सुषमा ने माना, कट्टरता के प्रभाव में 50 भारतीय युवक
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सुषमा ने माना, कट्टरता के प्रभाव में 50 भारतीय युवक

सरकार ने आज लोकसभा में कहा कि देश के 50 युवक कट्टरपंथ (रेडिकलाइज करने) के प्रभाव में उस तरफ चले गये लेकिन भारतीय मूल्यों और संस्कारों की वजह से देश में इस खतरे के प्रभाव कम हैं.

केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : सरकार ने आज लोकसभा में कहा कि देश के 50 युवक कट्टरपंथ (रेडिकलाइज करने) के प्रभाव में उस तरफ चले गये लेकिन भारतीय मूल्यों और संस्कारों की वजह से देश में इस खतरे के प्रभाव कम हैं.

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि युवकों का कट्टरता की ओर जाने का मुद्दा केवल जम्मू कश्मीर तक सीमित नहीं है बल्कि देश के सभी राज्यों और पूरी दुनिया में इसका असर है. उन्होंने प्रश्नकाल में उत्तर देते हुए कहा कि 50 भारतीय युवक कट्टरता के प्रभाव में उस ओर चले गये. हालांकि देश के मूल्य, हमारी संस्कृति और अभिभावकों के बच्चों पर ध्यान देने की वजह से भारत में इस खतरे का प्रभाव नगण्य है. 

'भारत करेगा कट्टरता रोधी सम्मेलन की मेजबानी'
सुषमा ने कहा कि हमारा संविधान धर्मनिरपेक्ष है और हम मानते हैं कि हिंसा अच्छी नहीं होती. इससे भी मदद मिली है. भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह के प्रश्न के उत्तर में सुषमा ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस दिशा में राज्यों के साथ एक कार्यक्रम भी चलाया है ताकि युवकों को गलत दिशा में जाने से रोका जा सके. उन्होंने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में बताया कि भारत इस साल कट्टरता रोधी सम्मेलन की मेजबानी करेगा जिसमें आसियान देशों को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है. उन्होंने कहा कि सम्मेलन की थीम ‘सीमापार आतंकवाद’ और ‘कट्टरता रोधी प्रयास’ होंगे. 

सुषमा ने यह भी कहा कि सरकार उलेमाओं और विद्वानों के साथ कट्टरता-रोधी सम्मेलन आयोजित करने के एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी के सुझाव पर सकारात्मक विचार करेगी. ओवैसी ने कहा था कि नेताओं के बजाय विद्वानों, उलेमाओं के साथ सरकार को सम्मेलन करना चाहिए क्योंकि मलेशिया समेत कई देशों में विद्वानों ने युवकों को कट्टरता की ओर जाने से रोकने में सफल प्रयास किये हैं.

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