कई बार वजन बढ़ना सिर्फ शारीरिक समस्या नहीं होता, बल्कि यह हमारे दिमाग को भी प्रभावित कर सकता है. जी हां, हाल ही में हुए एक अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.
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कई बार वजन बढ़ना सिर्फ शारीरिक समस्या नहीं होता, बल्कि यह हमारे दिमाग को भी प्रभावित कर सकता है. जी हां, हाल ही में हुए एक अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. आयरलैंड के शोधकर्ताओं ने पाया है कि मोटापे से ग्रस्त लोगों में (खासकर महिलाओं में) मेंटल हेल्थ कमजोर होने का खतरा ज्यादा रहता है.
आयरलैंड के यूनिवर्सिटी कॉलेज कॉर्क के शोधकर्ताओं ने एक नए अध्ययन में पाया है कि अधेड़ से लेकर बुढ़ापे तक के लोगों में मोटापा कमजोर मेंटल हेल्थ से जुड़ा हुआ है. यह खुलासा तब हुआ जब शोधकर्ताओं ने 1800 से अधिक लोगों के आंकड़ों का विश्लेषण किया, जिनकी उम्र 46 से 73 वर्ष के बीच थी.
एक्सपर्ट का बयान
अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता डॉ. कैओइमहे लोनर्गेन का कहना है कि हमारे शोध से पता चलता है कि मोटापे से ग्रस्त लोगों में (भले ही उन्हें कोई अन्य बीमारी न हो और उनकी जीवनशैली कैसी भी हो) मेंटल हेल्थ कमजोर पाया गया. यह खासकर महिलाओं में अधिक देखा गया. शोधकर्ताओं ने पाया कि मोटापे से ग्रस्त लोगों में डिप्रेशन और कम आत्मसम्मान जैसे लक्षण देखे गएय उन्होंने यह भी पाया कि मोटापे से जुड़े सामाजिक कलंक और भेदभाव का सामना करना पड़ता है, जो मेंटल हेल्थ को और खराब कर सकता है.
दिल की बीमारी और डायबिटीज का खतरा
डॉ. लोनर्गेन ने आगे कहा कि मोटापे से जुड़ी कई स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं, जैसे जोड़ों का दर्द, दिल की बीमारी और डायबिटीज. ये शारीरिक समस्याएं भी दिमागी सेहत को प्रभावित कर सकती हैं. अध्ययन के निष्कर्ष पिछले शोधों के अनुरूप हैं, जो मोटापे और कमजोर मेंटल हेल्थ के बीच संबंध का संकेत देते हैं. शोधकर्ताओं का सुझाव है कि डॉक्टरों को मोटापे से जूझ रहे लोगों के लिए वजन कंट्रोल कार्यक्रमों और मेंटल हेल्थ मदद जैसी टारगेट प्लान को अपनाना चाहिए.
यह अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालता है कि मोटापा न केवल फिजिकल हेल्थ बल्कि मेंटल हेल्थ को भी प्रभावित करता है. डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को मोटापे के साथ-साथ इससे जुड़े मेंटल हेल्थ के मुद्दों पर भी ध्यान देना चाहिए.