वैसे तो सैंकड़ों सालों से पारंपरिक और आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने में अश्वगंधा का इस्तेमाल किया जा रहा है जिसे पश्चिमी देशों में Indian ginseng के नाम से जाना जाता है. अश्वगंधा स्ट्रेस और ऐंग्जाइटी को कम करके एनर्जी बढ़ाने का काम करता है. इसके अलावा कैंसर, अल्जाइमर्स और हृदय रोग जैसी बीमारियों में भी अश्वगंधा को उपयोगी माना जाता है. लेकिन बहुत अधिक मात्रा में अश्वगंधा का सेवन करने से पेट खराब हो सकता है, डायरिया, जी मिचलाने या उल्टी की समस्या हो सकती है. गर्भवती महिलाओं को भूलकर भी अश्वगंधा नहीं लेना चाहिए वरना भ्रूण में समस्या हो सकती है और प्रीमैच्योर लेबर शुरू हो सकता है.
अश्वगंधा की ही तरह त्रिफला भी बीती कई सदियों से आयुर्वेदिक दवाइयों का एक अहम हिस्सा रहा है. आंवला, बिभितकी और हरीतकी को मिलाकर तैयार होने वाला त्रिफला चूर्ण, पेट की समस्याओं को दूर करने के साथ ही आंखों की सेहत के लिए भी फायदेमंद माना जाता है. लेकिन अधिक गलत तरीके से या अधिक मात्रा में त्रिफला लिया जाए तो इससे पेट में गैस, ऐंठन, पेट खराब होने की दिक्कत हो सकती है. डायबिटीज के मरीज जो दवा का सेवन कर रहे हैं अगर वे ज्यादा त्रिफला यूज कर लें तो उनका ब्लड प्रेशर खतरनाक तरीके से कम हो सकता है. जिन लोगों को पहले से ही लो बीपी की समस्या है उन्हें तो त्रिफला से दूर ही रहना चाहिए.
हरड़ जिसे हरितकी भी कहा जाता है एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जिसका इस्तेमाल दवाइयां बनाने में किया जाता है. हरितकी ब्लड शुगर लेवल को कम करती है जिस वजह से यह डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद है. साथ ही यह वजन घटाने के साथ ही पाचन में भी मदद करती है. इसके अलावा यह स्किन के लिए भी फायदेमंद है. लेकिन अगर बिना डॉक्टर से पूछे बहुत अधिक मात्रा में इसका इस्तेमाल किया जाए तो डायरिया, डिहाइड्रेशन, तेज बुखार, थकान महसूस होना और जबड़ों में अकड़न महसूस होना जैसी दिक्कतें हो सकती हैं.
औषधीय गुणों से भरपूर हल्दी का इस्तेमाल सदियों से पारंपरिक दवाइयां बनाने में किया जाता रहता है. हार्ट डिजीज से लेकर आर्थराइटिस और कई तरह के कैंसर के इलाज में भी हल्दी को फायदेमंद माना जाता है. लेकिन जरूरत से ज्यादा हल्की का इस्तेमाल करने की वजह से पेट खराब हो सकता है, शरीर में आयरन को अवशोषित करने में दिक्कत हो सकती है, किडनी में स्टोन बनने का खतरा हो सकता है. इतना ही नहीं ज्यादा हल्दी का इस्तेमाल आपके खून को भी पतला कर सकता है.
अक्सर खाने में स्वाद और फ्लेवर बढ़ाने के लिए दालचीनी का इस्तेमाल किया जाता है. एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर दालचीनी हृदय रोग के खतरे को कम करती है, ब्लड शुगर लेवल को भी कम करने में मदद करती है. लेकिन अगर आपने दालचीनी को गलत तरीके से या ज्यादा मात्रा में खाया तो आपके लीवर को नुकसान हो सकता है, मुंह में छाले हो सकते हैं, ब्लड शुगर हद से ज्यादा कम हो सकता है.
(नोट: किसी भी उपाय को करने से पहले हमेशा किसी विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श करें. Zee News इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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