क्या है टेलीसर्जरी? जिसकी मदद से डॉ. ने 40 किमी दूर बैठकर निकाल दिया प्रोस्टेट कैंसर का ट्यूमर, डिटेल में जानें सर्जरी का प्रोसेस
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क्या है टेलीसर्जरी? जिसकी मदद से डॉ. ने 40 किमी दूर बैठकर निकाल दिया प्रोस्टेट कैंसर का ट्यूमर, डिटेल में जानें सर्जरी का प्रोसेस

Prostate Cancer Surgery: प्रोस्टेट कैंसर की सर्जरी के लिए दिल्ली में टेलीसर्जरी का इस्तेमाल किया गया है. इसकी मदद से डॉक्टर ने मरीज से 40 किमी दूर बैठकर उसका ऑपरेशन किया है. इस टेक्नोलॉजी के बारे में यहां हम आपको डिटेल में बता रहे हैं.

क्या है टेलीसर्जरी? जिसकी मदद से डॉ. ने 40 किमी दूर बैठकर निकाल दिया प्रोस्टेट कैंसर का ट्यूमर, डिटेल में जानें सर्जरी का प्रोसेस

What Is Telesurgery In Hindi: मॉडर्न मेडिकल साइंस लगातार तरक्की कर रहा है. इन्हीं तरक्कियों में से एक है टेलीसर्जरी. जिसकी मदद से शनिवार को दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर में 40 दूर गुड़गांव में बैठी डॉक्टर की टीम ने प्रोस्टेट कैंसर के मरीज का सफल ऑपरेशन किया है.  

यह ऑपरेशन कैंसर इंस्टीट्यूट के चिकित्सा निदेशक व जेनिटो-यूरो ऑन्कोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. सुधीर रावल और उनकी टीम ने किया है. उन्होंने मरीज के बारे में जानकारी देते हुए बताया है कि 45 मिनट चले सर्जरी के बाद मरीज की हालत स्थिर है. जल्दी उसे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज भी कर दिया जाएगा. ऐसे में टेलीसर्जरी किसी जादू की तरह लगता है. आइए, इस लेख में विस्तार से जानते हैं टेलीसर्जरी क्या है और यह कैसे काम करती है-

टेलीसर्जरी क्या है?

टेलीसर्जरी को हिंदी में "दूरस्थ सर्जरी" भी कहा जा सकता है. यह एक तरह की मिनिमली इनवेसिव सर्जरी (न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी) है. इसमें डॉक्टर मरीज से दूर किसी अन्य स्थान पर होते हुए ऑपरेशन करने में सक्षम होते हैं. 

कैसी होती है टेलीसर्जरी

टेलीसर्जरी के लिए डॉक्टर रोबोटिक उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं. ये उपकरण कंप्यूटर और हाई स्पीड इंटरनेट से जुड़े होते हैं, जिससे डॉक्टर ऑपरेशन स्थल को देख और कंट्रोल कर पाते हैं.

टेलीसर्जरी का प्रोसेस

  1. सबसे पहले मरीज का ऑपरेशन स्थल पर ही सामान्य तैयारी की जाती है.
  2.  फिर डॉक्टर ऑपरेशन थियेटर से अलग, किसी अन्य स्थान पर स्थित दूरस्थ नियंत्रण कक्ष में होते हैं. इस कक्ष में हाई-डेफिनिशन कैमरे और कंट्रोल पैनल होते हैं. 
  3. कैमरे से ऑपरेशन स्थल की तस्वीरें डॉक्टर के कंट्रोल पैनल पर दिखाई देती हैं. डॉक्टर इन तस्वीरों को देखते हुए और कंट्रोल पैनल का इस्तेमाल करके रोबोटिक उपकरणों को चलाते हैं. रोबोटिक उपकरण असल में मरीज के शरीर के अंदर छोटे चीरों से डाले जाते हैं और वही ऑपरेशन करते हैं.
  4. ऑपरेशन पूरा होने के बाद मरीज की देखरेख उसी अस्पताल में की जाती है जहां ऑपरेशन हुआ था.

टेलीसर्जरी के फायदे

  • टेलीसर्जरी की मदद से उन क्षेत्रों में भी रहने वाले मरीजों का इलाज किया जा सकता है जहां अनुभवी सर्जन उपलब्ध नहीं होते हैं.
  • टेलीसर्जरी में रोबोटिक उपकरणों का इस्तेमाल होता है, जिससे मरीज के शरीर पर छोटे चीरे लगाए जाते हैं. इससे मरीज को कम दर्द होता है और जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है.
  • रोबोटिक उपकरणों की मदद से डॉक्टर अधिक सटीकता के साथ ऑपरेशन कर सकते हैं.
  • टेलीसर्जरी में डॉक्टर ऑपरेशन थियेटर में मौजूद नहीं होते, जिससे उन्हें संक्रमण का खतरा कम रहता है.

मरीजों के लिए टेलीसर्जरी बनेगा वरदान

टेलीसर्जरी अभी भी विकासशील अवस्था में है, लेकिन भविष्य में इसके और भी विकसित होने की उम्मीद है. आने वाले समय में टेलीसर्जरी की मदद से जटिल ऑपरेशन भी दूरस्थ स्थानों से किए जा सकेंगे. इसके अलावा, टेलीसर्जरी की लागत कम होने से यह आम लोगों के लिए भी अधिक सुलभ हो सकेगी. सबसे जरूरी बात इस टेक्नोलॉजी के कारण कोई मरीज को इलाज में देरी के कारण अपनी जान नहीं गवानी पड़ेगी.

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