बेहद पॉपलुर हो रहे इस पोस्‍टर को 'एंग्री हनुमान' इमेज क्‍यों कहा जाता है?
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बेहद पॉपलुर हो रहे इस पोस्‍टर को 'एंग्री हनुमान' इमेज क्‍यों कहा जाता है?

केरल में कासरागोड़ जिले के कुंबले गांव के रहने वाले 25 वर्षीय ग्राफिक डिजाइनर करण आचार्य को भगवान हनुमान की इस वेक्‍टर-स्‍टाइल इमेज को बनाने का श्रेय जाता है.

बेहद पॉपलुर हो रहे इस पोस्‍टर को 'एंग्री हनुमान' इमेज क्‍यों कहा जाता है?

आजकल सड़कों पर लगभग हर दूसरी-तीसरी कार, बाइक में आपको भगवान हनुमान का एक नया खास पोस्‍टर चिपका मिल जाएगा. कारों में तो खासतौर पर पीछे के शीशे में इस तरह का एक बड़ा सा पोस्‍टर दिखना एक किस्‍म का फैशन सा हो गया है. कौतुहूल जगाने वाला और बरबस अपनी तरफ ध्‍यान आकर्षित करने वाला यह पोस्‍टर कई मायनों में अलग है. दरअसल यह परंपरागत रूप से दैवीय दिखने वाले आम पोस्‍टर की तरह नहीं है बल्कि इसमें भगवान हनुमान की एक खास छवि दिखती है. कुछ लोगों का कहना है कि इस पोस्‍टर में हनुमान की छवि सघन और नाराज किस्‍म की छवि दिखती है. इसी कारण इसको 'एंग्री हनुमान' इमेज वाला पोस्‍टर कहा जाने लगा है.

  1. एंग्री हनुमान इमेज 2015 में चलन में आई
  2. केरल के 25 साल के डिजाइनर ने इसको बनाया
  3. इस काम के लिए उनको कोई रॉयल्‍टी नहीं मिली

करण आचार्य
केरल में कासरागोड़ जिले के कुंबले गांव के रहने वाले 25 वर्षीय ग्राफिक डिजाइनर करण आचार्य को भगवान हनुमान की इस वेक्‍टर-स्‍टाइल इमेज को बनाने का श्रेय जाता है. उन्‍होंने तीन साल पहले 2015 में इस इमेज को बनाया था. उनके मुताबिक गांव के यूथ क्‍लब के युवाओं ने गणेश चतुर्थी पर झंडे में कुछ अलग इमेज लगाने के लिए उनसे एक पोस्‍टर बनाने का आग्रह किया था. उसके पहले गांव में झंडे में ओम के चिन्‍ह ही लगाए जाते थे.

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मंगलौर में जॉब करने वाले आचार्य ने कहा कि पहले तो उन्‍होंने किशोर बच्‍चों के आग्रह को टाल दिया लेकिन जब वे जिद करने लगे तो पर्व से एक दिन पहले रात करीब 12 बजे के आस-पास केवल चेहरे के डिजाइन को तैयार करके भेज दिया. उसके बाद वे वेक्‍टर स्‍टाइल हनुमान की बॉडी बनाने का काम कर ही रहे थे कि इस बीच चेहरे वाली इमेज का गांव में पहली बार इस्‍तेमाल किया गया. जैसे ही झंडे के साथ इस इमेज का इस्‍तेमाल हुआ, उसके बाद देखते ही देखते पहले दक्षिण भारत और उसके बाद उत्‍तर भारत के शहरों में यह इमेज दिखने लगी.

करण आचार्य का कहना है कि कुछ अलग करने की कोशिश में उन्‍होंने काले और केसरिया कलर के मिश्रण के साथ इसको बनाया. उनके मुताबिक वह हनुमानजी की कुछ नई छवि को गढ़ना चाहते थे, सो उन्‍होंने इस फोटो में भगवान हनुमान को एटीट्यूड में दिखाया है. उन्‍होंने कई इंटरव्‍यू में कहा है कि मेरे पोस्‍टर में हनुमान जी नाराज नहीं हैं लेकिन यह भी सच है कि उनके चेहरे पर सहज दिखने वाली मुस्‍कान नहीं है. इसमें उनमें एक एटीट्यूड दिखता है. उन्‍होंने साफतौर पर कहा है कि उन्‍होंने नाराज हनुमानजी की छवि को नहीं गढ़ा था. लोगों ने इसका अर्थ अपने हिसाब से लगाया है. करण को अपने इस काम के लिए हालांकि कोई रॉयल्‍टी नहीं मिली लेकिन यह उनका पोस्‍टर पूरे देश में जबर्दस्‍त हिट हो गया है.

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नया ट्रेंड
2017 में सबसे पहले बेंगलुरू में इस पोस्‍टर का ट्रेंड उस वक्‍त देखने को मिला जब शहर के लगभग हर कोने और वाहनों में इस इमेज को लगे देखा गया. उसके बाद से ही इसको उत्‍तर भारत में भी जगह मिलनी शुरू हो गई. अब यह नया ट्रेंड इस कदर फैशन में आ चुका है कि ये स्टिकर ऑनलाइन खूब बिक रहे हैं और अमेजन जैसे ई-रिटेलर्स पर आसानी से मिल रहे हैं. वाट्सऐप पर डीपी बनाने के साथ इससे जुड़े अलग-अलग किस्‍म के मैसेज आजकल सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं.

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