स्मार्टफोन की मदद से यूं हुई 12 हजार कुपोषित बच्चों की पहचान
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स्मार्टफोन की मदद से यूं हुई 12 हजार कुपोषित बच्चों की पहचान

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने बताया, 'हमने आंगनवाड़ी कर्मियों को 50 हजार से अधिक मोबाइल फोन दिए हैं.

स्मार्टफोन की मदद से यूं हुई 12 हजार कुपोषित बच्चों की पहचान

नई दिल्ली : आंगनवाड़ी में दी जाने वाली सुविधाओं की निगरानी के लिए स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने की केंद्र ने जो पहल शुरू की है उसकी मदद से छह राज्यों के 46 जिलों में गंभीर रूप से कुपोषित 12,000 बच्चों की पहचान हो सकी है. बिल गेट्स फाउंडेशन के सहयोग से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इस साल जून से छह राज्यों के 62 हजार आंगनवाड़ी केंद्रों में स्मार्टफोन का वितरण शुरू किया था ताकि वहां दी जाने वाली सुविधाओं की निगरानी की जा सके.

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने बताया, 'हमने आंगनवाड़ी कर्मियों को 50 हजार से अधिक मोबाइल फोन दिए हैं. इस फोन के माध्यम से वह हमें बच्चों के भोजन और वजन के बारे में रोज का रिपोर्ट भेज रहे थे.' मेनका ने बताया कि अगर कोई बच्चा कमजोर है और उसका वजन कम है तो माता पिता, आंगनवाड़ी पर्यवेक्षक तथा बाल विकास परियोजना अधिकारी को सूचना भेजी जाती है.

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उन्होंने बताया, 'हमने अबतक 12 हजार ऐसे बच्चों की पहचान की है जिनका वजन बहुत कम है. जिला प्रशासन के साथ मिलकर हम उनकी स्थिति पर नजर रख रहे हैं. मंत्री ने बताया कि आंध्र प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ, झारखंड तथा राजस्थान के 47 जिलों के 39 लाख बच्चों की निगरानी की जा रही है. ये बच्चे उसी में से हैं. इन सभी बच्चों की उम्र छह साल से कम है. इस कार्यक्रम में तीन लाख गर्भवती महिलाओं तथा दुग्धपान कराने वाली माताओं को भी शामिल किया गया है.

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