Chhattisgarh: 10 महीनों में 141 किसानों ने की आत्महत्या, सरकार ने विधानसभा में स्वीकारी बात
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Chhattisgarh: 10 महीनों में 141 किसानों ने की आत्महत्या, सरकार ने विधानसभा में स्वीकारी बात

विधानसभा में विपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक ने राज्य में अप्रैल वर्ष 2020 से इस वर्ष एक फरवरी तक किसानों की आत्महत्या और इसके कारणों को लेकर सवाल किया. कौशिक ने सरकार से सवाल किया कि किसानों की आत्महत्या के लिए कौन दोषी पाया गया और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई.

प्रतीकात्मक तस्वीर: रायटर्स

रायपुर: छत्तीसगढ़ में किसानों की आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़े हैं. छत्तीसगढ़ सरकार के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने विधानसभा में बताया कि राज्य में पिछले 10 महीने में 141 किसानों ने आत्महत्या की. विधानसभा में शुक्रवार को मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में किसानों की आत्महत्या को लेकर सरकार को घेरा और मंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर से सदन से वॉक आउट कर दिया. 

  1. छत्तीसगढ़ में 10 महीनों में 141 किसानों ने दी जान
  2. विधानसभा में बीजेपी नेता ने उठाया मुद्दा
  3. कांग्रेस ने पिछली बीजेपी सरकार पर उठाए सवाल

विपक्ष के नेता ने उठाया मुद्दा

विधानसभा में विपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक ने राज्य में अप्रैल वर्ष 2020 से इस वर्ष एक फरवरी तक किसानों की आत्महत्या और इसके कारणों को लेकर सवाल किया. कौशिक ने सरकार से सवाल किया कि किसानों की आत्महत्या के लिए कौन दोषी पाया गया और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई. एक सवाल के जवाब में राज्य के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया कि इस दौरान 141 किसानों ने विभिन्न कारणों से आत्महत्या की है.

बीजेपी ने पूछा-क्या कार्रवाई हुई? सरकार ने कहा-राजनीति न हो

चौबे ने बताया कि कोंडागांव जिले के किसान धनीराम मरकाम की आत्महत्या के मामले में अभिलेख दुरूस्ती और फसल गिरादावरी में त्रुटि पाए जाने पर पटवारी डोंगर नाग को निलंबित किया गया है. मंत्री के जवाब के बाद कौशिक ने कहा पिछले 10 महीनों के दौरान बड़ी संख्या में किसानों ने आत्महत्या की है और मंत्री बता रहे हैं कि केवल एक ही प्रकरण में पटवारी को निलंबित किया गया है. उन्होंने कहा कि किसान आत्महत्या के सभी प्रकरणों की जांच होनी चाहिए तथा जांच के बाद मृतकों के परिजन को मुआवजा देना चाहिए. मंत्री चौबे ने कहा कि किसानों की आत्महत्या राजनीति करने का विषय नहीं है, लेकिन दुर्भाग्य है कि बीजेपी इस मामले में राजनीति करना चाहती है. उन्होंने कहा कि राज्य में बीजेपी के शासन के दौरान भी किसानों ने आत्महत्या की है लेकिन तब भी ऐसे मामलों में मुआवजा देने के बारे में नहीं सोचा गया.

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 कांग्रेस ने पिछली सरकार पर उठाए सवाल

इस दौरान कांग्रेस के विधायकों ने पिछली सरकार के दौरान किसान आत्महत्या की घटनाओं का उल्लेख किया और कहा कि तब मृत किसानों के परिजनों को मुआवजा नहीं दिया गया था. इसके बाद किसान आत्महत्या को लेकर सरकार और विपक्षी दल के सदस्यों के बीच नोक- झोंक शुरू हो गई. वहीं, बीजेपी ने मृत किसानों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की. बाद में सरकार के जवाब से असंतुष्ट भाजपा विधायकों ने सदन से वॉक आउट किया. 

 

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