गिरोह का सरगना अरुण सिर्फ आठवीं पास है. वहीं अरुण का साथी ऋषि पांचवी पास है. इन दोनों ने मिलकर अब तक 200 लोगों के एटीएम से लाखों रुपए की नगदी साफ की है.
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नई दिल्ली: मायने यह नहीं रखता कि सामने वाला कितना बड़ा शातिर है, ज्यादा मायने यह रखता है कि आप अपनी चीजों को लेकर कितना सतर्क हैं. अक्सर आपके लापरवाह नजरिए का फायदा आपराधिक सोच रखने वाले लोग उठा लेते हैं. बैंक फ्रॉड से जुड़े ज्यादातर मामलों में देखने को मिलता है कि ठग लोगों के लापरवाह नजरिए का फायदा उठाकर उनका बैंक एकाउंट साफ कर देते हैं. जी हां, मंगलवार (10 जुलाई) को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने दो ठगों को गिरफ़तार कुछ ऐसे हीं मामलों का खुलासा किया है. जिसमें एटीएम में बेहद लापरवाह नजर आने वाले 200 से अधिक लोगों के बैंक एकाउंट को आठवीं और पांचवीं पास दो ठगों ने साफ कर दिया.
क्राइम ब्रांच द्वारा गिरफ्तार किए गए दोनों ठगों की पहचान अरुण कुमार और ऋषि के रूप में हुई है. क्राइम ब्रांच के संयुक्त पुलिस आयुक्त आलोक कुमार के अनुसार गिरोह का सरगना अरुण सिर्फ आठवीं पास है. वहीं अरुण का साथी ऋषि पांचवी पास है. इन दोनों ने मिलकर अब तक 200 लोगों के एटीएम से लाखों रुपए की नगदी साफ की है. इनके कब्जे से क्राइम ब्रांच ने चोरी की एक बाइक और विभिन्न बैंक के 37 एटीएम कार्ड बरामद किए हैं. जांच के दौरान पता चला कि दोनों आरोपियों के खिलाफ दिल्ली के विभिन्न पुलिस स्टेशन में 15 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज है.
संयुक्त पुलिस आयुक्त आलोक कुमार के अनुसार अरुण कुमार को एमटीएम से जुड़े अपराध के मामले में 2015 में क्राइम ब्रांच और कालकाजी थाना पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है. वहीं इसी तरह के अन्य मामलों में 2017 में पूर्वी दिल्ली की प्रीत विहार थाना पुलिस ने अरुण को गिरफ्तार किया था. उन्होंने बताया कि आरोपी ऋषि को दूसरे के एकाउंट से रुपए निकालने के मामले में ओखला इंडस्ट्रिलय एरिया थाना पुलिस ने 2016 में गिरफ्तार कर चुकी है. उन्होंने बताया कि लोगों को बेवकूफ बनाकर उनके एटीएम से निकाले गए रुपयों का इस्तेमाल लड़कियों को इंप्रेस करने के लिए मंहगे मोबाइल और कपड़ों खरीदने में खर्च किया जाता था.
संयुक्त पुलिस आयुक्त आलोक कुमार के अनुसार दूसरे के एटीएम से रुपए निकालने के लिए दोनों के पास कोई बहुत खास टेक्नोलॉजी नहीं थी, बल्कि ये दोनों लोगों की लापरवाही का फायदा उठाकर उनके एकाउंट से रुपए निकाल लेते थे. उन्होंने बताया कि दोनों बदमाशों ने कुछ ऐसे एटीएम बूथ को चिन्हित किया था, जहां पर एटीएम मशीन से अनभिज्ञ लोग रुपए निकालने के लिए आते थे. साजिश के तहत, दोनों एटीएम मशीन की कुछ बटनों को ब्लॉक कर देते थे. इसके बाद रुपए निकालने में मदद करने के नाम पर एटीएम मशीन में दाखिल हो जाते थे.
मदद के नाम पर ये लोग रुपए निकालने आए शख्स का पिन नंबर जान लेते थे. एटीएम मशीन में पिन नंबर डालने के बाद ये गलत बटन दबाकर ट्रांजेक्शन को रद्द कर देते थे. कई बार की कोशिश में ये लोग बेहद शातिराना तरीके से एटीएम कार्ड को बदल देते थे. रुपए निकालने आए शख्स के जाने के बाद वह उसके एटीएम और पिन के जरिए उनका एकाउंट साफ कर देते थे. जब तक पीडि़त शख्स को उसके खाते से रुपए निकलने के बारे में मैसेज के जरिए पता चलता था, तब तक दोनों मौके से फरार हो चुके होते थे. अपनी इस मोरस ऑपरेंडी के जरिए दोनों अब तक करीब 200 से अधिक लोगों को अपना शिकार बना चुके हैं.