डॉक्टर के पास 2 नवजात बच्चों की रहस्मयी मौत का मामला सामने आया था, जिससे पर्दा कई साल बाद उठा. दंपति को इसके अलावा 4 बार मिसकैरेज का सामना करना पड़ा.
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ये मामला साल 2010 का है जब हरियाणा के एक पति-पत्नी का पहला बच्चा नॉर्मल डिलिवरी के जरिए पैदा हुआ. करीब 10 दिनों बाद इस नवजात को बुखार और सांस लेने में तकलीफ होने लगी. उन्हेम नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (Neonatal ICU) में शिफ्ट किया गया और वेंटिलेशन सपोर्ट दिया गया. हालांकि इस बच्चे का निधन करीब 6 हफ्ते बाद निमोनिया (Pneumonia) और सेप्सिस (Sepsis) के कारण हो गया.
दूसरे बच्चे का भी निधन
साल 2021 में तक इस कपल ने 4 मिसकैरेज का दर्दनाक अनुभव किया, फिर सिजेरियन सेक्शन से बेबी का जन्म हुआ. इस नवजात को वेसे ही सांस लेने में दिक्कतें आईं जैसा कि पहले बच्चे के वक्त हुई थी. दूसरा बच्चा साढ़े 3 महीने बाद जिंदगी की जंग हार गया. ये दंपति के लिए दुखदायी पल था. यहां तक कि डॉक्टर भी हैरान थे कि दोबारा ऐसा क्यों हुआ.
अम्बिलिकल कॉर्ड ने खोला राज़
इस राज से पर्दा साल 2024 में उठा क्योंकि दोनों मृत बच्चों का अम्बिलिकल कॉर्ड प्रिजर्व किया गया था. यहां तक कि मल्टिपल मिसकैरेज की भी गुत्थी सुलझ गई. अम्बिलिकल कॉर्ड एक फ्लेक्सिबल, ट्यूबलर फॉर्मेशन होता है जो मां के फीटस और प्लेसेंटा को जोड़ता है. जब इसका जेनेटिक एनालिसिस किया गया तो पाया कि सीटीएफआर जीन में म्यूटेशन हुआ था जिससे सिस्टिक फाइबरोसिस (Cystic Fibrosis). इसी तरह का म्यूटेशन एसिंप्टोमेटिक पैरेंट्स में पाया गया, जो इस बीमारी के करियर थे.
क्या है एक्सपर्ट की राय
मेडिकल जेनेटिक्स और आईवीएफ एक्सपर्ट डॉ. रंजना मिश्रा ने टीओआई से कहा, 'म्यूटेशन के साथ होने पर अक्सर लक्षण नजर नहीं आते, लेकिन दोनों बच्चों को माता-पिता दोनों से एक म्यूटेटेड सिस्टिक फाइब्रोसिस ट्रांसमेम्ब्रेन कंडक्टर रेगुलेटर (CFTR) जीन प्राप्त हुआ था, जिससे बीमारी और कॉम्पलिकेशंस हुए.'