छात्रों की जिंदगी में मानसिक दबाव में लगातार इजाफा हो रहा है, जिसका अंजाम कई बार खुदकुशी तक पहुंच जाता है, ऐसे में एजुकेशनल इंस्टीट्यूट को क्या कदम उठाने चाहिए?
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How To Tackle Student Burnout: आपने अक्सर सुना होगा कि स्टूडेंट्स सुसाइड की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं, इसकी वजह ये है कि छात्रां का दिगागी सुकून दिन-ब-दिन खत्म होता जा रहा है. परिवार और एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन की तरफ से मिलने वाला मानसिक दबाव झेलना आसान काम नहीं है. इस मुद्दे को आमिर खान की मूवी '3 इडियट' में भी उठाया है, जहां ये बताया गया है मेंटल प्रेशर के बारे में कोई बात नहीं करता. राजस्थान के कोटा में मेडिकल और इंजीनिरिंग जैसे एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी करने वाले छात्रों की खुदकुशी की खबर हैरान करती है, ऐसे में शैक्षणिक संस्थान इस परेशानी को दूर करने में क्या मदद कर सकते हैं?
मानसिक दबाव में हैं छात्र
मशहूर साइकोलॉजिस्ट डॉ. जिनी के गोपीनाथ (Dr Jini K Gopinath) का मानना है कि स्टूडेंस्ट का मेंटल हेल्थ लगातार खराब होता जा रहा है. ज्यादातर छात्र हाई लेवल स्ट्रेस से गुजर रहे हैं जिससे उनकी वेल बीइंग पर काफी बुरा असर हो है. यही वजह है कि भारत में स्टूडेंस्ट के सुसाइड रेट में भी इजाफा देखने को मिल रहा है. एजुकेशनल इंस्टीच्यूशंस को तुरंत कदम उठाना चाहिए.
स्कूल, कॉलेज और कोचिंग इंस्टीट्यूट कैसे मदद करें?
जब छात्र कॉलेज या कोचिंग इंस्टीट्यूट में आते हैं, तो उन्हें कई यूनिक चैलेंजेज का सामना करना पड़ता है. ज्यादातर स्टूडेंस्ट के लिए, ये घर से दूर उनका पहला तजुर्बा होता है. एकेडमिक्स, सामाजिक जीवन, रिश्ते और दोस्ती, ये सभी चीजें उनके लिए काफी नई होती हैं, और उन्हें लाइफ के इन पिलर्स को बैलेंस करने का तरीका तलाशना होता है. इन सब चीजों को अकेले संभालना काफी टेंशनभरा हो सकता है. इसलिए, संस्थानों को ऐसी व्यवस्थाएं बनाने में मदद करनी चाहिए जो छात्रों को इन क्षेत्रों और उससे आगे की मदद की जरूरत होने पर संपर्क करने की इजाजत दे सकें. इंस्टीट्यूट को नीचे लिखी बातें ट्राई करनी चाहिए.
1. नए स्टूडेंट्स का ओरिएंटेशन
नए छात्रों को आम तौर पर उन सेवाओं के बारे में ओरिएंटेशन दिया जाता है जिनका इस्तेमाल वे अपनी देखभाल के लिए कर सकते हैं. इसके अलावा, संस्थान कोचिंग से कैंपस में ट्रांजीशन, नए वातावरण में ढलने, सोशल सपोर्ट तैयार करने वगैरह में मदद करने के लिए स्किल बिल्डिंग वर्कशॉप ऑर्गेनाइज कर सकते हैं.
2. मेंटल हेल्थ अवेरनेस और मुश्किलों का सामना करने की स्किल
एक प्रिवेंटिव मेजर के तौर पर, छात्रों को वेलनेस और मुश्किलों का सामना करने की स्किल के सिलेबस से रुबरू कराने से लचीलापन बढ़ सकता है. इन पाठ्यक्रमों को फैकल्टी तक बढ़ाने से उन्हें छात्रों के तजुर्बे को बेहतर ढंग से समझने और सोपर्ट करने में मदद मिल सकती है.
3. क्राइसिस मैनेजमेंट ट्रेनिंग
स्टूडेंट्स, फैकल्टी और मैनेजमेंट को मेंटल हेल्थ क्राइसिस को संभालने के लिए इमरजेंसी वाली तैयारी और रिस्पॉन्स के लिए तैयार किया जाना चाहिए, खासकर जब छात्र सुसाइड, हत्या या दूसरी टेंडेंसी दिखाने लगते हैं जिनके लिए साइकेट्रिस्ट की मदद की जरूरत हो सकती है.
(Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)