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नई दिल्ली: जब बात वेट लॉस (Weight Loss) की आती है तो हम अपनी अपनी डाइट पर ध्यान देते हैं, वर्कआउट पर फोकस करते हैं, छोटी से छोटी डीटेल की तरफ हमारा ध्यान जाता है लेकिन नींद (Sleep) जो शरीर के लिए इतनी जरूरी है उसे हम भूल जाते हैं. बहुत से लोगों को तो शायद इस बात पर यकीन भी नहीं होगा कि कम सोने से या नींद कम लेने से न सिर्फ सेहत खराब (Bad Health) होती है बल्कि वजन भी बढ़ता है. इसमें कोई शक नहीं बीते एक दशक में जैसे-जैसे लोगों की नींद में कमी (Sleep Loss) हुई है उसी अनुपात में मोटापे की समस्या में बढ़ोतरी हुई है.
इसी को ध्यान में रखते हुए कई अनुसंधानकर्ताओं ने बॉडी वेट और नींद (Body Weight and Sleep) के बीच क्या कनेक्शन है इसे जानने की कोशिश की. इस दौरान कई स्टडीज में जो एक बात कॉमन पता चली वो ये है कि जरूरत से कम नींद लेने और रात में 7 से 8 घंटे की चैन की नींद न लेने की वजह से व्यक्ति के लिए अपनी भूख को कंट्रोल करना मुश्किल होता है. इसी वजह से मोटापे से लेकर हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर और टाइप 2 डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियां होती हैं.
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JAMA इंटरनल मेडिसिन नाम की पत्रिका में प्रकाशित एक स्टडी में यह बात पता चली है कि अगर कोई व्यक्ति महज 15 मिनट कम सोए तो इसकी वजह से भी उसका काफी वजन बढ़ सकता है (Weight Gain). इस स्टडी में 1 लाख 20 हजार लोगों की नींद की क्वॉलिटी पर 2 साल तक नजर रखी गई और इसके लिए स्मार्टफोन, स्मार्टवॉच और फिटनेस ट्रैकर्स पर मौजूद स्लीप ऐप्स का इस्तेमाल किया गया. स्टडी के नतीजों से पता चला कि जिन लोगों का बीएमआई 30 से अधिक था जिसे मोटापे (Obesity) की श्रेणी में रखा जाता है, उन लोगों ने हेल्दी बीएमआई वाले लोगों की तुलना में केवल 15 मिनट ही कम नींद ली थी.
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रिसर्च में यह बात भी सामने आयी कि जब किसी व्यक्ति की नींद पूरी नहीं होती है तो शरीर में घ्रेलिन हार्मोन (Ghrelin) बढ़ता है और लेप्टिन हार्मोन की कमी होने लगती है. लेप्टिन (Leptin) भूख को दबाता है और वेट लॉस में मदद करता है जबकि घ्रेलिन तेजी से बढने वाला हार्मोन है जो भूख को बढ़ाता है और वेट गेन के लिए जिम्मेदार होता है. वजन बढ़ने से टाइप 2 डायबिटीज और हृदय रोग का खतरा भी काफी अधिक होता है.
ब्रिटेन में 10 हजार 308 लोगों पर की गई एक स्टडी में रिसर्चर्स ने पाया कि जिन लोगों ने अपनी रोजाना रात की नींद को 7 घंटे से घटाकर 5 घंटे कर दिया था उनमें हृदय रोग के साथ ही कई और कारणों से भी मौत का खतरा दोगुने से भी अधिक था.
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