SC hearing Bulldozer Case: मुस्लिमों के खिलाफ हुई कार्रवाई? SC में हुई इस दलील पर चर्चा, जानें कोर्ट में क्या हुआ?
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SC hearing Bulldozer Case: मुस्लिमों के खिलाफ हुई कार्रवाई? SC में हुई इस दलील पर चर्चा, जानें कोर्ट में क्या हुआ?

Supreme Court hearing: दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई बुलडोजर कार्रवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई. इस मामले में कोर्ट ने उन सभी दलीलों पर भी चर्चा हुई जिसमें दावा किया जा रहा था कि बुलडोजर सिर्फ मुस्लिमों की संपत्ति पर चलाया जा रहा है.

SC hearing Bulldozer Case: मुस्लिमों के खिलाफ हुई कार्रवाई? SC में हुई इस दलील पर चर्चा, जानें कोर्ट में क्या हुआ?

Bulldozer action hearing in Supreme Court: दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुए बुलडोजर एक्शन की ओर सभी की निगाहें टिकी हुई थीं. लेकिन कल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कार्रवाई रोक दी गई और सुनवाई अगले दिन के लिए टाल दी गई. ऐसे में आज (गुरुवार) सुबह करीब 10:55 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई. सबसे पहले जमीयत उलेमा ए हिंद की तरफ से सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने दलीलें रखना शुरू किया.

दवे की दलीलों पर कोर्ट ने की तीखी टिप्पणी

दुष्यंत दवे ने कहा कि ये मामला राष्ट्रीय और संवैधानिक महत्व से जुड़े कई सवालों को उठाता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सवाल किया इसमें राष्ट्रीय महत्व की क्या बात है. ये तो एक इलाके की बात है! दवे ने कहा जो 2002 में भी नहीं हुआ वह अब हो रहा है. एक समुदाय विशेष को टारगेट किया जा रहा है. कोर्ट ने उन्हें टोकते हुए कहा कि वो सिर्फ केस के तथ्यों पर बात करें.

इसके बाद दवे ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने VHP के खिलाफ FIR जरूर दर्ज की है लेकिन बिना जांच के ही इससे पहले बड़ी संख्या में लोगों को गिरफ्तार किया गया है. MCD के अधिकारियों को पता था कि हम 10:30 बजे इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने वाले हैं. लिहाजा उन्होंने सुबह 9:00 बजे ही डिमोलिशन (Demolition) की कार्रवाई शुरू कर दी. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट से यथास्थिति बनाए रखने का आदेश आने के बावजूद वहां पर बुलडोजर की कार्रवाई जारी रही. ये दर्शाता है कि उन्हें कानून के शासन या लोकतंत्र की परवाह नहीं है.

'बिना नोटिस जारी किए हुए एकतरफा कार्रवाई'

दवे ने सवाल उठाया कि कैसे बीजेपी का एक नेता अतिक्रमण हटाने को लेकर MCD को पत्र लिखता है और अगले दिन कार्रवाई शुरू हो जाती है. दिल्ली में Delhi Municipality Act एक्ट है, उसमें डिमोलिशन की कार्रवाई से पहले नोटिस दिए जाने का प्रावधान है. दवे ने कहा कि दिल्ली में 1731 अवैध कॉलोनियां हैं. जिनमें करीब 50 लाख लोग रहते हैं फिर इसी जगह टारगेट क्यों किया गया. साफ है कि आप समुदाय विशेष को टारगेट करना चाहते हैं. जहांगीरपुरी, जहां पर ये कार्रवाई हुई वहां 30-50 साल पुराने घर/ दुकान हैं. हमारे यहां लोकतंत्र है. संविधान से चलने वाले एक सभ्य समाज में ऐसी एकतरफा कार्रवाई की अपेक्षा नहीं की जा सकती.

'MCD ऐसी कार्रवाई सैनिक फार्म जैसी पॉश कॉलोनियों में क्यों नहीं करती'

कोर्ट के पूछने पर दवे ने DMC एक्ट के सेक्शन 343 का हवाला दिया जिसके मुताबिक ऐसी कार्रवाई से पहले नोटिस देना जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट अपने फैसलों में कह चुका है कि जीने के अधिकार में ही शेल्टर का अधिकार निहित है. ये लोग गरीब लोग हैं. अगर अतिक्रमण हटाना ही मकसद है तो MCD ऐसी कार्रवाई सैनिक फार्म जैसी पॉश कॉलोनियों में क्यों नहीं करता. गोल्फ लिंक में क्यों नहीं करता, जहां मैं रहता हूं. वहां हर दूसरा घर अतिक्रमण है. लेकिन उन्हें छुआ भी नहीं जाएगा.

दवे ने आदेश गुप्ता के पत्र पर सवाल उठाया

दुष्यंत दवे ने कहा कि पुलिस हो या दूसरी ऑथोरिटी वो कानून से बंधी है, किसी BJP नेता के पत्र से नहीं. ये दुःखद स्थिति है. BJP नेता ने पत्र में लिखा है कि 'कुछ असामाजिक तत्वों ने शोभायात्रा पर पत्थरों से हमला किया. इन लोगों को आम आदमी पार्टी के नेताओं का समर्थन हासिल है. लिहाजा वह चाहते हैं कि ऐसे लोगों का घर गिरा दिया जाए'. वो ऐसा निर्देश देने वाले कौन होते हैं?

