सेना कैंप हमले में ढेर आतंकी के कपड़े सूंघकर डॉग ने आतंकियों के घुसने का रास्ता बताया था
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सेना कैंप हमले में ढेर आतंकी के कपड़े सूंघकर डॉग ने आतंकियों के घुसने का रास्ता बताया था

करीब दो साल पहले जम्मू के नगरोटा आर्मी कैंप में जैश मोहम्मद के तीन आतंकियों ने कैंप में दाखिल हो कर हमला बोल दिया था .घंटो चली करवाई के बाद सभी आतंकियों को मार गिराया गया था.

सेना कैंप हमले में ढेर आतंकी के कपड़े सूंघकर डॉग ने आतंकियों के घुसने का रास्ता बताया था

नई दिल्ली : सेना के नगरोटा कैंप पर हमले की  जाँच के लिए गयी एनआईए की टीम दीनो डॉग की मदद से कैंप में घुसे आतंकियों के रास्ते का पता लगाया था ,करीब दो साल पहले जम्मू के नगरोटा आर्मी कैंप में जैश मोहम्मद के तीन आतंकियों ने कैंप में दाखिल हो कर हमला बोल दिया था .घंटो चली करवाई के बाद सभी आतंकियों को मार गिराया गया था , हमले के बाद सरकार ने एनआईए से जाँच करने को कहा था .जब एनआईए की टीम घटनास्थल पर पहुंची तों उनके लिए ये पता लगाना बेहद मुश्किल हो रहा था की आतंकियों ने किस रास्ते के जरिये कैंप में दाखिल होने में कामयाबी हासिल की थी .

एनआईए  के लिए ये काम काफी मुश्किल साबित हो रहा था लेकिन तभी सेना के एक खोजी डॉग दीनो  ने एनआईए का काम काफी आसन कर दिया. दीनो डॉग ने थोड़े देर में ही ये पता लगा लिया की तीनो आतंकी किस रास्ते से कैंप में दाखिल हुए है एनआईए के अदालत में दायर चार्जशीट से ये खुलासा  हुआ है.

जब एनआईए  की टीम नगरोटा हमले में पाकिस्तान के लिंक की जाँच कर रही थी तब ये पता लगाना बेहद जरुरी था कि आतंकी किस रास्ते से कैंप में दाखिल हुए है ,साथ ही ये भी पता लगाना जरुरी था की क्या सभी अन्तरराष्ट्रीय सीमा से दाखिल हुए है या फिर लाइन ऑफ़ कंट्रोल के जरिये. एनआईए  की टीम ने सेना के एक खोजी डॉग दीनो को इस काम में लगा दिया था. दीनो के हैंडलर ने मारे गए जैश ए मोहम्मद आतंकी के मोज़े को जब दीनो को सूघने के लिए दिया तब वो टीम को उस रास्ते की तरफ ले गया जिधर से आतंकी कैंप में दाखिल हुए थे .

एनआईए  के एक अधिकारी के मुताबिक डॉग के हैंडलर  ने जैसे ही दीनो को आतंकियों के मोज़े दिए उसने हमें उन रास्तो को  दिखाना शुरू कर दिया, जिधर से आतंकी आये थे दीनो हमें कैंप के बहार ले गया उस जगह से करीब 1400 मीटर दूर नेशनल हाईवे पर जहाँ से आतंकियों ने कैंप पर धावा बोला था .

एनआईए  ने मारे गए आतंकियों के पास से मिले मोबाइल और कम्युनिकेशन सिस्टम को वाशिंगटन में स्थित यू एस जस्टिस डिपार्टमेंट को जाँच के लिए भेजा था ,अमेरिकन एजेंसीज ने एनआईए को भेजे अपनी जाँच रिपोर्ट में ये साफ़ कर दिया की सभी आतंकी पाकिस्तान से आये थे और हमले के वक़्त जैश के पाकिस्तानी कमांडर के संपर्क में थे.

29 नवम्बर 2016 के दिन 3 आतंकियों ने साम्बा सेक्टर के रास्ते जम्मू में दाखिल हो कर नगरोटा के आर्मी कैंप पर हमला बोला था इस काम में मोहम्मद आशिक बाबा, सईद मुनीर,हस्सन कादरी ,तारिक अहमद डार और अशरफ हामिद खांदे ने इन आतंकियों को कैंप में घुसने के लिए मदद की थी ,इन आरोपियों ने सभी आतंकियों को सीमा से रिसीव किया था और कैंप का रास्ता दिखाया था .

एनआईए  की जाँच में पता चला था की एक आरोपी आशिक बाबा कई बार पाकिस्तान जा चुका है पाकिस्तान में रहने के दौरान उसने जैश ए मोहम्मद के कैंप में ट्रेनिंग भी ली थी ,पाकिस्तान जाने के लिए उसे हुर्रियत ने पाकिस्तान हाई कमीशन के लिए सिफारशी ख़त भी लिखा था जिससे उसे वीसा मिलने में कोई दिक्कत न हो .

एनआईए  के एक अधिकारी के मुताबिक आशिक बाबा और सईद मुनीर हमले के लिए आये आतंकियों को देश में घुसपैठ कराने में मदद की थी ,हर घुसपैठ कराने के लिए जैश की तरफ से उसे 7-10  लाख रूपये मिलते थे जिस दिन जैश के आतंकियों ने नगरोटा कैंप पर हमला किया था उस वक़्त भी सईद मुनीर लगातार आतंकियों के संपर्क में था . सईद मुनीर ने पीओके के मुजफ्फराबाद में जाकर जैश के अल बक्र कैंप में हथियारों की ट्रेनिंग भी ली थी.

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