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नई दिल्ली: अफगानिस्तान (Afghanistan) तालिबान के साथ शांति प्रक्रिया (Peace Process) में भारत को बड़ी भूमिका निभाते देखना चाहता है. अफगानिस्तान के विदेश मंत्री हनीफ अतमार (Haneef Atmar) ने मंगलवार को कहा कि हम शांति प्रक्रिया के लिए क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहमति बनाने में भारत की बड़ी भूमिका की कल्पना करते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि बातचीत में तालिबान को शामिल करना है या नहीं, ये पूरी तरह से नई दिल्ली पर निर्भर करता है. अतमार तीन-दिवसीय भारत दौरे पर 22 मार्च को दिल्ली पहुंचे थे. उन्होंने अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर (S Jaishankar) और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (Ajit Doval) के साथ COVID-19 महामारी से निपटने के प्रयासों, सुरक्षा और आर्थिक सहयोग पर बातचीत की.
मीडिया से बातचीत के दौरान, अफगानिस्तान के विदेश मंत्री हनीफ अतमार ने शांति प्रक्रिया में भारत (India) की भूमिका पर बोलते हुए कहा कि क्षेत्र की शांति और स्थिरता में नई दिल्ली के वैध हित हैं और हम चाहते हैं कि वो इसमें बड़ी भूमिका निभाए. ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ के अनुसार, उन्होंने आगे कहा, ‘कुछ ऐसी शक्तियां हैं, जो न केवल अफगान बल्कि भारत के लिए भी खतरा उत्पन्न कर सकती हैं. इसलिए, भारत शांति स्थापित करने की प्रक्रिया में एक वैध भागीदार है और हम उसे बड़ी भूमिका निभाते देखना चाहते हैं’.
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में स्थायी शांति राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहमति पर निर्भर करती है. क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहमति बनाने में भारत की भूमिका अहम है. अफगान विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने वार्ताकारों के साथ तालिबान के प्रति भारत के दृष्टिकोण पर चर्चा नहीं की है. हमने यह निर्णय भारत पर छोड़ दिया है. हालांकि, हमने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहमति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अनुरोध नई दिल्ली से जरूर किया है.
हनीफ अतमार ने कहा कि अफगानिस्तान और भारत दोनों ही क्षेत्रीय आतंकवाद से प्रभावित हैं और दोनों देशों पर इस तरह की ताकतों से निपटने की जिम्मेदारी है. अफगान सरकार तालिबान के साथ बातचीत कर रही है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अफगानिस्तान ऐसे अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह न बने जो भारत या पश्चिमी देशों को निशाना बना सकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि दुनिया को सुरक्षित करने के लिए सबसे अच्छी रणनीति है क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों से तालिबान को अलग करना.
आतंकवादियों द्वारा अफगानिस्तान के हिंदू और सिख अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने से जुड़े एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने कहा, ‘आतंकियों ने अफगान के अल्पसंख्यकों को भी नहीं छोड़ा है. इसलिए यह कहना गलत होगा कि किसी विशेष धर्म, समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है’. उन्होंने कहा कि हिंदू और सिख अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करना अफगान सरकार की जिम्मेदारी है. तालिबान के साथ तुर्की में एक अप्रैल को होने वाली बैठक के बारे में उन्होंने कहा कि ये बैठक तीन मुद्दों पर केंद्रित होगी - एक स्थायी और व्यापक युद्ध विराम, राजनीतिक समझौता, जो अफगान के लोगों के अनुरूप है, और इस समझौते के लिए क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय गारंटी.