UP Politics: पांच चुनावी राज्यों में जारी सियासी घमासान और खींचतान के बीच उत्तर प्रदेश में आम चुनावों (लोकसभा चुनाव) को लेकर गहमा-गहमी शुरू हो गई है. इस बीच समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि अगर वे (BJP) सत्ता में आए तो हमारे वोट का अधिकार भी छीन लेंगे. क्या है पूरा माजरा आइए जानते हैं.
Trending Photos
UP Politics Akhilesh Yadav statement: देश का सियासी माहौल टाइट है. विधानसभा चुनाव वाले राज्यों से इतर अन्य प्रदेशों में लोकसभा चुनावों के मद्देनजर चकल्लस शुरू हो गई है. सभी राजनीतिक दलों के नेता अपने तरकश में रखे तीर और तलवारों में धार लगा रहे हैं. अपने-अपने फेवर में हवा बनाने के लिए कोई विकास की बात कर रहा है तो कोई अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं को डरा रहा है. लोकसभा के सेमीफाइनल में जारी नेट प्रेक्टिस के इतर कुछ दिग्गज ऐसे भी हैं जो हर हाल में अपने विरोधियों को धोबी पछाड़ जैसे दांवों से चित करने के लिए बेचैन हो रहे हैं.
अखिलेश यादव का 'फियर फैक्टर'
यूपी-बिहार जैसे राज्यों में अधिकांश पार्टियों का फोकस OBC वर्ग को अपने पाले में करने पर है. OBC के लोगों की रहनुमाई का दावा करने वाले यानी पिछड़े वर्ग की राजनीति करने वाले नेता हर बार की तरह इस बार भी साम दाम दंड भेद कुछ भी करके अपनी नैया पार लगाना चाहते हैं. इस बीच यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने फियर कार्ड (भय का शिफूगा) खेलकर लोगों को हैरान कर दिया है.
'...तो छिन जाएगा वोटिंग का अधिकार', अखिलेश यादव क्यों डरा रहे हैं?
सियासी समर में कहीं जातिगत जनगणना के जरिए वोट बैंक साधने की कोशिश हो रही है तो कहीं कुछ और राजनीतिक चक्रव्यूह रचा जा रहा है. शाहजहांपुर में समाजवादी पार्टी का बड़ा कार्यक्रम चल रहा है पूरे प्रदेश के सपा नेता वहां डेरा जमाए बैठे हैं. उस आयोजन में अखिलेश यादव ने कहा, 'भाजपा दोबारा सत्ता में आई तो हो सकता है हमारे वोट का अधिकार भी छीन ले. यदि यह अधिकार छिन गया तो क्या हम बदलाव ला पाएंगे? इसीलिए, हमारे सामने बड़ी चुनौती है और लंबी लड़ाई है.'
अखिलेश यादव ने इस बयान को देकर अपने कार्यकर्ताओं में जान फूंकने की कोशिश करते हुए, उन्हें अभी से 2024 के रण के लिए जी जान से जुटने को कह दिया है. अखिलेश ने इस दौरान प्रशासनिक अधिकारियों पर भी निशाना साधा. अखिलेश ने ये भी कहा कि पिछले चुनाव में भीड़ देखकर लगा कि सब सीटें जीत जाएंगे. मगर नतीजा आया तो जिले में हमारा खाता भी नहीं खुला. दरअसल, आपने तो जिताया मगर अधिकारियों ने हरा दिया.
सपा मुखिया ने ये भी कहा, नौ बार के विधायक और वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना के शहर की हालत हमने देखी है. पूरे शहर की सड़कें खोदी हुई पड़ी हैं. जिस मंत्री के हाथों में खजाने की चाबी है, उनके शहर का यह हाल है. आपस की लड़ाई अब मत करना. लड़ते रह गए तो 24 छूट जाएगा.
बीजेपी का आरोप
चुनावों में जब बात जातिगत राजनीति की बात होती है तो धार्मिक आधार पर भी वोटरों को अपने पाले में किया जाता है. यूपी में मुस्लिम और यादवों को सपा का कोर वोटर माना जाता है. यही वजह है कि चुनावों में बीजेपी भी समय-समय पर समाजवादी पार्टी को राम मंदिर आंदोलन की शुरुआत के समय अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलवाने के घटनाक्रम को लेकर घेरती रहती है.
साफ है कि हर नेता अपने-अपने सियासी नफे नुकसान का अंदाजा लगाकर बयान देता है. सियासी मुद्दों का चयन भी वोट की गणित और जाति की केमेस्ट्री के साथ सोशल इंजीनियरिंग के फ्रेम में बिठाकर किया जाता है. यही वजह है कि कोई विकास के सहारे चुनावी वैतरिणी पार लगाने की सोच रहा है. तो कोई डर की राजनीति कर रहा है.