Weak Bones: रीढ़ की हड्डी को कमजोर बना रही ये 4 चीजें, तुरंत करें इनमें सुधार
Advertisement
trendingNow11913629

Weak Bones: रीढ़ की हड्डी को कमजोर बना रही ये 4 चीजें, तुरंत करें इनमें सुधार

दिमाग व पूरे शरीर के कामों के बीच की एक महत्वपूर्ण कड़ी है हमारी रीढ़ की हड्डी. अनहेल्दी लाइफस्टाइल, मोटापा, बढ़ता स्क्रीन टाइम और भारी बस्ते, बड़ों समेत बच्चों में भी सेहत के इस बुनियाद को कमजोर कर रहे हैं.

Weak Bones: रीढ़ की हड्डी को कमजोर बना रही ये 4 चीजें, तुरंत करें इनमें सुधार

दिमाग व पूरे शरीर के कामों के बीच की एक महत्वपूर्ण कड़ी है हमारी रीढ़ की हड्डी. अनहेल्दी लाइफस्टाइल, मोटापा, बढ़ता स्क्रीन टाइम और भारी बस्ते, बड़ों समेत बच्चों में भी सेहत के इस बुनियाद को कमजोर कर रहे हैं. हमारी स्पाइन के तीन प्रमुख भाग हैं. पहला, सर्वाइकल (गर्दन), दूसरा थोरेसिक (छाती) और लम्बर (कमर का निचला भाग). रीढ़ में मौजूद तंत्रिकाएं दिमाग से संपूर्ण शरीर तक संदेश पहुंचाती हैं. बावजूद इसके, आमतौर पर लोग रीढ़ की सेहत पर ध्यान नहीं देते.

द ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के स्पाइन सेंटर के अध्ययन के अनुसार, गलत पॉस्चर में उठना-बैठना या देर तक स्क्रीन के सामने काम करना रीढ़ की समस्याओं का एक बड़ा कारण है. ऐसे में रीढ़ की हड्डी देर तक एक ही तरफ झुकी या तिरछी स्थिति में रहती है. जिसके कारण रीढ़ का स्वाभाविक घुमाव प्रभावित होता है. खराब जीवनशैली भी रीढ़ की समस्याओं का एक बड़ा कारण है.

रीढ़ की समस्या के प्रमुख लक्षण
- कमर, खासतौर पर निचले हिस्से में दर्द और जकड़न. दर्द दिन की बजाय रात में अधिक होना.
- गर्दन में दर्द और जकड़न रहना.
- कमर व कूल्हों से होते हुए पैर तक दर्द महसूस करना. हाथ में झनझनाहट भी महसूस करना.
- व्यायाम या फिर थोड़ा ज्यादा चलने-फिरने के बाद कमर व गर्दन दर्द का बढ़ना.
- गर्दन व कमर के भाग में सुन्नता.
- रीढ़ की समस्या गंभीर होने पर मरीज को नित्य क्रिया करने जैसे पेशाब आदि से जुड़ी समस्या भी हो सकती है.

इलाज के बारे में
रीढ़ की हड्डी से जुड़ी हुई समस्याओं, कमर व गर्दन के पुराने दर्द के लिए हो सके तो स्पाइन स्पेशलिस्ट से मिलें. मरीज की स्थिति के अनुसार ही इलाज की प्रक्रिया तय की जाती है. जैसे, सियाटिका व स्लिप डिस्क के शुरुआती दौर में डॉक्टर दवाओं और फिजियोथेरेपी से राहत देने का प्रयास करते हैं. अंतिम विकल्प के तौर पर ही सर्जरी का सहारा लिया जाता है. वर्तमान में छोटे चीरे वाली सर्जरी (मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी - एमआईएसएस या मिस) की प्रक्रियाओं की मदद से सर्जरी प्रभावी व आसान हुई है. हालांकि विभिन्न समस्याओं में सर्जरी की नौबत तभी आती है, जब व्यक्ति को दवाओं और फिजियोथेरेपी से राहत नहीं मिलती.

Trending news