस अब लोगों में गैर-संक्रामक बीमारी भी फैला सकता है.

  1. कोरोना वायरस से बचने वालों का एक और खतरा
  2. गैर-संक्रामक रोग होने की ज्यादा संभावना
  3. ब्रिटिश वैज्ञानिकों का है ये दावा

डायबिटीज की बीमारी का खतरा
ब्रिटेन के किंग्स कॉलेज लंदन की स्टेफनी ए. एमिल सहित सभी वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी तक किए गए नैदानिक विश्लेषणों के अनुसार, कोविड-19 और डायबिटीज के बीच दोहरा या द्विपक्षीय संबंध है. न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित अनुसंधान में उन्होंने बताया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित हुए व्यक्ति को डायबिटीज हो सकता है तथा उसकी पाचन क्रिया में गड़बड़ियां हो सकती हैं और वो जानलेवा भी हो सकती हैं. उनका हालांकि यह भी कहना है कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि कोरोना वायरस (सार्स सीओवी 2) का मधुमेह पर क्या असर होता है.

वैज्ञानिकों का कहना है कि डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्ति के कोरोना वायरस से संक्रमित होने और संक्रमण से मृत्यु का खतरा ज्यादा है. उनका कहना है कि कोविड-19 से मरने वाले लोगों में से 20 से 30 प्रतिशत मधुमेह से ग्रस्त थे. पहले आए अनुसंधानों में यह कहा गया है कि कोरोना वायरस के साथ जुड़ने वाला और उसे मानव कोशिका में प्रवेश का रास्ता देने वाला एसीई-2 प्रोटीन सिर्फ फेफड़ों में नहीं बल्कि अन्य अंगों और ग्लूकोज के पाचन में शामिल उत्तकों, जैसे... अग्न्याशय, छोटी आंत, वसा उत्तक, यकृत और गुर्दे में भी होता है.

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अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि इन उत्तकों में प्रवेश करके वायरस ग्लूकोज के पाचन में जटिल गड़बड़ियां पैदा कर सकता है. वैज्ञानिकों का मानना है, यह संभव है कि कोरोना वायरस ग्लूकोज की पाचन प्रक्रिया को बदल दे जिससे पहले से मधुमेह से ग्रस्त लोगों में जटिलताएं बढ़ जाएं या फिर किसी नयी बीमारी का खतरा पैदा हो जाए.

किंग्स कॉलेज लंदन में मेटाबॉलिक सर्जरी के प्रोफेसर फ्रांसेस्को रुबिनो ने कहा, 'मधुमेह सबसे ज्यादा लोगों को प्रभावित करने वाली बीमारी है और दो महामारियों के कारण उत्पन्न जटिलताओं की दिक्कतें हमें अब समझ आ रही हैं.'

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