CJI के खिलाफ कांग्रेस के महाभियोग प्रस्ताव का मकसद जजों को डराना था : अरुण जेटली
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CJI के खिलाफ कांग्रेस के महाभियोग प्रस्ताव का मकसद जजों को डराना था : अरुण जेटली

जेटली ने फेसबुक पर अपनी एक पोस्ट में कहा है कि महाभियोग का कोई प्रस्ताव ऐसी बहुत असाधारण परिस्थितियों में ही लाया जाना चाहिए जहां किसी न्यायधीश ने अपने सेवाकाल में ‘कोई भारी कसूर’ कर दिया हो.

वित्त मंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायधीश के खिलाफ कांग्रेस के नेतृत्व में कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा लाए गए महाभियोग प्रस्ताव का आधार अपुष्ट था और इसे मुख्य न्यायधीश और शीर्ष न्यायालय के न्यायधीशों को डराने के उद्देश्य से लाया गया था. बता दें राज्य सभा के सभापति एम . वैंकया नायडु ने मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा पर महाभियोग चलाने के नोटिस को सोमवार को खारिज कर दिया था. नायडु ने पाया कि प्रस्ताव में कोई दम नहीं है और इसमें मुख्य न्यायाधीश पर जो आरोप लगाए गए हैं वे पुष्ट नहीं है और उन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता.

  1. यह महाभियोग प्रस्ताव अपुष्ट बातों के आधार पर पेश किया गया था  : जेटली 
  2. संसद अपने कामकाज के मामले में सर्वोच्च निकाय है : जेटली 
  3. संसद की प्रक्रिया को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है : जेटली 

वित्त मंत्री जेटली ने मंगलवार को फेसबुक पर अपनी एक पोस्ट में कहा है कि महाभियोग का कोई प्रस्ताव ऐसी बहुत असाधारण परिस्थितियों में ही लाया जाना चाहिए जहां किसी न्यायधीश ने अपने सेवाकाल में ‘कोई भारी कसूर’ कर दिया हो. ऐसे मामले में आरोप साबित करने के लिए ठोस सबूत होने चाहिए. जेटली ने लिखा कि कानाफूसी और अफवाह को सबूत का दर्जा नहीं दिया जा सकता. 

'महाभियोग प्रस्ताव अपुष्ट बातों के आधार पर पेश किया गया'
जेटली राज्यसभा के नेता भी हैं. पोस्ट में उन्होंने कहा, ‘यह महाभियोग प्रस्ताव अपुष्ट बातों के आधार पर पेश किया गया था और इसका परोक्ष उद्येश्य भारत के मुख्य न्यायाधीश और सबसे बड़ी अदालत के अन्य जजों में डर पैदा करना था.’  उन्होंने कहा कि दुर्भावना से लाया गया यह प्रस्ताव विफल होना ही था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी यदि किसी मामले में हित देखती हो और न्यायालय की राय उसके माफिक नहीं हो तो वह संबंधित न्यायाधीशों को विवाद में घसीटने और उन्हें विवादास्पद बनाने के काम में माहिर है. 

जेटली ने लिखा है, ‘‘ किसी भी राजनीतिक विश्लेषक के लिए यह स्पष्ट था कि संसद में इस महाभियोग प्रस्ताव को दो - तिहाई बहुमत नहीं मिलेगा. कांग्रेस पार्टी भी यह जानती थी. उसका उद्देश्य प्रस्ताव को पारित कराना नहीं था बल्कि देश की न्यायपालिका को डराना था. ’’ 

'संसद अपने कामकाज के मामले में सर्वोच्च निकाय है'
कांग्रेस की तरफ से इस तरह के संकेत मिलने कि वह राज्यसभा चेयरमैन के आदेश को अब उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी . जेटली ने कहा कि संसद अपने कामकाज के मामले में सर्वोच्च निकाय है , संसद की प्रक्रिया को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है. 

जेटली खुद एक जाने माने वकील हैं. उन्होंने कहा कि इस समय बड़ी संख्या में जाने माने वकील संसद के सदस्य हैं और ज्यादातर राजनीतिक दलों ने उनमें से किसी न किसी को नामित किया है क्योंकि अदालत और संसद की चर्चाओं में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है. लेकिन इसके साथ इसमें एक पहलू यह भी जुड़ गया है कि ‘‘ वकालत करने वाले सांसदों द्वारा अदालत के अंदर के झगड़ों को संसदीय प्रक्रिया में घसीटने की प्रवृत्ति बढ़ी है. ’’ उन्होंने कहा , ‘‘ भारत के मुख्य न्यायधीश के खिलाफ गलत सोच के साथ महाभियोग का प्रस्ताव लाना इसी प्रवृति का एक उदाहरण है. ’’ 

(इनपुट - भाषा)

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