India-China Standoff: समाधान की एक और कोशिश, WMCC की 20वें दौर की बैठक आज
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India-China Standoff: समाधान की एक और कोशिश, WMCC की 20वें दौर की बैठक आज

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव (Anurag Shrivastava) ने  कहा कि हमें उम्मीद है कि बातचीत प्रक्रिया जारी रहने से एक ऐसे हल की तरफ आगे बढ़ा जा सकता है, जो दोनों देशों को स्वीकार हो. LAC पर जल्द से जल्द शांति स्थापित होनी चाहिए.

 

दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव बना हुआ है (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: सीमा विवाद सुलझाने की दिशा में भारत-चीन (India-China) एक और कदम आगे बढ़ा रहे हैं. दोनों देशों के बीच परामर्श और सामन्वय के लिए कार्यतंत्र (WMCC) की 20वें दौर की बैठक आज वर्चुअली होने जा रही है. WMCC एक इंस्टीट्यूशनल मेकेनिज्म है जिसकी स्थापना 2012 में की गई थी. ताकि सीमा क्षेत्रों के प्रबंधन के लिए परामर्श और समन्वय प्रदान किया जा सके. हालांकि, ये बात अलग है कि चीन (China) बैठकों में सहमति बनने के बाद भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है.

  1. 2012 में हुआ था WMCC का गठन
  2. पहले भी कई दौर की बातचीत हो चुकी है
  3. चीन हर बार सहमति के बाद मुकर जाता है 

उम्मीद, निकल आएगा हल 

इससे पहले, गुरुवार को साप्ताहिक वर्चुअल बैठक में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव (Anurag Shrivastava) ने उम्मीद जताई कि बातचीत के जरिए समाधान हासिल किया जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि बातचीत प्रक्रिया जारी रहने से एक ऐसे हल की तरफ आगे बढ़ा जा सकता है, जो दोनों देशों को स्वीकार हो’. उन्होंने आगे कहा कि LAC पर जल्द से जल्द शांति स्थापित होनी चाहिए और विवादित क्षेत्रों से सेनाओं को पीछे हटाया जाना चाहिए.

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30 September को हुई थी आखिरी बैठक

इस तरह की आखिरी वार्ता 30 सितंबर को हुई थी. भारतीय पक्ष का नेतृत्व विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) करते हैं और चीन (China) की तरफ से आमतौर पर विदेश मंत्रालय के सीमा और महासागरीय विभाग के महानिदेशक इसका हिस्सा बनते हैं. मालूम हो कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर 8 महीने से गतिरोध जारी है. इस साल दोनों देशों के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है. गलवान घाटी हिंसा के बाद से भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं. इस हिंसा में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे. चीन को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा था, लेकिन उसने कभी सही आंकड़ों का खुलासा नहीं किया.

America भारत के साथ
उधर, अमेरिका ने एक बार साफ कर दिया है कि वो चीन के खिलाफ भारत के साथ है. अमेरिकी संसद ने 740 अरब डॉलर के जिस रक्षा नीति विधेयक को पारित किया है उसमें भारत के खिलाफ चीन की आक्रामकता का विरोध भी शामिल है. इस विधेयक में भारतीय-अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति के प्रस्ताव की भाषा के अहम अंशों को भी शामिल किया गया है और चीन सरकार से LAC के पास भारत के खिलाफ सैन्य आक्रामकता को खत्म करने के लिए कहा गया है.

‘दबाव बढ़ाना समाधान नहीं’
राजा कृष्णमूर्ति ने इससे पहले कहा था कि किसी भी देश की सीमा पर दबाव बढ़ाना समस्या का हल नहीं है. LAC भारत और चीन को अलग करती है. मेरे प्रस्ताव को शामिल करके उसे कानून में बदल सकता है. ऐसा करके अमेरिका चीन को स्पष्ट संदेश दे सकता है कि भारत को उकसाने की कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका हमेशा अपने साथी देशों के सीमा से जुड़े तनाव को कूटनीतिक तरीके से सुलझाने के लिए काम करता रहा है.

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