सिब्बल की दलील- मुस्लिम समुदाय को टारगेट किया जा रहा

जमीयत की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि अतिक्रमण अपने आप में दिक्कत है. लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि मुस्लिम समुदाय से इसे जोड़ दिया गया है. कई राज्यों में ऐसा हो रहा है, एक जुलूस निकलता है, टकराव होता है और उसके बाद एक समुदाय विशेष के घरों को बुलडोजर से ढहा दिया जाता है. मध्य प्रदेश को ही ले लीजिए वहां पर मंत्री ने बयान दिया है कि अगर मुसलमान ऐसा करेंगे तो फिर वह इंसाफ की उम्मीद नहीं कर सकते. उन्हें किसी को ये सजा देने का अधिकार किसने दिया. यहां तक कि जो लोग पहले से ही किसी दूसरे मामले में जेल में बंद हैं, उनके घरों को भी ढहा दिया गया. अतिक्रमण किसी एक समुदाय विशेष तक तो सीमित नहीं है  फिर आप किसी समुदाय विशेष के घरों को टारगेट कर रहे हैं.

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SC ने अतिक्रमण रोकने का नहीं दिया आदेश

सिब्बल ने कहा कि वो देश भर में डिमोलिशन पर पर रोक चाहते हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि वो पूरे देश में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर रोक का आदेश नहीं देने जा रहे हैं. हां, जहांगीरपुरी में रोक पर हम विचार करेंगे. सिब्बल ने कहा कि वो बुलडोजर से डिमोलिशन पर रोक चाहते हैं. इस पर कोर्ट ने कहा- डिमोलिशन हमेशा बुलडोजर से होता है.

बृंदा करात के वकील की दलील

बृंदा करात के वकील पी सुरेन्द्रनाथ ने कहा कि वो जहांगीरपुरी में ही मौजूद थीं. कोर्ट की रोक के बावजूद वहां 12.45 तक बुलडोजर चलता रहा. इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जहांगीरपुरी में जो हुआ, वो अतिक्रमण हटाने की रुटीन प्रकिया का हिस्सा है. ये कार्रवाई जनवरी में शुरू हुई, फिर फरवरी, फिर मार्च और अब 19 अप्रैल वो 5वीं तारीख थी, जब डेमोलिशन की कार्रवाई हुई. डिमोलिशन की कार्रवाई से पहले नोटिस दिए गए थे. यही वजह है कि इसके बजाए कि डिमोलिशन के प्रभावित लोग कोर्ट आते, कुछ संगठन यहां पहुंचे हैं. अगर वो लोग यहां आते तो ये बात साफ हो जाती कि उन्हें नोटिस दिए गए थे. जहांगीरपुरी से जुड़ा मामला हाइ कोर्ट भी पहुंचा था. हाई कोर्ट ने वहां अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था.

'मुस्लिम समुदाय को टारगेट किए जाने का आरोप गलत'

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा- खरगोन में जिन लोगों के घर ढहाए गए, उनमे 88 लोग हिंदू थे, सिर्फ 25 मुस्लिम थे. मैं नहीं चाहता था, पर मजबूरन मुझे ऐसे आंकड़े रखने पड़ रहे हैं. खरगोन में 2021-2022 में डिमोलिशन ऑर्डर पास किए गए थे. तुषार मेहता ने कहा कि सड़क पर मौजूद स्टॉल, कुर्सियों और मेज को हटाने के लिए पहले से कोई नोटिस देने की जरूरत नहीं है. इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि क्या कल की कार्रवाई सिर्फ कुर्सी, स्टॉल, मेज हटाने के लिए की गई थी? क्या इन सबके लिए भी बुलडोजर की जरूरत थी? SG तुषार मेहता ने कहा कि बिल्डिंग गिराने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल हुआ और इसके लिए नोटिस जारी कर दिए गए थे. हालांकि याचिककर्ता की ओर से पेश वकीलों ने इससे इनकार किया.

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सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सभी की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जहांगीरपुरी में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है. लेकिन कोर्ट ने साफ किया कि ये आदेश सिर्फ जहांगीरपुरी तक सीमित है. यानी देश के दूसरे हिस्सो में अतिक्रमण हटाने का अभियान चलता रहेगा. कोर्ट ने सभी याचिकाओं पर नोटिस जारी किए हैं. सरकार, NDMC को दिल्ली पुलिस का जवाब दाखिल करना होगा. इसके अलावा कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से भी कहा है कि वो हलफनामा दखिल कर साफ करें कि उन्हें नोटिस जारी किए गए थे या नहीं. कोर्ट ने ये भी कहा कि वो जहांगीरपुरी में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश के बावजूद वहां डिमोलिशन जारी रखने को गंभीरता से ले रहा है और आगे इस पर विचार होगा.

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