केंद्र में पहली बार मंत्री बनेंगे अमित शाह, ऐसा रहा है उनका राजनीतिक सफर
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केंद्र में पहली बार मंत्री बनेंगे अमित शाह, ऐसा रहा है उनका राजनीतिक सफर

शतरंज खेलने से लेकर क्रिकेट देखने एवं संगीत में गहरी रुचि रखने वाले अमित शाह को राजनीति का माहिर रणनीतिकार माना जाता है.

 

54 वर्षीय शाह को राज्य दर राज्य बीजेपी की सफलता गाथा लिखने का सूत्रधार माना जाता है

नई दिल्ली: बीजेपी को दूसरी बार केंद्र की सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभाने वाले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह केंद्र में मंत्री बनाए जा सकते हैं. गुजरात बीजेपी अध्यक्ष जीतू बाघवानी ने शाह को केंद्रीय मंत्री में शामिल किए जाने को लेकर बधाई दी है. उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा, "प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केन्द्रीय मंत्री मंडल में मजबूत साथी के रूप में सामेल होने पर हमारे पर्थदर्शक एवं मार्गदर्शक श्रध्देय श्री अमित शाह जी से शुभेच्छा मुलाकात की और शुभकामनाएं दी." 

शाह गांधीनगर से रिकॉर्ड मतों से जीतकर संसद पहुंचे हैं. हाल ही में उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दिया है. सूत्रों के मुताबिक, शाह को मोदी कैबिनेट में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है. हालांकि उनके अध्यक्ष बनने के बाद संगठन की जिम्मेदारी किसे सौंपी जाएगी, इस पर कुछ दिनों बाद तस्वीर साफ होगी. 

शतरंज खेलने में गहरी रुचि रखते हैं शाह
वह बूथ से लेकर चुनाव मैदान तक प्रबंधन और प्रचार की ऐसी सधी हुई बिसात बिछाते हैं कि मंझे से मंझे राजनीतिक खिलाड़ी भी अक्सर मात खा जाते हैं. शतरंज खेलने से लेकर क्रिकेट देखने एवं संगीत में गहरी रुचि रखने वाले अमित शाह को राजनीति का माहिर रणनीतिकार माना जाता है. 54 वर्षीय शाह को राज्य दर राज्य बीजेपी की सफलता गाथा लिखने का सूत्रधार माना जाता है. वर्तमान लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल, ओडिशा और दक्षिण भारत में पार्टी के बेहतर प्रदर्शन के लिए उनकी सफल रणनीति को श्रेय दिया जा रहा है. जुलाई 2014 में बीजेपी अध्यक्ष का पदभार संभालने के बाद बीजेपी के विस्तार के लिए उन्होंने पूरे देश का दौरा किया और पार्टी कार्यकर्ताओं को जागृत करने का काम किया.

 

पहली बार 1991 के संभाला था चुनावी प्रबंधन
चुनाव प्रबंधन के खिलाड़ी शाह ने पहली बार 1991 के लोकसभा चुनाव में गांधीनगर में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का चुनाव प्रबंधन संभाला था. लेकिन, उनके बूथ प्रबंधन का करिश्मा 1995 के उपचुनाव में तब नजर आया, जब साबरमती विधानसभा सीट पर तत्कालीन उप मुख्यमंत्री नरहरि अमीन के खिलाफ चुनाव लड़ रहे अधिवक्ता यतिन ओझा का चुनाव प्रबंधन उन्हें सौंपा गया. उनके करीबी बताते हैं कि पारिवारिक और सामाजिक मेल-मिलाप में वह बहुत कम वक्त जाया करते हैं. शाह को कार्यकर्ताओं की अच्छी परख है और वह संगठन व प्रबंधन के माहिर खिलाड़ी हैं. शाह ने पहली बार सरखेज से 1997 के विधानसभा उपचुनाव में किस्मत आजमाई और तब से 2012 तक लगातार पांच बार वहां से विधायक चुने गए. सरखेज की जीत ने उन्हें गुजरात में युवा और तेजतर्रार नेता के रूप में स्थापित किया. उस जीत के बाद वह बीजेपी में लगातार सीढ़ियां चढ़ते गए.

मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद शाह और अधिक मजबूती से उभरे. 2003 से 2010 तक गुजरात सरकार की कैबिनेट में उन्होंने गृह मंत्रालय का जिम्मा संभाला. हालांकि उन्हें इस बीच कई सियासी उतार-चढ़ावों का सामना करना पड़ा, लेकिन जब नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय राजनीतिक पटल पर लाया गया तो उनके सबसे करीबी माने जाने वाले अमित शाह को भी पूरे देश में बीजेपी के प्रचार प्रसार में शामिल किया गया.

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