'सरकार ने कोई 'फेवर' नहीं किया', रिहाई पर बाहुबली आनंद मोहन ने SC में दाखिल किया जवाब
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'सरकार ने कोई 'फेवर' नहीं किया', रिहाई पर बाहुबली आनंद मोहन ने SC में दाखिल किया जवाब

Anand Mohan: 1994 में IAS जी कृष्णैया की हत्या के मामले में दोषी आनंद मोहन ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर अपनी रिहाई के फैसले का बचाव किया है. आनंद मोहन ने कहा है कि सरकार ने पूरी वैधानिक प्रकिया का पालन करते हुए यह  फैसला लिया है.

'सरकार ने कोई 'फेवर' नहीं किया', रिहाई पर बाहुबली आनंद मोहन ने SC में दाखिल किया जवाब

Anand Mohan: 1994 में IAS जी कृष्णैया की हत्या के मामले में दोषी आनंद मोहन ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर अपनी रिहाई के फैसले का बचाव किया है. आनंद मोहन ने कहा है कि सरकार ने पूरी वैधानिक प्रकिया का पालन करते हुए यह  फैसला लिया है. इसलिए ये कहना कि सरकार ने उनको  फायदा पहुंचाया, ग़लत है. आनंद मोहन का कहना है कि  जेल नियमावली में बदलाव सरकार की कार्यकारी शक्तियों के दायरे में आता है. सरकार  की ओर से किसी दोषी के रिहाई के फैसले की न्यायिक समीक्षा का दायरा बहुत सीमित है.

जी कृष्णैया की पत्नी ने दाखिल की याचिका

आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ़ दिवंगत आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की पत्नी उमा ने याचिका दाखिल की है. उन्होंने इस फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे रद्द करने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट ने  उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार और आनंद मोहन को नोटिस जारी किया था.

'रिहाई का फैसला मनमाना नहीं'

आनंद मोहन ने अपने जवाब में कहा है कि जेल से उसकी रिहाई का फैसला मनमाना नहीं कहा जा सकता. ये फैसला पूरी वैधानिक प्रकिया का पालन करते हुए, सभी स्टेज पर सम्बंधित ऑथिरिटी के विचार करने के बाद सोच समझकर  लिया गया फैसला है. ये रिहाई तब संभव हो पाई जब वो इस रिहाई का हक़दार होने के लिए न्यूनतम समय पहले ही जेल में गुजार चुका है. इसलिए ये कहना कि सरकार ने उसका उसको फायदा पहुंचाया, गलत है.

रिहाई के खिलाफ याचिका पर सवाल उठाया

आनंद मोहन ने कोर्ट में दाखिल जवाब में कहा है कि रिहाई को चुनौती  देने वाली जी कृष्णैया की पत्नी की ओर से दायर याचिका क़ानूनी प्रकिया का दुरूपयोग है. किसी दोषी को रिहाई के फैसले को इस आधार पर नहीं चुनौती दी जा सकती कि उसके चलते पीड़ित के मूल अधिकारों का हनन हुआ है. अगर  इस आधार पर रिहाई के फैसले को चुनौती देना ठीक मान लिया जाए तो   फिर  तो सरकार का हरेक ऐसा फ़ैसला न्यायिक समीक्षा के दायरे में आ जाएगा

'जेल में व्यवहार अच्छा रहा'

आनंद मोहन  का कहना है कि जेल में उसका व्यवहार हमेशा अच्छा रहा. जेल में रहते कोई भी शिकायत उसके व्यवहार को लेकर नहीं की गई. जेल में रहते हुए भी उसने 3 किताबे लिखी है. 3 और किताब का प्रकाशन होना बाकी है. कई महत्वपूर्ण समाचार पत्रों  और पत्रिकाओं जे उसके अच्छे काम को प्रकाशित किया है. जेल में  रहते हुए ही उर्दू में उच्च शिक्षा प्राप्त की.

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