ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया है और हागिया सोफिया मस्जिद का उदाहरण देते हुए कहा बाबरी मस्जिद थी हमेशा रहेगी.
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नई दिल्ली: आज 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) अयोध्या (Ayodhya) में श्री राम जन्मभूमि पूजन करेंगे, जिसके बाद मंदिर निर्माण शुरू होगा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विवादित ढांचे और श्री राम मंदिर का फैसला हो पाया है. लेकिन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया है और हागिया सोफिया मस्जिद का उदाहरण देते हुए कहा बाबरी मस्जिद थी हमेशा रहेगी.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, 'बाबरी मस्जिद थी और हमेशा मस्जिद ही रहेगी. हागिया सोफिया इसका एक बड़ा उदाहरण है. अन्यायपूर्ण, दमनकारी, शर्मनाक और बहुसंख्यक तुष्टिकरण निर्णय द्वारा जमीन पर पुनर्निमाण इसे बदल नहीं सकता है. दुखी होने की जरूरत नहीं है. कोई स्थिति हमेशा के लिए नहीं रहती है.'
#BabriMasjid was and will always be a Masjid. #HagiaSophia is a great example for us. Usurpation of the land by an unjust, oppressive, shameful and majority appeasing judgment can't change it's status. No need to be heartbroken. Situations don't last forever.#ItsPolitics pic.twitter.com/nTOig7Mjx6
— All India Muslim Personal Law Board (@AIMPLB_Official) August 4, 2020
दोबारा मस्जिद में तब्दील हुई हागिया सोफिया
1500 साल प्राचीन विरासत समेटे यूनेस्को की विश्व विरासत में शामिल हागिया सोफिया म्यूजियम को लेकर बड़ी तब्दीली हुई. पिछले महीने जुलाई में टर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यब एर्दोगन ने इस ऐतिहासिक म्यूजियम को दोबारा मस्जिद में बदलने का आदेश दिया. राष्ट्रपति एर्दोगन ने 1934 के उस फैसले को पलट दिया, जिसके तहत 1434 में इस्तांबुल पर कब्जे के बाद उस्मानी सल्तनत द्वारा मस्जिद में तब्दील हुई हागिया सोफिया को एक म्यूजियम बना दिया गया था. इस ऐतिहासिक इमारत ने कई बार अपनी रंगतों को भी बदलते देखा है. जब ये इमारत बनाई गई तब ये एक भव्य चर्च हुआ करती थी और शताब्दियों तक ये चर्च ही रही. फिर इसे मस्जिद में तब्दील कर दिया गया.
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छठी सदी में बना था चर्च
हागिया सोफिया दुनिया के सबसे बड़े चर्चों में से एक रहा है. इसे छठी सदी में बाइजेंटाइन सम्राट जस्टिनियन के हुक्म से बनाया गया था. उस समय इस शहर को कुस्तुनतुनिया या कॉन्सटेनटिनोपोल के नाम से जाना जाता था. 537 ईस्वी में निर्माण पूर्ण होने के बाद इस इमारत को चर्च बनाया गया.