Abid Ali is suffering from heart disease: 34 साल के आबिद अली ने अब तक पाकिस्तान के लिए 16 टेस्ट मैच और छह वनडे खेले हैं. वो फिलहाल रेस्ट पर हैं.
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बीमारी के मारे ये सितारे/ भूपेंद्र राय: Abid Ali is suffering from heart disease: पाकिस्तान की टेस्ट टीम के सलामी बल्लेबाज आबिद अली दिल की बीमारी से ग्रसित हैं. बीते मंगलवार यानी 21 दिसंबर को जब वह कायद-ए-आजम ट्रॉफी के एक मुकाबले में बल्लेबाजी कर रहे थे, तभी उन्हें अचानक सीने में दर्द उठा, जिसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया. जांच के बाद पता चला है कि 34 वर्षीय यह क्रिकेटर ‘एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम’(दिल की बीमारी) से पीड़ित है. जिसके बाद उनकी एंजियोप्लास्टी की गई और वह फिलहाल ठीक हैं.
एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम बेहद खतरनाक स्थिति होती है, अगर समय रहते इसका इलाज नहीं किया गया तो हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. चलिए इस खबर में हम एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम के बारे में विस्तार से जानते हैं....
क्या है एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम (What is Acute Coronary Syndrome)
मायउपचार के अनुसार, एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है, जिसमें कोरोनरी आर्टरी में ब्लड का फ्लो अचानक ही कम हो जाता है. इस वजह से ब्लड पर्याप्त मात्रा में हार्ट तक नहीं पहुंच पाता. लिहाजा इंसान को स्ट्रोक, एंजाइना या फिर हार्ट अटैक आ सकता है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ये समस्या तब होती है जब कोरोनरी धमनियों के भीतर और बाहरी दीवारों पर वसा जम जाता है. क्योंकि ये धमनियां हृदय की मांसपेशियों को ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाने के लिए जिम्मेदार होती हैं.
एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम के सामान्य लक्षण (Common symptoms of acute coronary syndrome)
एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम के संकेत और लक्षण आमतौर पर अचानक शुरू होते हैं. इस स्थिति में रोगी को सीने में दर्द या बेचैनी महसूस होना सबसे आम है. हालांकि, उम्र, लिंग और अन्य चिकित्सा स्थितियों के आधार पर लोगों में इसके लक्षण भिन्न-भिन्न हो सकते हैं. नीचे जानिए इसके सामान्य लक्षण...
कई ऐसी स्थितियां हैं जो एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम के जोखिम को बढ़ा सकती हैं.
इन लोगों के लिए ज्यादा खतरा
45 वर्ष या उससे अधिक आयु के पुरुष और 55 वर्ष या उससे अधिक आयु की महिलाओं को एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम होने का खतरा अधिक होता है.
कैसे किया जाता है एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम का इलाज
अक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम के इलाज के लिए पहले इसका पता लगाया जाना जरूरी है. इसके लिए ईसीजी किया जाता है, जिसे इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा ब्लड टेस्ट और कार्डिएक परफ्यूजन स्कैन के जरिए भी इस सिंड्रोम का पता लगाया जाता है. इन टेस्ट के आधार पर ही डॉक्टर यह निर्णय लेते हैं कि लक्षण एंजाइना के हैं या फिर हार्ट अटैक के, फिर इसी हिसाब से इलाज शुरू किया जाता है.
एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम से बचने के लिए क्या करें?
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यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.
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