साल 2002 तक भारतीय सेना के काफिले को जम्मू-कश्मीर में विशेष सुरक्षा प्रदान की जाती थी. इसके तहत जब कभी भारतीय सुरक्षा बलों का कफिला जम्मू-कश्मीर के किसी इलाके से गुजरता तो सड़कें खाली करा दी जाती थीं.
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श्रीनगर: पुलवामा में फिदायीन हमले में CRPF के 40 जवानों की शहादत पर पूरा देश सदमे में है. देश भर में लोग अपने-अपने हिसाब से गुस्सा जाहिर कर रहे हैं. भारत सरकार इस फिदायीन हमले का जवाब देने की तैयारी कर रही है. ऐसे में इस बात का भी तलाश की जा रही है कि आखिर हमसे कहां और कौन सी चूक हो गई जिसके चलते आतंकवादी इतनी बड़ी वारदात को अंजाम देने में सफल हो गए.
इन्हीं सारी बातों के बीच मुफ्ती मोहम्मद सईद की सरकार में लिए गए एक फैसले की ओर सेना के विशेषज्ञ ध्यान दिला रहे हैं. दरअसल, साल 2002 तक भारतीय सेना के काफिले को जम्मू-कश्मीर में विशेष सुरक्षा प्रदान की जाती थी. इसके तहत जब कभी भारतीय सुरक्षा बलों का कफिला जम्मू-कश्मीर के किसी इलाके से गुजरता तो सड़कें खाली करा दी जाती थीं.
सुरक्षा बलों के काफिले के बीच कोई और वाहन ना आ जाए इसे रोकने के लिए सड़क के किनारे सुरक्षा व्यवस्था मुस्तैद कर दी जाती थी. साल 2002-03 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने यह कहते हुए इस नियम को हटा दिया कि इससे आम नागरिकों को कष्ट होता है. सईद का कहना था कि सुरक्षाबल भी देश के आम नागरिक हैं, ऐसे में उनके काफिले को अलग सुविधा देने की कोई जरूरत नहीं है.
नियम में बदलाव होने के बाद से सेना का काफिला बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के जम्मू-कश्मीर की सड़कों से गुजरने लगे. पुलवामा आतंकी हमले में यही खामी सामने आई है. यहां जब सेना का काफिला गुजर रहा था तभी जेईएम के फिदायीन हमलावर ने 100 किलोग्राम विस्फोटकों से भरी कार से सीआरपीएफ की बस में टक्कर मार दी जिसमें 40 जवान शहीद हो गए.
माना जा रहा है कि अगर पुराने नियम होते तो शायद विस्फोटकों से भरी कार सेना के काफिले के बीच नहीं पहुंच पाती. बताया जा रहा है कि पुलवामा हमले के बाद जम्मू-कश्मीर पहुंचे गृहमंत्री राजनाथ सिंह के सामने CRPF के एक जवान ने दोबारा से इस नियम को लागू करने की मांग की है.
वाहन चेकिंग की बंदिशें खत्म होने का भी हुआ नुकसान
विस्फोटक से भरी कार के जरिए CRPF की बस को आत्मघाती हमले में उड़ाने की घटना के लिए बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने 2014 में सरकार की ओर से बदले गए एक नियम को जिम्मेदार ठहराया है.
वरिष्ठ अधिवक्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर बताया है कि साल 2014 में सरकार ने नियम में बदलाव करते हुए चेक प्वाइंट पर किसी वाहन को रोकने या उसपर बल प्रयोग के अधिकार सुरक्षाबलों से छिन लिए थे. यही वजह रही कि विस्फोटक से भरी कार CRPF की बस के करीब पहुंची और देश को इतना बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है.
उन्होंने बताया कि सरकार यह आदेश इसलिए लेकर आई थी क्योंकि, सेना के कुछ जवानों ने एक मारुति कार पर फायरिंग कर दी थी. इसके बाद जवानों पर मुकदमा भी चला था और आज भी वे जेल में हैं.
मालूम हो कि 3 नवंबर, 2014 को बडगाम में 53, राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों ने एक सफेद मारुति कार पर फायरिंग कर दी थी. यह कार दो चेक प्वाइंट्स को तोड़ते हुए आगे बढ़ रही थी. इसपर जवानों को संदेह हुआ कि इस कार में आतंकी हो सकते हैं. जवानों ने कार पर फायरिंग कर दी जिसमें दो युवक मारे गए थे.
जांच में पता चला था कि पांच युवक मुहर्रम के जुलूस से इसी कार में लौट रहे थे, जिसमें से दो की मौत जवानों की गोली से हुई थी. इस मामले में चार सैनिक दोषी पाए गए थे और वे सजा काट रहे हैं. इस घटना पर जम्मू-कश्मीर में काफी विवाद हुआ था, जिसके बाद सरकार ने चेक प्वाइंट्स पर गाड़ियों को बल प्रयोग कर रोकने के नियम पर पाबंदी लगा दी थी.